लोरमी ( योगेश मौर्य ) । राज्य शासन लगातार पंचायत में विकास कार्यो के लिए जोरो से कार्य करा रही है । जिसके लिए पंचायत के खातों में पर्याप्त राशि भेजी जाती है । लेकिन उसी राशि को पंचायत के जनप्रतिनिधि गबन करने में लगे हुए है। जिसकी शिकायत अधिकारियों से की जाती है . जिस पर जाँच तो की जाती है । लेकिन खुद जाँच अधिकारी ही उस पंचायत में जाँच के नाम पर खानापूर्ति करके ठीक तरीके से जाँच नही करते है। और जब जाँच के बाद रिपोर्ट उच्च अधिकारी को दी जाती है तो भी उनके द्वारा कोई कार्यवाही नही की जाती। जिससे परेशान होकर पंचायत के बाकी जनप्रतिनिधि सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लगाते है।
यह मामला लोरमी जनपद पंचायत के ग्राम बाँधा का है । जहाँ के सरपंच ने विकास कार्यो के नाम पर जमकर भ्र्ष्टाचार किया । जिसकी बकायदा शिकायत भी हुयी और जाँच भी की गयी । लेकिन जाँच के नाम सिर्फ खानापूर्ति की गयी। लोरमी जनपद पंचायत का हाल ये है कि अगर किसी पंचायत के भ्रष्टाचार से जुडी शिकायत की जाती है तो वही शिकायत जनपद के उच्च अधिकारी और जाँच अधिकारियो का कमाई का जरिया बन जाता है। जाँच के नाम पर लोरमी जनपद में जिन अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है वे भी अपनी कमीशनखोरी के चक्कर में सरपंच को बचाने के लिए आधे अधूरे जाँच कर रिपोर्ट उच्च अधिकारी को सौंप देते है जहाँ से भी सरपंच के ऊपर कार्यवाही नही की जाती।
बाँधा क्षेत्र के जनपद सदस्य राजेश चन्द्राकर ने जाँच अधिकारियो पर आरोप लगाते हुए कहा कि उस पंचायत में करीब 6 से 7 लाख की गड़बड़ी हुयी है । जिसे जाँच में महज डेढ़ लाख रूपये की रिकवरी का रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारियों को दे दिया गया। वही रिपोर्ट देने के बाद भी आज तक किसी प्रकार की कोई रिकवरी नही की गयी । जिससे परेशान होकर पंचायत के बाकी पंचों ने सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लगाने हेतु लोरमी sdm को आवेदन प्रस्तुत किया है। और उनकी मांग है कि दोषी सरपंच सहित उन जाँच अधिकारियो पर कार्यवाही होनी चाहिए।