आरक्षण के खिलाफ पूरी हुई सुनवाई…डबल बैंच का फैसला सुरक्षित…सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट वकील की पैरवी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-हाईकोर्ट में आरक्षण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्रन मेमन और जस्टिस पी. के. साहू की डबल बैंच में पूरी हुई। आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई में राज्य शासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील हंसारिया और याचिकर्ता आरटीआई एक्टविस्ट कुणाल शुक्ला,आदित्य तिवारी के अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं की तरफ से पलाश तिवारी ने प्रकरण के प्रमुख बिंदुओं को बहस के दौरान कोर्ट के सामने पेश किया।

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                                प्रदेश में कुल 82 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई प्रकरण में राज्य शासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हंसारिया ने मामले को रखा। इसके अलावा याचिकाकर्ता, आरटीआई एक्टविस्ट कुणाल शुक्ला तथा आदित्य तिवारी और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील पलाश तिवारी ने प्रकरण के प्रमुख बिंदुओं पर बहस की।

                मामले में अन्य याचिकाकर्ता पुनेश्वर नाथ मिश्रा पुष्पा पांडेय, स्नेहिल दुबे, सौरभ बनाफर,शुभम तिवारी, सजंय तिवारी के अधिवक्ता रोहित शर्मा ने कहा कि वर्ष 2012 से लेकर 2018 तक के बीच राज्य सेवा परीक्षाओं में ओबीसी वर्ग का अनारक्षित वर्ग के सीट से चयन हमेशा से अधिक होना बताया। इस दौारन बताया गया कि परिणाम को देखने के बाद यह कहना उचित नहीं होगा कि ओबीसी का प्रतिनिधित्व कम है।

                 इस दौरान सरकारी वकीलों ने महाजन कमेटी, RBI समेत अन्य रिपार्ट पेश कर बताने का प्रयास किया कि 82 प्रतिशत आरक्षण उचित है। याचिका कर्ताओं के वकील ने ओबीसी के केन्द्रीय डाटा का विरोध करते हुए कहा कि मामला प्रदेश आरक्षण को लेकर है। इसलिए केन्द्रीय डाटा को रखा जाना उचित नहीं होगा।

                      याचिका कर्ताओं के वकील रोहित शर्मा ने कोर्ट को बताया कि महाजन कमेटी की अनुशंसा है कि 20 वर्ष बाद रिपोर्ट की वैधता समाप्त हो जाएगी। इस आधार पर 2010 में इसकी वैधता समाप्त हो चुकी है। इसके बाद भी रिपोर्ट की अनुशंषा करना उचित नहीं है। आरक्षण की सीमा किसी भी स्तर से 50 प्रतिशत से अधिक होती है तो संविधान की मूल भावनाओ के खिलाफ होगी। बावजूद इसके किसी वर्ग विशे, के लिए 82 प्रतिशत से अधिक आरक्षण ना केवल राजनीतिक साजिश बल्कि वर्ग भेद भी है।

                     यचिकाकर्ता पुनेश्वर नाथ मिश्रा ने बताया कि उच्च न्यायालय से न्याय की उम्मीद है। उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को सुना है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है।

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