बिलासपुर—बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस टी.पी.शर्मा आज सेवानिवृत हो गए। हाईकोर्ट के जस्टिस टी.पी शर्मा ने मीडिया से खास बातचीत करते हुए अपने न्यायालयीन जीवन के संघर्ष और अनुभव को साझा किया। सेवानिवृत जस्टिस टी पी शर्मा ने बताया कि उनके जीवन में भावुकता या खुशी ज्यादा मायने नहीं रखती। क्योंकि इससे कहीं ना कहीं एक जज प्रभावित हो सकता है।
जजों में ईमानदारी और निष्पक्षता के गुण का होना सबसे ज्यादा जरूरी है। जस्टिस टी.पी शर्मा ने कहा कि यह मूलभूत गुण जजों में होनी ही चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करके कोई जज समाज के ऊपर एहसान नहीं करता। टी पी शर्मा ने अपने जीवन के संघर्ष के नाजुक पलों को भी मीडिया के सामने रखते हुए कहा कि उनके जीवन में कर्म का बहुत महत्व रहा है और कर्म में यकीन करके ही वो आज जज जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभा पाए हैं।
जस्टिस शर्मा का जन्म 19 जून 1953 को रायपुर में हुआ था.रायपुर से ही जस्टिस शर्मा ने हायर सेकेंडरी की परीक्षा पूरी की थी.इसके बाद रायपुर के ही साइंस कालेज से 1973 में विज्ञान से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जस्टिस शर्मा ने 1976 में विधि स्नातक की उपाधि भी हासिल की।1977 में वे अधिवक्ता परिषद से जुड़े और व्यवहार न्यायालय रायपुर से वकालत की शुरुआत की। 1977 में ही वे व्यवहार न्यायाधीश द्वितीय श्रेणी के पद पर चयनित हुए। 1991 में उच्च न्यायिक सेवा के लिए पद्दोन्नत किए गये। इस बीच जस्टिस शर्मा ने छत्तीसगढ़ सरकार के विधि परामर्श सह मुख्य सचिव के रूप में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद 11 जनवरी 2008 को उन्होंने बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस के रूप में शपथ ग्रहण लिया था।