छोटे पार्षद ने कहा..नेता तो बहुत आए.. देवता नहीं..नायक ने कहा..अध्यक्ष से ऊपर थे..कार्टर ने बताया..सब चला गया

BHASKAR MISHRA
3 Min Read

बिलासपुर— शेख गफ्पार के निधन पर चारो तरफ शोक का वातावरण है। सभी की आंखे नम और दिल पीड़ा से भरा हुआ है। निगम नेता प्रतिपक्ष शेख नजरूद्दीन ने कहा..पार्टी में नेता बहुत आए..लेकिन देवता नहीं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष नायक ने बताया उनका दिशा निर्देश अंतिम होता था। कार्टर ने कहा मैने तो सब कुछ खो दिया। बताने के लिए अब मेरा पास कुछ रह ही नहीं गया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

Join Our WhatsApp Group Join Now

नेता तो बहुत आए..देवता नहीं..छोटे

                             शेख गफ्फार के निधन पर शोक जाहिर करते हुए नगर निगम नेता प्रतिपक्ष शेख नजरूददीन ने कहा…क्या बताउं..उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। वह कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के बड़े नेता थे। नेता तो आते रहते हैं..और चले भी जाते हैं। लेकिन गफ्फार जैसा नेता…नेता नहीं बल्कि देवता था। वह अब कभी नहीं आएगा। हमने अपना बड़ा भाई..सच्चा हिन्दुस्तानी व्यक्ति खो दिया। उनका हर आदेश पार्टी के नेता सिर आंखों पर रखते थे। उनसे जरूर पूछिए कि शेख गफ्फार क्या थे…शायद यही उत्तर मिलेगा..वह नहीं देवता थे।

उनकी बातें पत्थर की लकीर…नायक

                                 जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद नायक ने बताया कि शेख गफ्फार को तिरंगा से बहुत प्यार था। तिरंगा से प्यार तो सबको होता है।  लेकिन शेख गफ्फार भाई का तिरंगा के प्रति लगाव कुछ अलग ही था। जब भी तिरंगा लहराते हुए देखते..उनका चेहरा खिल जाता था। वह तिरंगा को लेकर हमेशा गंभीर रहते थे। गफ्फार से लम्बे समय से जुड़ाव रहा है। जिला अध्यक्ष बनने के बाद उनसे हमेशा मार्गदर्शन लेता रहा। निगम चुनाव के दौरान दो एक गंभीर मसला सामने आया। उन्होने समस्या को बड़ी ही सहजता से सुलझा दिया। नायक ने कहा विवाद की स्थिति में दोनो पक्ष जब भी गफ्फार भाई के सामने गया। उनका निर्णय खुशी से स्वीकार किया गया है। वह सबकी बात ध्यान से सुनते..इसके बाद उन्होने जो कहा..पार्टी ही नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर लोग उन्हें गुलते भी थे।

मेरा तो सब कुछ चला गया..रेड्डू

                      शेख गफ्पार के अंतिम समय तक नजदीक रहे पार्षद कार्टर रेड्डू ने बताया कि मैंने अपना सब कुछ खो दिया है। अब मेरे पास कहने और सुनने के लिए कुछ नहीं रह गया है। मैने अपना पिता खो दिया है। शेख गफ्फार मेरे लिए क्या कुछ नहीं थे..बताना मुश्किल है। मेरे सामने उनके जाने के बाद अंधेरा छा गया है। मैं कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हूं।

 

close