कमल विहार योजना : पर्यावरणीय अनुमति संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज, बुकिंग और आवंटन पहले की तरह हो जाएगा शुरू

Shri Mi
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रायपुर।उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में रायपुर विकास प्राधिकरण की नगर विकास योजना क्रमांक – 4, कमल विहार के संबंध केन्द्र से पर्यावरणीय अनुमति नहीं लिए जाने के विरुध्द दायर याचिका खारिज हो गई है। न्यायमूर्ति  रोहिन्टन फली नरीमन और न्यायमूर्ति  विनीत सरन की न्यायालय ने याचिकाकर्ता राजेन्द्र शंकर शुक्ला, रविशंकर शुक्ला और डॉ. रंजना पांडेय व्दारा प्रस्तुत याचिका को खारिज कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कमल विहार में विकास और निर्माण के कार्य में तेजी आएगी साथ ही प्लॉट्स व फ्लैट्स की बुकिंग व आवंटन के संबंध में सभी कार्य पहले की तरह शुरु हो जाएंगे। सीजीवालडॉटकॉम के Whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

उच्चतम न्यायालय ने इसके पूर्व 15 मार्च 2019 को याचिका कर्ताओं व्दारा प्रस्तुत याचिका के बाद कमल विहार योजना में यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इस याचिका में भारत सरकार, रायपुर विकास प्राधिकरण, छत्तीसगढ़ शासन, संचालक नगर तथा ग्राम निवेश छत्तीसगढ़,सचिव स्टेट लेबल इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी तथा मेसर्स हिन्द हिमकान एसोसियेट बिलासपुर को प्रतिवादी बनाया गया था।

इसके पहले अगस्त 2015 में भी कमल विहार योजना में रोक लगाए जाने के संबंध 13 याचिकाकर्ताओं व्दारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय याचिका दायर की थी। इसमें माननीय न्यायालय ने कमल विहार योजना के विकास और निर्माण कार्यो में किसी प्रकार की कोई रोक नहीं लगाई थी ।

कमल विहार एक विश्व स्तरीय नगर विकास योजना है जो ‘‘लैंड पूलिंग‘‘ का एक बेहतरीन उदाहरण है। केन्द्र शासन ने भी कमल विहार की लैंड पूलिंग की तरह नगर विकास योजना बनाने के निर्देश सभी राज्यों को दिए थे। उल्लेखनीय है कि कमल विहार देश की सबसे बड़ी नगर विकास योजनाओं में से एक है जो जनभागीदारी के साथ लगभग 1570 एकड़ में विकसित की गई है। इसके विकसित होने से रायपुर शहर में अवैध रुप से हो रही प्लॉटिंग से प्रभावित लोगों को काफी राहत मिली है। कमल विहार के योजना क्षेत्र में आने वाले आधिकांश भूमि स्वामियों ने योजना में स्वयं को शामिल कर अविकसित के बदले पूर्ण विकसित भूखंड प्राप्त किए है। विकसित भूखंडों मे आवासीय के साथ व्यावसायिक, सार्वजनिक अर्द्ध सार्वजनिक, स्वास्थ्य व शैक्षणिक प्रयोजन के भूखंड भी यहां विकसित कर आवंटित किए गए है। योजना में बुनियादी सुविधाओं के लिए अधोसंरचना भी विश्व स्तर की है। यह योजना इतनी लोकप्रिय हुई है कि छत्तीसगढ़ के कई निवासी जो विदेशों में काम कर रहे हैं उन्होंने भी इसमें अपने और अपने परिवारों के लिए भूखंड खरीदे हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कई अन्य बड़े नगरों के लोगों ने भी यहां भूखंड खरीदे हैं।

कमल विहार को नए और उन्नत नगरों की अभिनव योजना की ईको सिटी श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर के दो अवार्ड “हडको डिजाईन अवार्ड 2012 – 13” तथा सितंबर 2015 में राष्ट्रीय स्तर का ” आर्डर ऑफ मेरिट अवार्ड ” प्राप्त हुआ है। कमल विहार योजना की लोकप्रियता के चलते इसका अध्ययन करने के लिए की देश – विदेश की कई संस्थाओं ने रायपुर आ कर इसकी अवधारणा और निर्माण का अध्ययान किया है।

योजना में भूमि अर्जन की लैंड पूलिंग पालिसी का अध्ययन करने के लिए भारत सरकार नई दिल्ली से नगर तथा ग्राम निवेश संगठन, दिल्ली विकास प्राधिकरण, आंध्रप्रदेश की नई राजधानी बनाने वाली टीम और अफगानिस्तान में न्यू काबुल सिटी विकसित करने वाले योजनाकारों के दलो नें भी यहां भ्रमण किया। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने तो कमल विहार योजना की भूमि अर्जन की नीति को अपनाया है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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