मिल गया शिक्षा विभाग का चोरी गया पद…नई तबादला नीति और शर्तों पर होगा बंटवारा…क्योंकि आज भी कायम है बाबू का जलवा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–– जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ट्रांसफर उद्योग और मिलावट खोरी का धंधा बंद होने का नाम ही नही ले रहा है। यद्यपि कलेक्टर के आदेश पर बाबुओं का टेबल सालों साल बाद बदला गया। लेकिन बदले गए स्थापना शाखा के पुराने बाबू का दबदबा आज भी कामय है। लेन देन का कारोबार आज भी पुराने बाबू के संरक्षण में ही फल फूल रहा है।
              विश्वस्त सूत्रों की माने तो जिला शिक्षा अधिकारी का कंधा स्थापना शाखा का पुराना बाबू आज भी बहुत ही चतुराई से कर रहा है। या यूं कहे कि बाबू और जिला शिक्षा अधिकारी मिलकर नए पैटर्न में तबादला उद्योग को संचालित कर रहे हैं…तो कोई अनूठी बात नहीं होगी। मंगलवार को संशोधित सूची जारी होने वाली है…यह वह सूची है जिसे सोमवार को जारी होना चाहिए था। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी सरकारी दौरे पर गौरेला पेन्ड्रा में थे…इसके चलते संशोधन सूची जारी नहीं हो पायी। जानकारी है कि यह सूची आज यानि मंगलवार को पुरानी तारीख पर जारी हो जाएगी।
विभाग की नई तबादला उद्योग नीति
                               बताते चलें कि शासन ने स्थानांतरण के समय शिक्षकों का तबालदला स्कूल नाम से किया। 21 और 22 सितम्बर को जारी सूची में कुछ ऐसे भी शिक्षकों के नाम है जिन्हें स्कूल बताने का जिम्मा जिला शिक्षाधिकारी को दिया गया। जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने अधिकारो का प्रयोग करते हुए 3 सितम्बर को सूची भी जारी कर दिया। चूंकि करीब एक दर्जन शिक्षक जिला शिक्षाअधिकारी और बाबू से लगातार सम्पर्क में थे…इसलिए उन्हें मनपसंद स्कूल को थमा दिया गया। कुछ ऐसे भी शिक्षक भी थे…जिन्हें बिलासपुर जिला शिक्षा विभाग कार्यालय की रीति और नीति की जानकारी नहीं थी..उन्हें दूर दराज स्कूल भेज दिया गया। बाद में स्थानांतरित हुए शिक्षकों को बिलासपुर जिला शिक्षा कार्यालय की रीति  नीति की जानकारी हुई। उन्होने पुराने बाबू के माध्यम से जिला शिक्षा विभाग प्रमुख से सम्पर्क किया। कुछ शर्तों के साथ आश्वासन मिला की बाद में सम्पर्क में आने वाले सभी शिक्षकों को मनपसंद स्कूल संशोधन सूची में दे दिया जाएगा। लेकिन इसके लिए शिक्षकों को कुछ त्याग भी करना होगा।
                              शर्त माने जाने और त्याग के बीच सभी शिक्षकों को आश्वासन मिला कि 3 सितम्बर की सूची को संशोधित कर सोमवार को जारी किया जाएगा। मतलब संशोधित सूची को सोमवार 16 सितम्बर को जारी होना था। लेकिन साहब दौरे पर थे इसलिए सशोधित सूची  मंगलवार 17 सितम्बर को जारी होगी। लेकिन सब कुछ शर्त और त्याग के अनुसार ।
जानकर छिपाया पद..संशोधन में होगा बंटवारा
                  जानकारी हो कि जिला शिक्षा विभाग के चालाक बाबुओं ने शहर के करीब दर्जन भर पद को छिपा कर रखा है। इसका सीधा अर्थ है कि चालाक विभाग के बाबू और अधिकारियों ने पहले से ही फैसला कर लिया था कि शर्त मानने और त्याग करने शिक्षकों को ही छिपाए गए स्कूलों को दिया जाएगा। यही कारण है कि 3 सितम्बर को जारी सूची में बिना सौदा के दूर दराज भेजे गए शिक्षक अब समझौते के तहत शहर के स्कूल में नजर आएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। क्योंकि जो सूची 3 सितम्बर को जारी हुई थी…उसमें ज्यादातर शिक्षक आज भी बताए गए स्थान पर जाकर पदभार नहीं लिया है। मतलब साफ है कि मंगलवार को जब सूची जारी होगी उसमें पदभार नहीं लेने वाले सभी शिक्षक शहर या शहर के आस पास के स्कूलों में नजर आएँगे। मतलब उद्योग का नया फार्मूला पूरी तरह से कामयाब होते दिखाई दे रहा है।
बच्चों को पढ़ाई पर असर
                    बताते चलें कि निजी स्वार्थ और स्थानीय तबादला उद्योग से बच्चो की पढ़ाई चौपट हो रही है। पिछले पन्द्रह दिनों से शिक्षक या तो घर में आराम फरमा रहे हैं। या फिर जोड़ तोड़ में व्यस्त हैं…मतलब ज्वानिंग देने से बच रहे हैं। वहीं शाला के बच्चों को आज भी शिक्षकों का इंतजार  है। बच्चों की पढ़ाई काफी दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है। शिक्षा सत्र को तीन माह गुजर चुके हैं। आज तक स्थानांतरित जुगाड़ू शिक्षकों ने पदभार नहीं लिया है। मतलब साफ है कि इन जुगा़डू शिक्षकों को बच्चों की चिन्ता कम अपनी ज्यादा है। दरअसल सभी जुगाड़ू शिक्षकों ने पुराने बाबू से मिलकर शहर में रहने के लिए पूरी तरह से जोड़तोड़ कर लिया है।  जिससे बच्चो का भविष्य डैन्जर जोन में जाता नजर आ रहा है। क्योंकि जिस तरह से मार्गदर्शन के नाम पर पूर्व सूची के बहुत से शिक्षको को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ज्वाइनिंग दी गयी थी उन्होने अभी तक स्कूलों में पदभार नहीं लिया है। जाहिर सी बात है इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर पड़ रहा है।
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