जम्मू कश्मीर को लेकर कोई विवाद नहीं ….जम्मू कश्मीर का विलय अन्य राज्यों की भांति पूर्णः ब्रजेन्द्र शुक्ला

Chief Editor
11 Min Read
आदिकाल से ही जम्मू कश्मीर आज भारतवर्ष का अभिन्न अंग रहा है | भारत के महान सम्राट अशोक ने जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर वितस्ता नदी के तट पर तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित की थी | कल्हण द्वारा रचित ऐतिहासिक ग्रंथ राजतरंगिणी जो कि विश्व की प्राचीनतम ग्रंथों में से एक है या ग्रंथ जम्मू कश्मीर के इतिहास का प्राचीन प्रमाणिक ग्रंथ है । भारत का यह मुकुट राज्य सनातन धर्म की तपो एवं पवित्र भूमि रहा है | शैव, बौद्ध एवं साहित्य संप्रदाय की भी स्थली रहा है आचार्य अभिनवगुप्त की तपोभूमि जम्मू कश्मीर से ही शैव दर्शन की पवित्र सरिता संपूर्ण दुनिया में प्रवाहित हुई | बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र होने के कारण कुशानवंश के शासक कनिष्क ने पहली शताब्दी में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन जम्मू कश्मीर में किया था | चौदहवीं शताब्दी में यहां पर मुस्लिम आक्रमणकारियों यहां पर शासन प्रारंभ किया | धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले इस मनोरम स्थल पर मतारंतरण का कार्य प्रारंभ किया |अनेक धार्मिक एवं पवित्र स्थानों को समाप्त करने का हरसंभव सफल प्रयास किया गया |असफल प्रयास इसलिए लिख रहा हूं कि आज भी कश्मीरी संस्कृति भारतीय संस्कृति की पूरक संस्कृति है न की प्रतिसंस्कृति | कालांतर में ब्रिटिश शासकों ने कूटनीतिक तरीकों से जम्मू कश्मीर को भारत से पृथक करने हेतु अलगाववादी विचारों को प्रोत्साहित किया |
जम्मू कश्मीर राज्य कुछ जम्मू कश्मीर समस्या के तौर पर अंतरराष्ट्रीय पटल पर रखा जाता है किंतु जम्मू-कश्मीर कोई समस्या नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर भारत का वैसे ही एक राज्य है जैसे भारत संघ के अन्य राज्य हैं |जम्मू-कश्मीर विषय पर प्रचलित मिथक धारणाएं अपर्याप्त एवं सतही जानकारियां जो जम्मू-कश्मीर के संग रहों में लेखकों,राजनेताओं सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं समाज के अन्य प्रबुद्ध जनों के द्वारा की जाने वाली व्याख्या-ए-आम जनमानस के मानसिक पटल पर विवादित चित्र प्रस्तुत करती है |इस वाक्य को समझने के लिए वस्तुनिष्ठ वैज्ञानिक तथा त्वरित विश्लेषण करना जरूरी है |वोट बैंक की राजनीति एवं मजहब और संप्रदायों के संदर्भ में बात कर इसे समझना कठिन है या तो राष्ट्र की संप्रभुता एकता एवं अखंडता से जुड़ा विषय है इसे संवैधानिक दृष्टिकोण से देखा वह समझा जाना चाहिए।
प्राकृतिक दृष्टि से जम्मू कश्मीर को जम्मू चार भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है | प्रथम जम्मू क्षेत्र, द्वितीय कश्मीर क्षेत्र ,तृतीय युद्ध क्षेत्र, चतुर्थ गिलगित बलूचिस्तान जिस में क्षेत्रफल की दृष्टि से लद्दाख सबसे बड़ा क्षेत्र एवं कश्मीर सबसे छोटा भूभाग है फिर भी मानवीय मस्तिष्क में शेष भूभाग को छोड़कर केवल कश्मीर का नकारात्मक चित्रण प्रस्तुत किया जाता है | गिलगित स्थान जो 6 देशों की सीमाओं को स्पर्श करता है या मध्य एशिया को दक्षिण एशिया से जोड़ने वाला दुर्गम क्षेत्र है जो सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है ,1947 में पाकिस्तान ने आक्रमण कर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है इसे वर्तमान में पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है।
