खानापूर्ति बनकर रह गयी जिला पंचायत की बैठक…मनुहार के बाद आए गिने चुने सदस्य…कृषि अधिकारी को बनाया निशाना

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–जिला पंचायत की महत्वपूर्ण बैठक खानापूर्ति बनकर रह गयी। आधे से ज्यादा सदस्य समान्य सभा से नदारद रहे। काफी मनुहार के बाद 11 सदस्य ही सामान्य तक पहुंचे। इसमें बीजेपी के मात्र 6 सदस्यो ने ही हिस्सा लिया। जबकि 5 कांग्रेस सदस्यों ने ही भाग लिया। इसके अलावा विधायकों के प्रतिनिधियों जिला पंचायत की कुर्सी को गरम किया। 12 बजे शुरू होने वाली सामान्य सभा की बैठक 2 बजे शुरू हुई।

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                          जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक औपचारिक बनकर रह गयी। एक बार फिर जनप्रतिनिधियों ने जनहित के मुद्दों को बहुत ही लापवाही लिया है। महत्वपूर्ण बैठक में सत्ता पक्ष के गिने चुने मात्र 6 जनप्रतिनिधियों ने ही हिस्सा लिया। पांच कांग्रेसी समर्थक नेताओं ने अधिकारियों की जमकर क्लास ली। बाकी सदस्यों ने जनप्रतिनिधि भेजकर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री किया।

           जानकारी के अनुसार जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक सोमवार को दोपहर 12 बजे से शुरू होना था। लेकिन कोई भी सदस्य सामान्य सभा की बैठक में नहीं पहुंचा। कांग्रेस जनप्रतिनिधियों ने बताया कि सामान्य सभा बैठक की जानकारी उन्हें नहीं दी गयी थी। फोन से जानकारी मिलने के बाद बैठक में आये हैं।

  कहां जाता है इतना पौधा

                   जितेन्द्र पाण्डेय और रमेश कौशिक ने वन विभाग अधिकारी का बैठक के दौरान जमकर घेराव किया । जितेन्द्र और रमेश कौशिक ने वन अधिकारी से  पूछा कि आखिर हर साल लगने वाले लाखों करोडों पेड़ जाते कहां हैं। हर साल पौधरोपण अभियान चलाकर करोड़ों रूपए फूंक दिये जाते हैं। दूसरे साल उससे अधिक और व्यापक स्तर पर पौधरोपण अभियान चलाया जाता है। नेताओं ने सवाल किया कि आखिर इतने पेड़ जाते कहां हैं। यदि लगाए जातें है तो उनका संरक्षण क्यों नहीं किया जाता। क्या वन विभाग अधिकारी केवल खाना पूर्ति के लिए वन महोत्सव और पोधरोपण अभियान चलाते हैं। अब तक इतने पौधे लगाए जा चुके हैं कि जिले में कांक्रीट की जगह पेड़ों का जंगल हो जाना था। पिछले साल में लगाए गए पौधों की जानकारी मांगते हुए नेताओं ने कहा कि इस साल विभाग ने पौधरोपण कितना लक्ष्य रखा है। और उसे बचाने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं।

                                  जितेन्द्र और रमेश ने बताया कि हर साल कुआं के एक गांव में हजारों की संख्या में धूमधाम से पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन एक भी पौधा पेड़ नहीं बन सका है। आखिर जनता की गाढ़ी कमाई को क्यों बरबाद किया जा रहा है।

सूखा राहत और फसल बीमा वितरण पर बवाल

                     कांग्रेस जनप्रतिनिधियों समेत भाजपा नेताओं ने फसल बीमा को लेकर जमकर बवाल काटा। कृषि विभाग अधिकारी का घेराव कर फसल बीमा और सूखा राहत राशि वितरण की जानकारी देने को कहा। नेताओं ने बताया कि ब्लाक के ज्यादातर गांवों में आज तक किसानों को ना तो फसल बीमा की राशि मिली और ना ही सूखा राहत का पैसा ही मिला। ऊपर से किसानों को आत्महत्या से मजबूर किया जा रहा है। नेताओं ने कहा कि एजेन्सियों को फायदा पहुंचाने के लिए बीमा कराने का दबाव बनाया गया। अब बीमा एजेन्सियां बीमा राशि देने में आना कानी कर रहे हैं।

                      कृषि  अधिकारी का घेराव करते हुए नेताओं ने वाटर शेड़ घोटाला को भी उछाला। नेताओं ने कहा कागज पर पांच करोड़ का लागत शेड बना दिया गया है। जमीन पर कहीं देखने को नहीं मिल रहा है। इस बीच जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी फरिहा सिद्धीकी ने बताया कि वाटर शेड निर्माण को लेकर तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है।जल्द ही रिपोर्ट पेश किए जाने की बात कही।

तमाशा बनकर रह गयी सामान्य सभा की बैठक

                      बहरहाल जिला पंचायत की सामान्य सभा को खासकर भाजपा नेताओं ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया। गिने चुने प्रतिनिधियों ने ही हिस्सा लिया। दीपक साहू को बार बार फोन कर प्रतिनिधियों को बुलाना पड़ा। इस दौरान यह भी समझ में आया कि जिला पंचायत अधिकारियों ने भी बैठक को बहुत गंभीरता से नहीं लिया। यही कारण है कि ज्यादातर प्रतिनिधियों ने हिस्सा नहीं लिया।

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