आंदोलन की मिल रही सजा…CM आदेश के बाद भी वेतन का इंंतजार…आर्थिक बोझ से टूट रहा शिक्षक

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— मध्यप्रदेश में संविलियन के बाद छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों में उम्मीद थी कि जल्द ही प्रदेश सरकार भी संविलयन का एलान करेगी। लेकिन धीरे मामला ठंडा होता दिखाई दे रहा है। महीनों बाद भी एलान नहीं होने पर प्रदेश के शिक्षाकर्मियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ऊपर से कई बार आश्वासन के बाद भी वेतन नहीं मिलने से शिक्षाकर्मियों की आर्थिक हालत बद से बदतर स्थिति में पहुच गयी है।  शिक्षाकर्मियों का आक्रोश धीरे-धीरे विस्फोटक स्थिति में पहुंंच गयी है।

                     नवीन शिक्षा कर्मी संघ प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित कुमार  नामदेव ने संविलियन की मांग पूरी होने पर नाराजगी जाहिर की है। अमित ने बताया कि अब तो ऐसा लगता है कि सरकार शिक्षाकर्मियों को भूखे मारना चाहती है। प्रदेश के कमोबेश सभी शिक्षाकर्मियों की आर्थिक स्थिति नाजुक स्तर पर पहुंच चुकी है। बावजूद इसके किसी भी शिक्षाकर्मी साथी को वेतन नहीं दिया जा रहा है। कुछ विकास खंडों में तो तीन माह से वेतन मिला ही नहीं है।

                                         अमित नामदेव ने बताया कि शिक्षाकर्मियों का नाममात्र वेतन पर गुजारा होता है। अब उस नाममत्र वेतन का भी महीनों से दर्शन नहीं हुआ है। सरकार को समझना चाहिए कि आखिर खाली पेट पठन पाठन का काम कैसे संभव है। अमित ने कहा कि नियमित वेतन नही मिलने से परेशानी बढ़ गयी है। ऐसी स्थिति कमोबेश प्रदेश के सभी विकास खंडोंं की है।

  अमित ने कहा कि समय समय पर वेतन देने का आदेश ऊपरी स्तर पर जारी कर दिया जाता है। लेकिन शिक्षाकर्मियों का वेतन कभी भी समय पर नहींं मिला है। प्रदेश के मुखिया ने भी हर महीने की 5 तारीख तक वेतन देने का आदेश दिया है। लेकिन आज उनके आदेश का पालन नहीं किया गया है।

                                       अमित के अनुसार अनियमित वेतन भुगतान की वजह से आज कोई भी बैंक शिक्षा कर्मियों को लोन देने से कतराता है।  बैंको को प्रति माह निश्चित तारीख को एस्टालमेंट काटना होता है। लेकिन समय पर वेतन नहीं मिलने से बैंक भी शिक्षाकर्मियों से किनारा करना शुरू कर दिया है। शिक्षक नेता के अनुसार प्रति माह वेतन नही मिलने से शिक्षाकर्मियों का परिवार भयंकर आर्थिक दबाव में है।

 

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