दीनदयाल कौशल केन्द्र के लिए एकमात्र चयनित सीवीआरयू का बढ़ा गौरव
बिलासुपर। वि.वि. अनुदान आयोग ने छत्तीसगढ़ के सिर्फ एक डाॅ.सी.वी.रामन् वि.वि. को सेंटर फाॅर नाॅलेज एक्यूविजिशन एंड अपग्रेटेशन और स्कीड वूमन एबिलिट्सि एंड लाइवली वुड स्थापित करने की अनुमति दी है। इसके लिए देश भर से कुल 708 वि.वि. और काॅलेजों ने यूजीसी के समक्ष प्रस्ताव दिया था, जिसमें कुल 65 संस्थानों को दीनदयाल कौशल केंद्र स्थापित करने की अनुमति प्रदान की गई है। इसमें छत्तीसगढ़ में सीवीआरयू में दीनदयाल कौशल केंद्र स्थापित किया जाएगा,जिसमें स्नातक से लेकर रिसर्च तक शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। केंद्र स्थापति करने का उद्देश्य उद्योगों में स्कील्ड मैनपावर देने के लिए शार्ट टर्म कोर्स,पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स और रिसर्च स्पेशलाइजेशन कोर्स कराया जाना है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए डाॅ.सी.वी.रामन् विश्व विद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप मानव संसाधन मंत्रालय और यूजीसी ने सेंटर फाॅर नाॅलेज एक्यूविजिशन एंड अपग्रेटेशन और स्कीड यूमन एबिलिट्सि एंड लाइवली वुड स्थापित करने के लिए प्रस्ताव मांगे थे। सरकार की मंशा है कि इसके माध्यम से मेनपावर तैयार किया जाए है। इन सेंटरों के माध्यम से डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, बैचलर आॅफ वोकेशनल एजुकेशन, मास्टर व रिसर्च स्तर तक शिक्षा का प्रवाधान किया गया है। श्री पाण्डेय ने बताया कि 12वी योजना के तहत देश भर में 100 दीनदयाल कौशल केंद्र स्थापित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी प्रक्रिया में यूजीसी ने प्रस्ताव मंगाया गया था, जिसमें देश भर के 708 विष्वविद्यालय व काॅलेजों ने प्रस्ताव दिया था। हर प्रदेश व वि.वि. के लिए गौरव की बात है कि प्रदेश में एक डाॅ.सी.वी.रामन् विश्व विद्यालय को चयन किया गया है। इसके लिए पूरी प्रक्रिया को वि.वि. ने पूरा किया है। मानव संसाधन मंत्रालय और यूजीसी के मापदंडों में वि,वि. खरा उतरा है। श्री पाण्डेय ने बताया कि सीवीआरयू पहले ही एनएसडीसी के कौशल विकास कार्यक्रम में काम कर रहा है और इसका अनुभव भी हैं। श्री पाण्डेय ने कहा कि हम सरकार व यूजीसी की कल्पना को साकार रूप देंगे और युवाओं के लिए बेहतर से बेहतर काम करेंगे। वि.वि. के सम-कुलपति ने इस सफलता के लिए सीवीआरयू परिवार को शुभकामनाएं दी।
कड़े दौर के बाद मिली सफलता-कुलसचिव
श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश के उच्च षिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, व उच्च शिक्षा सचिव डाॅ. बी.एल.अग्रवाल ने जब सभी वि.वि. की बैठक बुलाई थी, जिसमें मानव संसाधन मंत्रालय व यूजीसी के अध्यक्ष के पत्र का हवाला देते हुए दीनदयाल उपाध्याय कौशल केद्र को छत्तीसगढ़ में स्थापित करने की मंशा जताते हुए सभी वि.वि. को प्रस्तावित किया था। इसके बाद वि.वि. ने सभी मापदंडों को पूरा करने के बाद यूजीसी में प्रस्ताव जमा किया था। प्रस्ताव पर यूजीसी ने परीक्षण करने व प्रेजेंटेशन के लिए बुलाया था। जिसमें वि.वि. की योग्यता,अनुभव और कौशल विकास के लिए किए गए प्रयास और अधोसंरचना के संबंध में प्रश्न किए गए। श्री पाण्डेय ने कहा कि इसे छत्त्तीसगढ़ की बड़ी सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि दीनदयाल कौशल केंद्र छत्तीसगढ़ के ऐसे वि.वि. को मिल रहा है, जो ग्रामीण व अनुसूचित क्षेत्र में स्थापित है और यहां कौशल विकास की अपार संभावना है।
प्रथम चरण में बी.वोक और सभी कोर्स मल्टीपल
श्री पाण्डेय ने बताया कि केंद्र स्थापित किए जाने के बाद प्रथम चरण में बी वांेक कोर्स षुरू किया जाएगा। जिसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने सभी कोर्स को मल्टीपल रख गया है। इसमें बी वोक इन टेली कम्युनिकेषन और बी.वोक इन रिटेल मेनेजमेंट इन आईटी की पढ़ाई होगी। कोर्स कराने के बाद 100 प्रतिषत प्लेसमेंट दिया जाएगा। श्री पाण्डेय ने बताया किय यह छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए सुनहरा अवसर है कि यहां प्रदेष का पहला कौषल केद्र स्थापित किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा व उद्योगों के बीच सामंजस्य-डाॅ.दुबे
सीवीआरयू के सम-कुलपति डाॅ.आर.पी.दुबे ने बताया कि वह दौर चला गया जब शिक्षा व रोजगार अलग-अलग हुआ करते थे। शिक्षा पूरी होने के कई वर्ष बाद भी रोजगार की संभावना दिखाई नहीं पड़ती थी। अब इस दौर में उद्योगों और शिक्षा को जोड़कर काम करना होगा। योजना के अनुसार उच्च शिक्षा व उद्योगों के बीच सामंजस्य को भी शामिल किया गया है। इस केंद्र के माध्यम से सरकारी क्षेत्र व औद्योगिक संगठन के साथ लेबर मार्केंट इनफमेंशन के लिए काम करेंगे। इससे उद्योगों की जरूरत को ध्यान में रखेंगे और उद्योग भी आधुनिक तकनीकी शिक्षा के अनुसार तैयार हो सकेंगे।