बिलासपुर—बिलासपुर वन विभाग के पास जो कुछ है उसे भी नहीं बचा पा रहा है। कानन पेन्डारी में जानवर से ज्यादा फूड स्टाल का कब्जा है। बिलासा ताल का डायनासार बीमार है। तालाब पर घास खरपतवार का कब्जा है। खोंदरा का जंगल शिकारियों का एशगाह बन गया है। कहां कितना पेड़ कट जाए..देखने वाला कोई माई बाप नहीं है। जो है उसे लोग डीएफओ कहते हैं…लेकिन वह एसी से निकलने को तैयार नहीं है। जंगल में आग लगे तो लगे..उन्हें चैन की बांसूरी बजाने से फुर्सत नहीं है।
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प्रशासनिक कसावट नहीं होने से बिलासपुर वन अमला अपनी ढपली अपना राग अलाप रहा है। डीएफओ एसी से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। इन कमजोर आदतों ने जंगल का नुकसान किया है। वन मण्डलाधिकारी के निष्किता से पर्यटन की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिलासा ताल और खोंदरा का उन्नयन कार्य सालों से लंबित है। खनिज गौड़ समिति के पास बिलासा ताल और खोंदरा में पर्यटन को बढ़ावा देने दो करोड़ का बजट लम्बित है। लेकिन वनमण्डलाधिकारी के पास इतना समय नहीं है कि वह कलेक्टर से मिलकर दोनो क्षेत्रों को पर्यटन की लिहाज से बेहतर बनाने की रणनीति तैयार कर सके। कमोबेश सभी लोग जानते हैं कि बिलासा ताल अब पर्यटकों का नहीं प्रेमपुजारियों का अड्डा बन गया है।
वन कर्मचारियों ने जैसे अघोषित रूप से ऐलान कर दिया है कि यदि कोई सलमान की तरह शिकार करने का शौकीन है तो वह खोंदरा जाए। वहां शिकारियों को ना तो कोई रोकने वाला है औ ना ही शिकार को कोई बचाने वाला। जो है वह घर में आराम फरमा रहा है। खोंंदरा जंगल में किए शिकार का मांस बलौदा की सड़कों मेंं खुलेआम बिकता है। क्योंकि जंगल को बचाने वाले लोग बिलासपुर से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। कोई भी अधिकारी जंगल प्रवास पर नहीं जाता। आवास गृह नहीं होने के कारण जंगल और जानवारों की मानिटरिंग नहीं हो पाती है। जंगलमाफिया और शिकारी छोटे कर्मचारियों से मिलीभगत कर जंगल का सत्यानाश कर रहे हैं। बावजूद इसके वनमण्डलाधिकारी के कान पर जूं नहीं रेंग रहा है।
आरएमकेके,बैगा विकास प्राधिकरण समेत कई योजनाएं ठण्डे बस्ते में है। बैगाओं के समग्र विकास की चिंता किसी को नहीं है। एजेंसिया हाल पर हाथ रखकर बैठी हैं। अधिकारियों को भी इनकी चिंता नहींं है। क्योंकि सबको मालूम है कि बेैगा जीवट होता है। वह बिना किसी मदद के अपना जीवन गुजार लेगा।
अधिकारियों की लापरवाही से कानन पेन्डारी में अब केज कम फूड के स्टाल ज्यादा दिखाई देते हैं। केन्द्रीय जू अथारिटी ने कानन में लगाए गए स्टाल पर टिप्पणी कर पूछा है कि जू क्षेत्र से स्टाल को हटाए नहीं जाने के क्या कारण हैं। केन्द्रीय जू ने व्यवस्था को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की है..बावजूद इसके कोई भी स्टाल टस से मस नहीं हुआ। कानन पेन्डारी का दीवार लगातार गिर रही है। जो दीवार ख़ड़ी है वह कभी भी गिर सकती है। बाउन्ड्री बाल बनवाने कैम्पा मद से तीन करोड़ पचास लाख रूपए की स्वीकृति है। बावजूद इसके वनमण्डलाधिकारी की निष्क्रियता से बाउन्ड्रीबाल बनना तो दूर..असामाजिक तत्वों का प्रवेश लगातार बढ़ गया है।
निष्क्रियता की हद हो गयी कि जो कुछ वन विभाग के पास है उसे भी नहींं सहेज पा रहा है।