जम्मू-कश्मीर राज्य का विलय 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारतवर्ष में कर दिया | जम्मू कश्मीर का विलय राजा हरि सिंह ने उसी वैधानिक विलय पत्र पर किया जिसके आधार पर अन्य सभी देशों, रियासतों का विलय भारत में हुआ था |भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल माउंटबेटन ने उस पर हस्ताक्षर भी किए थे |महाराजा हरि सिंह द्वारा हस्ताक्षरित जम्मू कश्मीर के विलय पर संबंधित अनुच्छेद जो जम्मू कश्मीर राज्य को भारत में विलय को पूर्ण एवं अंतिम दर्शाते हैं वह इस प्रकार हैं, अनुच्छेद है 1 -मै एतद द्वारा घोषणा करता हूं कि मैं भारतवर्ष में इस उद्देश्य से शामिल होता हूं कि भारत के गवर्नर जनरल अधिराज्य का विधानमंडल ,संघीय न्यायालय तथा अधिराज्य के उद्देश्य से स्थापित अन्य कोई भी अधिकरण मेरे इस विलय पत्र के आधार पर किंतु हमेशा इसमें विद्यमान अनुबंध के अनुसार राज्य प्रयोजनों से ही कार्य का निष्पादन करेंगे | 2- मैं एतद द्वारा घोषणा करता हूं कि मैं इस राज्य की ओर से इस विलय पत्र का क्रियान्वयन करता हूं तथा इस पत्र में मेरे या इस राज्य शासक के किसी भी उल्लेख में मेरे वारिसों या उत्तराधिकारियों उल्लेख भी अभिप्रेरित है |उपरोक्त तथ्यों के साथ महाराजा ने अपने पत्र में कहा कि -मेरे इस विलय पत्र की शर्तें भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के किसी भी संशोधन द्वारा परिवर्तित नहीं की जाएगी | जब तक कि मैं इस संशोधन को इस विलय पत्र के पूरक में स्वीकार नहीं करता।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 ब्रिटिश संसद द्वारा 17 जून 1947 को पारित किया गया |जिसे 18 जुलाई को सह स्वीकृति प्राप्त हुई इस अधिनियम के अनुसार 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई तथा ब्रिटिश डोमिनियन के एक भाग को काटकर नवगठित राज्य पाकिस्तान का उदय हुआ | इस अधिनियम से ब्रिटिश भारत की रियासतें अंग्रेजी राज्य की प्रभुसत्ता से मुक्त तो हो गई किंतु उन्हें राष्ट्र का दर्जा नहीं दिया गया था, साथ ही सुझाव दिया गया कि भारत या पाकिस्तान पर जुड़े रहने पर ही उनकी भलाई है भारतीय शासन अधिनियम 1935 से भारतीय स्वाधीनता अधिनियम 1947 में शामिल किया गया | इसके अनुसार के संबंध में निर्णय का अधिकार राज्य के राजा को दिया गया। जिसमें सशर्त विलय करने का कोई प्रावधान नहीं था इस तरह से जम्मू-कश्मीर राज्य का विलय पूर्ण है और जम्मू कश्मीर राज्य को लेकर कोई विवाद नहीं है|
