निःशुल्क होगा सिकल सेल मरीज का परीक्षण..सिहारे हास्पिटल में मेगा कैम्प्स..जाने माने चिकित्सक करेंगे इलाज

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– सिकल सेल संक्रामक नहीं आनुवंशिक बीमारी है। लगातार इलाज से सिकल सेल की मार से काफी कुछ हद तक बचा सकता है। बार बार ब्लड चढ़ाने की जरूरत नहीं होती है। मरीज को भी राहत होती है। बच्चे का विकास भी ठीक से होता है। माता पिता की परेशानियां भी खत्म हो जाती है। मरीज लम्बी जिन्दगी सुख के साथ जीता है। यह बातें बच्चों के मशहूर चिकित्सक डॉ.प्रदीप सिहारे ने कही। डॉ.सिहारे ने कहा कि 22 अप्रैल को सिकल सेल एनिमिया कैम्प का आयोजन सिहारे चिल्ड्रन हास्पिटल में किया जाएगा। सिकल सेल मरीजों का निशुल्क इलाज और परीक्षण किया जाएगा। कैम्प का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। ऐसा प्रयास किया जा रहा है। कैम्पस में प्रदेश के मशहूर डॉक्टरों की टीम सिकल सेल मरीजों का इलाज करेगी।

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                                        बच्चों के माता पिता में अच्छे खासे मशहूर डॉ.प्रदीप सिहारे ने बताया कि सिकल सेल लाइलाज बीमारी है। मरीजों को काफी आर्थिक और शारीरिक के साथ मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इन्ही बातों को ध्यान में रखकर 22 अप्रैल को पुराना बस स्टैण्ड स्थित सिहारे क्लिनिम में सिकले सेल जांच के लिए विशाल कैम्प का आयोजन किया गया है। सिहारे ने बताया कि यह सच है कि सिकल सेल आनुवंशिक और लाइलाज बीमारी है। लेकिन सतत इलाज से परेशानियों को नियंत्रित किया जा सकता है। सिकल सेल के प्रकोप से बचा जा सकता है। नियमित इलाज के बाद पीड़ित को बार बार ब्लड भी नहीं बदलवाना पड़ता है। पीडित बच्चे का विकास भी  सामान्य होता है। माता पिता की चिंंता और परेशानियां भी कम हो जाती है। मरीज सामान्य और लम्बी जिन्दगी जीता है।

       डॉ.सिहारे ने बताया कि सिकल सेल आनुवंशिक रक्तजनित बीमारी है। छत्तीसगढ़,उड़ीसा,विदर्भ,मध्यप्रदेश में इसके ज्यादा मरीज देखने को मिले है। रोगी की लाल रक्त कणिक आक्सीजन की वजह से हंसिया के आकार की हो जाती है। इसलिए इसे सिकल सेल की बीमारी भी कहते हैं। सिकल प्रभावित रक्त कणिकाओं के कारण रूधिर प्रवाह ठीक से नहीं होता है। मरीज को हाथ पैर में दर्द और सूजन, संक्रमण से लड़ने की क्षमता में कमी,खून की कमी,इन्फेक्शन के अलावा कमजोरी आ जाती है। सिकल सेल रोग से प्रभावित लोगों की 15 से 20 के उम्र तक मौत हो जाती है। छत्तीसगढ़ में सिकल सेल की बहुत रोगी हैं।

                      चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ.प्रदीप सिहारे ने बताया कि मेरा पिछले 25 सालों से सिकल सेल के मरीजों से सामना हो रहा है। मरीजों के लगातार इलाज के बाद प्रमाणित हो चुका है कि सिकल सेल मरीज की जिन्दगी को सही समय पर इलाज से बेहतर और सुखमय बनाया जा सकता है। सिहारे ने बताया कि हाइड्रॉक्सी यूरिया सिकल सेल की जादुई दवा है। दवाई के प्रयोग से मरीज को काफी कुछ परेशानियों से छुटकारा भी मिलता है। लेकिन इसके लिए मरीज को हमेशा डॉक्टर के सम्पर्क में रहना होगा। दिए गए निर्देशों को भी मानना होगा।

      डाक्टर सिहारे ने बताया कि सिकल सेल के प्रकोप और उसके मरीजों पर लम्बे समय से काम करते  हुए मुझे सिकल सेल मरीजों के लिए कई बार कैम्प लगाने का अवसर मिला। महंगी और मरीज की पीड़ादायी जिन्दगी को ध्यान में रखते हुए 22 अप्रैल को सिकल सेल इलाज कैम्पस का आयोजन किया गया है। कैम्प्स का आयोजन सिहारे चिल्ड्रन हास्पिटल और डॉ.गौर बोस मेमोरियल सिकल सेल सेन्टर के संयुक्त प्रयास से सिहारे क्लिनिक में किया जा रहा है। यद्यपि सिहारे क्लिनिक में हमेशा सिकल सेल मरीजों का इलाज होता है। इसके लिए 25 मार्च को सिकल सेन्टर खोला गया है।  बावजूद इसके कैम्प के माध्यम से स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की निगरानी में सिकल सेल मरीजों का परीक्षण किया जाएगा।

                                         डॉ.सिहारे ने बताया कि बीत चुके 25 मार्च 2018 को सिम्स आ़डिटोरियम में नेशनल सिकट सेल अपडेट और वर्कशाप का आयोजन किया गया। वर्कशाप में देश के जाने माने सिकल सेल एक्सपर्ट चिकित्सकों ने बाग लिया। सभी चिकित्सकों ने सिकल सेल इलाज और परेशानियों पर प्रकाश डाला। इस दौरान डॉ.प्रदीप पात्रा,प्रो.डॉक्टर लखन सिंह, नागपुर से अविनाश फोफली,संबलपुर से डॉ.मनीष मोहंती,रायपुर से डॉ,अनूप वर्मा  और डॉ.अतुल जैन ,कटक से डॉ.आर.के.जेना,अपोल बिलासपुर से डॉ.देवेन्द्र सिंह,गनियारी से डॉ.योगेश जैन विशेष रूप से कार्यक्रम में शामिल हुए। लोगों ने

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