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रायपुर।बच्चों में बारी के प्रति रुचि जगाने और पर्यावरण संरक्षण का भाव उत्पन्न करने छत्तीसगढ़ के प्रत्येक स्कूल में अब किचन गार्डन विकसित होगा। गार्डन में उत्पादित सब्जियों का उपयोग मध्यान भोजन के लिए किया जाएगा। शहरी क्षेत्र के स्कूलों में जगह नहीं होने पर गमलों में नार वाली सब्जियां उगाई जाएंगी। राज्य सरकार के नरवा,गरवा,घुरवा अउ बारी कार्यक्रम के तहत स्कूलों में किचन गार्डन तैयार किया जाएगा। शासन का मानना है कि किचन गार्डन से बच्चे ना केवल कार्य में प्रशिक्षित होंगे।बल्कि उनमें बारी के प्रति लगाव भी उत्पन्न होगा।जिससे बच्चे जागरुक होकर अपने घर में भी इसे कर पाएंगे। इससे बच्चों का प्रकृति के प्रति रुझान बढ़ेगा और उनमें पर्यावरण को संरक्षित करने का भाव भी उत्पन्न होगा ।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे
किचन गार्डन में हरी और पौष्टिक सब्जियों का उपयोग मध्यान भोजन के लिए होग। किचन गार्डन का विकास नरेगा से किया जाएगा। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी जिलों के कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखा है लोक शिक्षण संचालक एस प्रकाश द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार राज्य के सभी जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र और उद्यानिकी विभाग के वैज्ञानिकों और अधिकारियों के सहयोग से स्कूलों के बच्चों शिक्षकों, पालको, स्थानीय महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षित कर गांव के लिए मॉडल बारी का विकास शाला में किया जाएगा।
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बारी में ताजी और पौष्टिक सब्जियों का उपयोग शाला में मध्यान्ह भोजन योजना में होगा। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। होने वाली आय का उपयोग शाला प्रबंधन समिति स्कूल के विकास में कर सकेगी।वहीं शहरी क्षेत्रों में जिन स्कूलों में जगह उपलब्ध नहीं होगी। उनमें गमलों में नार वाली सब्जियां जैसे लौकी, तुरई ,करेला का रोपण स्कूल में वाटिका विकसित कर किया जाएगा। बता दें कि हर साल लगभग 28 से 30 लाख बच्चे मध्यान्ह भोजन करते है