छत्तीसगढ़ बना देश में सर्वाधिक मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी करने वाला राज्य,ट्राईफेड ने जारी किए आंकड़े

Shri Mi
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पुलिस अकादमी चंदखुरी, दीक्षांत समारोह, 29 सितम्बर,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मुख्य अतिथि

रायपुर।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से छत्तीसगढ़ देश में सर्वाधिक मूल्य की लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाला राज्य बन गया है। “द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया” (ट्राईफेड) द्वारा जारी किए गए आंकड़ांे के अनुसार छत्तीसगढ़ में अब तक 18 करोड़ 63 लाख रूपए से अधिक मूल्य की लघु वनोपजों की वनवासियों और ग्रामीणों से खरीदी की गई है, जो देश के सभी राज्यों में सर्वाधिक है। छत्तीसगढ़ के अलावा केवल दो राज्यों झारखण्ड और ओडिशा में लघु वनोपज की खरीदी का काम प्रारंभ हुआ है। ट्राईफेड के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में अब तक 18 करोड़ 67 लाख 26 हजार रूपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है, इसमें से अकेले छत्तीसगढ़ में 18 करोड़ 63 लाख 82 हजार रूपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है। झारखण्ड में 3 लाख 39 हजार रूपए और ओड़िसा में 5 हजार रूपए की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है।सीजीवालडॉटकॉम NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये और रहे देश प्रदेश की विश्वसनीय खबरों से अपडेट

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प्रदेश में लघु वनोपजों का यह आंकड़ा लगतार बढ़ रहा है। राज्य सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू सीजन के दौरान छत्तीसगढ़ में अब तक एक लाख 32 हजार 272 संग्रहकों से लगभग 21 करोड़ रूपए मूल्य की 72 हजार 727 क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण किया जा चुका है। कोरोना लॉकडाउन के कारण संकट की इस घड़ी में सरकार द्वारा लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और नगद भुगतान की प्रक्रिया से वनांचल के वनवासी-ग्रामीणों को काफी राहत मिल रही है। साथ ही वनोपजों के संग्राहकों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ गए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वर्ष 2015 से वर्ष 2018 तक मात्र सात वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही थी। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा वनवासी ग्रामीणों के हित को ध्यान में रखते हुए खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या बढ़ाकर 22 कर दी गई थी, जिसे अब बढ़ाकर 23 कर दिया गया है।

राज्य में चालू वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत संग्रहित लघु वनोपजों में इमली (बीज सहित), पुवाड़ (चरोटा), महुआ फूल (सूखा), बहेड़ा, हर्रा, कालमेघ, धवई फूल (सूखा), नागरमोथा, इमली फूल, करंज बीज तथा शहद शामिल हैं। इसके अलावा बेल गुदा, आंवला (बीज रहित), रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, फुल झाडु, चिरौंजी गुठली, कुल्लू गोंद, महुआ बीज, कौंच बीज, जामुन बीज (सूखा), बायबडिंग तथा साल बीज आदि लघु वनोपजें भी इसमें शामिल हैं।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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