बिलासपुर—युक्तियुक्तकरण के बाद आदिवासी क्षेत्र के कई आंगनबाडियों पर ताला लटकने वाला है। शासन से आदेश मिलने के बाद कर्मचारियों ने आंगनबाडियों को गिनना भी शुरू कर दिया है। कम संख्या वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद करने का निर्देश महिला एवं बाल विकास अधिकारी रमशीला साहू ने सुराज अभियान के दौरान बिलासपुर कलेक्टर को दिया था।
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जिले के जिन आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की संख्या कम होगी उन्हें बंद किया जाएगा। महिला एवं बाल विकास मंत्री के निर्देश के बाद विभागीय अधिकारी युक्तियुक्तकरण की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। विभागीय अधिकारी की मानें तो युक्तिकरण का सबसे अधिक आदिवासी अंचल के आंगनबाडी केन्द्रों पर पडेगा। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के आंगनबाडी केन्द्रों में लाभार्थियों की संख्या बेशक कम है लेकिन आसपास क्षेत्र में कोई दूसरा आंगनबाडी केन्द्र भी नहीं है। इसके चलते आदिवासी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को योजनाओं का फायदा मिलने की संभावना कम होती नजर आ रही है।
शहर और ग्रामीण महिलाओं को संस्थागत प्रशिक्षित मीतानिन से प्रसव,पोषण आहार और बच्चों के समग्र विकास के लिए शासन नेआंगनबाड़ी केन्द्र का संचालन किया है। केन्द्रों में पदस्थ सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं को बच्चों की विकास की गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी सरकार ने दी है। गर्भवती महिलाओं के बीच शासन से संचालित योजनाओं के तहत पौष्टिक आहार वितरण का काम भी आंगनबाड़ी केन्द्र से ही होता है।
जिले में इस समय कुल 2667 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। केन्द्रों में 4674 सहायिका और कार्यकर्ता पदस्थ है। सैकड़ों बच्चे केन्द्र में अध्ययनरत है। लेकिन युक्तियुक्तकरण के तहत अब कई आंगनबाडी केन्द्रों पर ताला लटकने वाला है। महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू ने लोक सुराज अभियान के दौरान कलेक्टोरेट स्थित मंथन सभागार में अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिन केन्द्रों में बच्चों की संख्या कम है उन्हें बंद किया जाए।
महिला बाल विकास मंत्री के आदे के बाद अधिकारी और कर्मचारी ऐसे आंगनबाड़ी केन्द्रों की जानकारी एकत्र करने लगे हैं जहां बच्चों की संख्या दस से कम हैं। अधिकारियों के अनुसार बच्चों को अन्य केन्द्रों में दाखिल कराया जाएगा।
जानकारी के अनुसार मंत्रालय के इस निर्णय से आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। आदिवासी क्षेत्र में संख्या कम होती है। ऐसे स्थानों पर सिर्फ एक ही आंगनवाड़ी केन्द्र होता है।महिला बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोटा ब्लाक का एक गाव ऐसा भी है जहां आंगनबाडी केन्द्र में मात्र आठ बच्चे है। युक्तियुक्तकरण के बाद केन्द्र को बंद कर दिया जाएगा। गांव के आस पास कोई दुसरा आंगनबाड़ी केन्द्र भी नहीं है। आठ बच्चों और गांव की गर्भवती महिलाओं को दूसरे आंगनबाडी केन्द्र तक पहुंचने में कम से कम दस से बारह किलोमीटर का जंगली रास्ता तय करना होगा। जाहिर सी बात है कि परिवार के लोग बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ऐसा नहीं करने देंगे। ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जहां सात आठ किलोमीटर के भीतर मात्र एक आंगनबाड़ी केन्द्र है। जाहिर सी बात है कि युक्तियुक्तरण के बाद ऐसे आंगनबाड़ी केन्द्रों का बंद होना निश्चित हैं। मतलब योजनाओं का लाभ अब गरीबों तक पहुंचना नामुमकिन ही है।
सूची बनाने की तैयारी
एकीकृत महिला बाल विकास विभाग परियोजना अानंद प्रकाश किसपोट्टा ने बताया कि कोटा ब्लाक बैगा बहुल क्षेत्र है। कार्यक्रम अधिकारी आनंद प्रकाश ने बताया कि युक्तियुक्तकरण के तहत बंद होने वाले संभावित आंगनबाड़ी केन्द्रों की पहचान की जा रही है। एक सप्ताह के भीतर सूची को तैयार कर कलेक्टर के पास भेज दिया जाएगा। किसपोट्टा ने बताया कि बच्चों के प्रभावित होने का सवाल ही नहीं है। बच्चों को नजदीक केन्द्रों में भेजा जाएगा।