कांग्रेस अधिवक्ता ने मांगा गुप्त समझौता का रिकार्ड

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JHEERAM_GHATI_VISUAL 001बिलासपुर—जस्टिस प्रशांत मिश्रा के स्पेशल कोर्ट में आज झीरम कांड मामले में सुनवाई हुई। कांग्रेस अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने याचिका दायर कर तात्कालीन कलेक्टर के अपहरण से जुड़े बिन्दुओं की जानकारी पेश करने की मांग की है। सुदीप ने बताया कि एलेक्स पाल मेमन की रिहाई के समय शासन और नक्सलियों के बीच कुछ गुप्त सुलह हुए थे। गुप्त सुलह की बिन्दु क्या हैं….कोर्ट के सामने रखा जाए। कोर्ट ने अगली सुनवाई में बिन्दुओ को रखने का निर्देश दिया है।

                                  25 मई को झीरम घांटी में नक्सली हमले को लेकर स्पेशल कोर्ट में आज सुनवाई हुई। कांग्रेस अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने कोर्ट में विवेक बाजपेयी की ओर से एक याचिका प्रस्तुत कर कहा कि शासन की ओर से पेश दस्तावेज और घटना में मेल नही है। घटना के दौरान कुछ फोटो खीची गयी थी। शासन ने पूरी प्रक्रिया दो घंटे में होना बताया है। इसके विपरीत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली कमाण्डर गुडसा उसेंडी ने सात दिन से मौके पर होने की बात कही है। सुदीप ने बताया कि झीरम घाटी में घटना के दौरान की कुछ तस्वीर उनके पास भी है जो राज्य शासन के दस्तावेजो से मेल नही खाते हैं।

                      सरकारी वकील ने बताया कि विवेक बाजपेयी का बयान और प्रतिपरीक्षण पहले हो चुका है। अब वे  दुबारा बयान क्यों देना चाहते है उन्हें बताना होगा। मामले को कोर्ट ने आगामी सुनवाई तक टाल दिया। कांग्रेस अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने अपने एक याचिका में सुकमा के तात्कालिन कलेक्टर एलक्स पाल मेमन के बयान की मांग की है ।

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                                           सुदीप ने कोर्ट को बताया कि एलक्स पाल मेमन का अपहरण नक्सलियो ने किया था।  उन्हे छोड़ाने में सरकार और नक्सलियो के बीच गुप्त समझौता होने की जानकारी है। तात्कालीन समय कुछ नक्सलियो को छोड़ने के साथ ही सुविधा देने की बात सामने आयी थी। सुदीप ने कोर्ट को बताया कि झीरम काण्ड में कांग्रेसियों पर हमले का पेंच पाल की रिहाई से भी जुड़ा हो सकता है। इसलिए सुकमा के तात्कालिन कलेक्टर का बयान जरूरी है।  मामले में जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने दोनो ही मामलो की सुनवाई 2 जुलाई तक के लिए टाल दिया है। दोनो पक्षो के अधिक्ताओ को झीरम केस से जुडे सारे दस्तावेजों को कोर्ट में पेश करने को कहा ।  कोर्ट ने कहा कि इसके बाद कोई भी दस्तावेज स्वीकार नही किया जाएगा। जब तक झीरम घाटी काण्ड से गवाह के मद्देनजर जरूरी ना हो।