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अनलॉक का असर : रंग बदल रहे प्राइवेट स्कूल..बची हुई फीस वसूलने की तैयारी शुरू, कमजोर पड़ी “No School..No Fees ” मुहिम..?

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बिलासपुर(मनीष जायसवाल)।कोरोना काल के पहले लॉक डाऊन के उत्तरार्ध में निजी स्कुलो की फीस को लेकर  .. “No School …No Fees”.. एक पोस्टर मुहिम की शुरुवात हुई थी। यह मुहिम अच्छी खासी चर्चा में भी रही थी। इस मुहिम का असर यह हुआ कि इससे राज्य शासन ने भी संज्ञान में लिया शिक्षा मंत्री के कड़े दिशा निर्देश देने के बाद  विभाग के अधिकारी हरकत में आये  औऱ फीस को लेकर  दबाव बना …  निजी स्कुलो ने भी इस दवाब को महसूस किया और लॉक डाउन में फीस लेने का मुद्दा लगभग टल गया। परंतु लॉक डाउन के अन लॉक फेस एक मे ही निजी स्कुलो ने रंग बदलना शुरू कर दिया है। शासन के निर्देशों की व्याख्या बदल दी गई।  …. जिसकी वजह से पालकों की  .. “No School …No Fees”..! की मुहिम का असर बे असर होता जान पड़ता है। सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

पुराने सत्र की बची हुई फीस और नए सत्र की बची हुई स्कूल फीस निजी स्कुलो द्वारा लेने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश के मुख्य शिक्षा सचिव की ओर से निजी स्कुलो से फीस न लेने के निर्देश केवल ज़बान खर्च जैसे हो गए है। निजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ा रहे पालक जबान खर्च के बोल बच्चन की कटिंग  को शेयर करके दिल को तसल्ली दे रहे है।

 पालकों का कहना है कि जैसे ही लॉक डाउन अनलॉक होना शुरू हुआ निजी स्कूल अपने पुराने  रूप गिरगिट के जैसे होते जा रहे है। सम्भवतः इसी वजह से प्रदेश की शासन व्यवस्था में निजी स्कुलो को मिल रही लूट  का एनएसयूआई के प्रदेश पदाधिकारियों ने  विरोध किया और एक जिले  जिला शिक्षा अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपकर प्राइवेट स्कूल द्वारा लगातार की जा रही मनमानी एवं पालको पर बच्चों की फीस के लिए दबाव बनाए जाने के मामले का विरोध करते हुए  निजी स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की थी। 

सर्व स्कूल अभिभावक एवं विद्यार्थी कल्याण संघ के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल बताते है कि कोरोना काल मे सरकार मजदूरों को देश के कोने कोने से  बसों, रेलगाड़ियों और हवाई जहाज लाने के लिए जो स्पस्ट दिशा निर्दश जारी की है और कार्य की है उसी तर्ज पर  “No School …No Fees”. के विषय पर दिशा निर्देश जारी करना चाहिए। प्रदेश का पालक एकदम साफ स्पस्ट आदेश चाहता है।  मंदी के दौर में जमा पूंजी खत्म होते जा रही है। ऐसे में मानवीय सम्वेदनाओं से परे निजी स्कूल अपने आर्थिक लाभ के लिए पालकों को मजबूर कर रहे है। हम  “No School …No Fees” को लेकर मजबूती से खड़े है।

छात्र कल्याण सेवा समिति  के अध्यक्ष दाऊ शुक्ला का इस विषय पर कहना है कि लॉक डाउन से उबरने में वक़्त लग सकता है। तब तक स्कूल मालिको , स्कूली ट्रस्ट व अन्य निजी स्कूली संस्थाओं को भी पालकों की  आर्थिक मनोस्थिति समझना होगा। मानव समाज अभी उस दौर से गुजर रहा है जहाँ सबको सबका साथ चाहिए । राज्य शासन ने  “No School …No Fees”. पालकों की मुहिम पर पर एकदम स्पस्ट आदेश जारी करने चाहिए।  शिक्षा विभाग के  कर्ता धर्ता अधिकारियों ने फीस को लेकर अब तक किये गए  जबान खर्च …! निजी स्कूल मालिको से …… कोंटा गणित के संकेत देते प्रतीत हो रहे है।


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