छत्तीसगढ़ में नदियों के लिए ठोस नीति जरूरी

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IMG-20160617-WA0092बिलासपुर। “रिवर और सिवरेज सिस्टम सेपरेट नहीं होने के कारण देश की नदियां मैला ढ़ोने वाली मालगाड़ियां बन गई हैं।ये बात आज मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेन्द्र सिंह ने बिलासपुर में पर्यावरण प्रेमियों से कही । उन्होंने कहा लातूर में उपजा जल संकट बारिश की कमी के कारण नहीं अलबत्ता फसल और वर्षा के बीच बिना विचारे फसलचक्र में अधिक गन्ना उत्पादन की वजह हुआ।
राजेन्द्र सिंह यहां अरपा बचाओ के चल रहे अभियान में पहुंचे थे। उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ में नदी सम्बंधित ठोस नीति आवश्यक है। कभी पानी का सम्बन्ध वोट की राजनीति से इतना नहीं जुड़ा था। पर आज सीएम भी जानते हैं क़ि पानी की समस्या वोट का कबाड़ा कर सकतीं है।
जब तक भारत में नीर नारी और नदी का सम्मान था वो विश्व गुरु रहा। आज 2लाख65हज़ार गांव मे पीने के लायक नहीं। अरपा नदी को रेगिस्तान सा देख वो बोले 13 बरस हुए जब मैं यहाँ आया तब नदी में पानी था। आज इसके रेत उड़कर आसपास को बंजर बना सकती है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय नदियो के उदगम् स्थल से पांच सौ मीटर और राज्य की नदियों में दौ सौ मीटर दूर तक दोनों किनारों में कोई निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए। अरपा से रेत निकलना,नदी के मौलिक स्वरूप से छेड़छाड़, नदी में कचरा या नाले का पानी बन्द होंना चाहिए।तभी ये नदी दम तोड़ने से बचेगी।
राजेन्द्र सिंह ने अपने गुरु से किस तरह पानी बचाने की तीन दिनी शिक्षा ली बताना शुरू की, पर इस बीच में सात फिर पांच मिनट की फ़िल्म दिखने के कारण बात पूरी न हो सकी।
उनसे सवाल जवाब का सिलसिला जम नहीं पाया।
आइएमए हाल में आयोजित इस व्याख्यान में, आनंद मिश्रा,नथमल शर्मा, डा सोमनाथ यादव,नवलशर्मा, सत्य भामा अवस्थी, प्रथमेश मिश्रा,राम सोमवार,गौतम,पत्रकार रतन जैसवानी आदि जनों की गरिमापूर्ण उपस्थित रही। शुरुवात मे अग्रज नाट्य दल की जल संरक्षण पर सामूहिक गान की प्रस्तुति लाजवाब रही।

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