06 May 2019
तैयार होते हैं उन्नत नस्ल के बछड़े..कलेक्टर ने किया ऐतिहासिक स्थल का भ्रमण…हजारों एकड़ में फैला है ब्रिटिशकालीन अस्तबल

कलेक्टर डॉ.संजय अलंग ने गौरेला पहुंचकर ब्रिटिश कालीन ऐतिहासिक पशु प्रजनन क्षेत्र का अवलोकन किया। अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचकर पकरिया पशु प्रजनन प्रक्षेत्र की गतिविधियों की विस्तार से जानकारी ली। संयुक्त संचालक पश चिकित्सा पाण्डेय ने बताया कि अंग्रेजी शासन काल में साल 1829 में पकरिया पशु प्रजनन प्रक्षेत्र को विकसित किया गया। पकरिया पशु प्रजनन क्षेत्र का निर्माण करीब ढाई हजार एकड़ क्षेत्र में किया गया है।
कलेक्टर को पाण्डेय ने बताया कि प्रजनन प्रक्षेत्र के 112 एकड़ में चारागाह, पशुओं के लिए शेड समेत अन्य आधारभूत संरचना का निर्माण किया गया है। वर्तमान में यहां 208 साहीवाल नस्ल की गाय और 400 बकरे, बकरियां रखी गई हैं। गांयों से प्रतिदिन 150 लीटर दूध का उत्पादन होता है। दूथ की खपत पेंड्रा-गौरेला क्षेत्र में होती है। पूरे छत्तीसगढ़ में विभागीय योजना के तहत हितग्राहियों को बकरा वितरण के लिए प्रक्षेत्र सेही आपूर्ति की जाती है।
कलेक्टर को बताया कि ब्रिटशकाल में प्रक्षेत्र का उपयोग घोड़ों के उपचार के लिए किया जाता था। बाद में पशु प्रजनन प्रक्षेत्र के रूप में विकसित किया गया। प्रक्षेत्र के भीतर मनरेगा योजना के माध्यम से स्टाप डेम का निर्माण किया गया है। पशुओं और चारागाह के लिए हमेशा पानी उपलब्ध रहता है। वन विभाग से अनुबंध कर चारागाह का विकास किया गया है। प्रक्षेत्र में बने बुलशेड में में बछड़ा पालन किया जाता है। राज्य के अन्य जिलों में उन्नत नस्ल के पशु प्राप्त करने के लिए बछड़ों को भेजा जाता है। प्रक्षेत्र में पशु चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों, कम्पाउंडर और किसानों को कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। कलेक्टर ने प्रक्षेत्र का भ्रमण कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
इस अवसर पर पेंड्रा रोड अतिरिक्त कलेक्टर व्ही.सी.साहू, संयुक्त कलेक्टर एस.के. गुप्ता, पेंड्रारोड एसडीएम मनोज कोसरिया, पशु चिकित्सा विभाग अधिकारी पाण्डेय विशेष रूप से मौजूद थे।