आदिवासी बहुल क्षेत्र में कुपोषण की चुनौती से निपटने,चिकित्सा और रोजगार के लिए प्रयास-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

Shri Mi
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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र में कुपोषण की चुनौती से निपटने, चिकित्सा और रोजगार की बेहतर व्यवस्था करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के माध्यम से संचालित निर्माण कार्यों के द्वारा भी स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के प्रयास हैं। इन क्षेत्रों में लघु वनोपज पर आधारित लघु उद्योगों और प्रसंस्करण इकाईयों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे यहां के नागरिकों को रोजगार और आय अर्जन के अवसर मिल सकें।

उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में लघु वनोपजों पर आधारित प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए प्रधानमंत्री से वन अधिनियम के प्रावधानों को शिथिल करने का आग्रह किया गया है, जिससे यहां रोजगारमूलक इकाईयों के लिए जमीन आवंटित करने और संचालित करने के लिए सुविधा मिलेगी। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएमएफ की राशि का उपयोग खदान प्रभावित क्षेत्र में लोगों के जीवन में बेहतर परिवर्तन लाने के लिए किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण दूर करने के लिए चना दिया जा रहा है, गुड़ भी देंगे। दन्तेवाड़ा जिले में कुपोषण दूर करने के लिए बच्चों और महिलाओं को अण्डा वितरण का काम प्रारंभ किया गया है जिसकी नीति आयोग ने प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि बस्तर और सरगुजा में सिंचाई का प्रतिशत काफी कम है। नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के माध्यम से यहां के नालों को रिचार्ज करने का काम किया जाएगा, जिससे सतही जल और भूमिगत जल की उपलब्धता बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी क्षेत्र विकास प्राधिकरणों का अध्यक्ष स्थानीय विधायकों को बनाने का फैसला लिया गया है। इसी तरह तेंदूपत्ता संग्रहण की दर ढाई हजार रूपए से बढ़ाकर चार हजार रूपए प्रति मानक बोरा की गई है। बस्तर में प्रस्तावित स्टील प्लांट नहीं बनने पर लोहंड़ीगुड़ा क्षेत्र के किसानों की अधिगृहित भूमि लौटाने का निर्णय भी किया गया है।

उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस का मुख्य समारोह राजधानी रायपुर में भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि होंगे। जिला स्तर पर भी विश्व आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें विधायक और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। 

विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि राज्य सरकार ने आदिवासियों के हित में अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं, जिनमें वन अधिकार पट्टों के लिए प्रदेश में पूर्व में अमान्य किए गए लगभग साढ़े चार लाख आवेदनों पर पुनर्विचार करने और समीक्षा कर पट्टे देने जैसा कार्य भी शामिल है। इसी तरह वन क्षेत्रों में सामुदायिक वन अधिकार पट्टे आवंटित करने के कार्य पर जोर देने और बच्चे के जन्म लेने के उपरांत पिता की जाति के आधार पर उसे जाति प्रमाण पत्र तत्काल प्रदान करने का निर्णय भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 

विधायक शिशुपाल सोरी ने अपने स्वागत उद्बोधन में सर्व आदिवासी समाज द्वारा  मुख्यमंत्री द्वारा आदिवासी समाज के हित में लिए गए उल्लेख करते हुए विश्व आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश घोषित करने के साथ-साथ अन्य फैसलों के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया। समाज के धनंजय ने आदिवासियों के संरक्षण और उन्हें विकास की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी किए गए चार्टर को छत्तीसगढ़ में लागू करने का आग्रह किया। इसी तरह बी.पी.एस. नेताम ने भी अपनी बात कही। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के प्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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