जम्मू-कश्मीर राज्य का कानून जिसे प्रचलित भाषा में जम्मू-कश्मीर का संविधान कह कर संबोधित करते हैं | 26 जनवरी 1957 को लागू कर दिया गया ,जम्मू कश्मीर के संविधान के धारा 3 के अनुसार जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है जम्मू कश्मीर के संविधान की धारा 4 के अनुसार जम्मू कश्मीर राज्य का अर्थ वह भाग है जो 15 अगस्त 1947 तक राज्य के राजा के आधिपत्य की प्रभुसत्ता में था | उल्लेखनीय है कि तिब्बत क्षेत्र भी डोंगरवंश के राजा हरिसिंह की प्रभुसत्ता में था इस दृष्टि से तिब्बत भी भारत का अभिन्न अंग है इस संविधान की धारा 147 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि धारा 3 वह धारा 4 तथा धारा 147 को कभी बदला नहीं जा सकता | यहां तक कि राज्य विधानमंडल के समक्ष इस संबंध में कोई भी विचार प्रस्तुत भी नहीं किया जा सकता |
अब हमें इस बात को समझना चाहिए जो देश जम्मू कश्मीर राज्य कों अपना बता कर उसे भारत का अभिन्न अंग मानने से हमेशा अस्वीकार करता है तथा इसका ढिंढोरा विश्व में पीटता है ऐसा देश पाकिस्तान के ही संविधान में जिसे वहा के ही तत्कालीन नेताओं ने लिखा उसमे कहीं भी जम्मू-कश्मीर राज्य को अपना राज्य नहीं माना है |वास्तव में अगर विश्व में पाकिस्तान को जिंदा बने रहना है तो उसके लिए वह कश्मीर की राग छोड़ नहीं सकता | पाकिस्तान के इस मत का समर्थन करने वाले कुछ लोग भारत के भीतर ही हैं जिस कारण यह राज्य विवाद का विषय बना हुआ है | मीडिया में डिबेट हेतु इन्हीं लोगों को बुलाया जाता है ताकि यह जम्मू कश्मीर के संदर्भ में प्रचलित मिथकों को प्रचारित कर सके।
वस्तुतः जम्मू कश्मीर पर अनेक अंतरराष्ट्रीय शक्तियों की पैनी नजर है उसके प्रमुख कारण है गिलगित बलूचिस्तान जो अनेक देशों की सीमा को स्पर्श करता है | इस पर नियंत्रण का मतलब है कि वैश्विक व्यापार एवं सामरिक रणनीति पर नियंत्रण, यह प्रदेश प्राकृतिक गैस एवं अनेक प्रकार की खनिज संपदा से समृद्ध है इसके साथ ही साथ आने वाले समय जल संकट का समय होगा जिसका समाधान जम्मू कश्मीर के ग्लेशियर होंगे | इसके अलावा चीन कूटनीतिक तरीके से पाकिस्तान को लेकर जम्मू कश्मीर पर अनाधिकृत प्रवेश करने का प्रयास कर रहा है |चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने का चीन लगातार प्रयास कर रहा है जिसका विरोध शुरू से भारत करता चला आ रहा है |जनसंख्या आधिक्य चीन की प्रमुख समस्या है जिसका सही समायोजन करने का हल चीन के पास नहीं है ,पूर्वी चीन विकसित एवं वाला क्षेत्र है इस अवधि को चीनी क्षेत्र में स्थापित करने का प्रयास कर रहा है | इस निजी स्वार्थ के कारण चीन पाकिस्तान को मोहरा बनाकर जम्मू कश्मीर पर नजर रखे हुए हैं | पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के नाम पर नई संस्कृति गाड़ी जा रही है जो वास्तव में अलगाववाद है, यह आजादी एवं अलगाववादी घटना घटित हो रही है इसमें निर्दोष लोग मारे जाते हैं |वास्तव में जम्मू कश्मीर राजनीतिक विषय रहा है किंतु अभी से सामाजिक जनजागरण द्वारा सामाजिक विषय बनाकर भारतीय समाज कों सामने आना होगा | भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि आपसी सद्भाव एवं समरसता को बढ़ाते हुए अलगाववादी विचार एवं राष्ट्रीय विचारों के मध्य संघर्ष में राष्ट्रीय विचारों का समर्थन करें| जम्मू कश्मीर राज्य का राजनीतिक एकीकरण तो आजादी के बाद ही हो गया था किंतु सामाजिक सांस्कृतिक एकीकरण की आवश्यकता आज भी देश के नागरिकों द्वारा अपेक्षित है ।
( जम्मू कश्मीर विलय दिवस पर विशेष )
ब्रजेन्द्र शुक्ला
प्रांत सचिव,
जम्मू कश्मीर  अध्ययन केन्द्र बिलासपुर
close