कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का बीजेपी पर बड़ा आरोप,कहा-मोदी सरकार ने इजराइली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदी, प्रियंका गांधी समेत इन नेताओं की हुई जासूसी

Shri Mi
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नईदिल्ली।कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार पर इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासिस के जरिए बड़े नेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करने का आरोप लगया है. सुरजेवाला ने कहा कि यह सॉफ्टवेयर कोई निजी संस्था नहीं बल्कि सिर्फ भारत सरकार ही खरीद सकती है. ऐसे में यह साफ है कि मोदी सरकार इस जासूसी कांड के लिए जिम्मेदार है. सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल के मोबाइल में भी जासूसी करने की कोशिश की गई थी.

             
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इसके साथ ही सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले दिनों देश में एक जासूसी कांड सामने आया. जिससे साफ हुआ कि किस तरह भाजपा सरकार और उसकी एजेंसियां गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक ढंग से इजरायली कम्पनी NSO का पेगासस सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करके विभिन्न क्षेत्र के लोगों के फोन हैक किए हुए है. इस प्रकरण पर तीन तरह के कागजात सामने आए हैं. साल 2019 के आम चुनाव के दौरान पेगासस स्पाईवेयर के जरिए राजनेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन टेप किए गए. भाजपा सरकार को इसकी पूरी जानकारी थी. यह उनकी षड़यंत्रकारी संलिप्तता को दर्शाता है. जिस तरह भाजपा सरकार की संलिप्तता और षडयंत्रकारी सोच इस पूरे कांड में सामने आई है, अब लोगों ने BJP को “भारतीय जासूस पार्टी” नाम दिया है:

इजरायली कम्पनी NSO का पेगासस स्पाईवेयर केवल सरकार को ही बेचा जा सकता है, किसी निजी संस्था या व्यक्ति को नहीं तीसरे कागजात के अनुसार ये पेगासस स्पाईवेयर भारत में राजनेताओं और पत्रकारों की जासूसी के लिए इस्तेमाल किया गया. सबसे चौंकाने वाला तथ्य है कि इस सॉफ्टवेयर के द्वारा कौनसे ब्रॉडबैंड और इंटरनेट करप्ट कर लिए गए? उसके कागजात भी सामने आए हैं. नेशनल इंफोमेटिक सेंटर VSNL और BSNL द्वारा संचालित नेशनल इंटरनेट बैकबोन पर चलता है. इसमें भी पेगासस स्पाईवेयर पाया गया है. इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट, संसद, देश की केंद्रीय और प्रांतीय सरकार तक कुछ भी इससे सुरक्षित नहीं रहा.

भाजपा सरकार को अप्रैल-मई 2019 से पेगासस की जानकारी थी और इसका इस्तेमाल 2019 के आम चुनाव में किया गया. फेसबुक ने ये जानकारी भारत सरकार के IT विभाग को दे दी थी. इसके बारे में CERT-IN ने 17 मई 2019 को एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की. फेसबुक और व्हाट्सऐप के अनुसार जासूसी के जो भी आँकड़े सामने आए हैं, उनमें वृद्धि हो सकती है. यह कांड और बड़ा हो सकता है. उससे साफ है कि भारत सरकार को अप्रैल-मई 2019 के दौरान इस टेलीफोन हैक की जानकारी थी. सितंबर 2019 में फेसबुक ने फिर इसकी जानकारी दी. मगर मोदी सरकार पूर्णतया चुप्पी साधे रही .

सूचना मंत्री रवि शंकर प्रसाद जी 20 अगस्त 2019 को व्हाट्सएप के CEO क्रिस डेनियल और 12 सितंबर 2019 को फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट निक क्लेग से भी मुलाकात करते हैं और दोनों ही बार इस हैकिंग के बारे में चर्चा करना भूल जाते हैं, क्यों? जब पहली बार ये खबर आती है कि व्हाट्सएप ने इजरायली कम्पनी NSO पर अमेरिका में मुकदमा किया है. तब जाकर 31 अक्टूबर को पहली बार सूचना मंत्री ट्विटर के जरिए जानकारी जुटाने की बात करते हैं।

मोदी सरकार इस मामले में लगातार झूठ बोलती रही है. आज भी पत्रकारों और चैनल को डराकर कहानियां प्लांट की जा रही है. अभी तक उन्होंने अपनी संलिप्तता की बात नहीं स्वीकारी जब यह तय है कि पेगासस सॉफ्टवेयर को सिर्फ भारत सरकार ही खरीद सकती है. तो साफ है कि कोई निजी संस्था इसे नहीं खरीद सकती थी.

एक रिपोर्ट में सामने आया है कि इसके जरिए राजनेताओं की भी जासूसी हो रही थी. पेगासस स्पाईवेयर से प्रभावित होने वालों में MTNL, NIB, NIC, Hathway जैसे कनेक्शन शामिल थे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कांड कितना बड़ा था. हमें उम्मीद है कि संसद की स्टैंडिंग कमेटी इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए NSO, व्हाट्सएप, फेसबुक और भारत सरकार को पूरे तथ्यों के साथ अपने समक्ष बुलाकर जाँच करेगी.

भाजपा सरकार इस जासूसी कांड में अपनी भूमिका को लेकर पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है. अब 5 सवालों का जवाब मोदीजी को देना चाहिए:-
1. क्या भाजपा सरकार 2019 के आम चुनाव के दौरान राजनेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कर रही थी?
2. भारत सरकार में किसने पेगासस के गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक इस्तेमाल की इजाजत दी?
3. इसकी खरीद की इजाजत किसने दी?
4. भारत सरकार जानकारी के बावजूद इस मामले पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
5. जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई होगी?

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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