रायपुर।केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के किसानो को परंपरागत फसलों की खेती को छोडकर अधिक आय देने वाली फसलों की खेती के लिए आगे आना होगा। इसके लिए किसानों को नये प्रयोगों और अनुसंधानों को अपनाना होगा। श्री गडकरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि मेले की शुरूआत कर एक अच्छी पहल की है। इससे किसानों को खेती किसानी से संबंधित नई तकनीकों और नये अनुसंधानों की जानकारी मिलेगी। श्री गडकरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धान के भरपूर उत्पादन को देखते हुए यहां धान पैरा एवं धान भूसी पर आधारित अनुसंधान केन्द्र खोला जाना चाहिए।गडकरी शुक्रवार को राज्य शासन के कृषि विभाग द्वारा रायपुर के नजदीक जोरा में आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय कृषि मेले के तीसरे दिन मेला परिसर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत चावल, गेहू एवं अन्य अनाजों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है। इसलिए अब किसानों को अनाज के स्थान पर दलहन-तिलहन और अन्य ऐसी फसलों का उत्पादन करना होगा जिनका हम विदेशों से आयात करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षाें में प्रमुख फसलों के समर्थन मूल्य मंे बढ़ोतरी के बावजूद खेती की लागत में इजाफा होने के कारण किसानों को उनकी उपज की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है। आज चावल, गेहूं, सोयाबीन और शक्कर की कीमत अन्तर्राष्ट्रीय बाजार द्वारा तय होती है।
फसलों की कीमत मांग और आपूर्ति के सिद्धान्त पर निर्भर करती है। आज पूरा विश्व खुले बाजार के रूप में काम कर रहा है। अन्य देशों में फसलों की कीमत कम होने पर यहां भी उनकी कीमतों में गिरावट आना तय है। ऐसे में किसानों को ऐसी फसलों के उत्पादन के लिए आगे आना होगा जिनकी कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छी है। इसके साथ ही उन्हें फसलों के मूल्य संवर्धन और समन्वित खेती के मॉडल को अपनाना होगा, जहां फसल उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन, डेयरी, मछलीपालन, शहद उत्पादन आदि को भी शामिल करना होगा। श्री गडकरी ने कहा कि धान के पैरे से सेकन्ड जनरेशन इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है। एक टन पैरे से ढाई सौ लीटर इथेनॉल बनाया जा सकता है जिसकी लागत 22 रूपये प्रति लीटर पडती है। इस इथेनॉल से वाहनों को चलाने के सफल परीक्षण किये जा चुके हैं। भारत सरकार वाहनों में इथेनॉल के उपयोग के अनुमति देने का निर्णय लेे चुकी है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो छत्तीसगढ़ में ही इथेनॉल उत्पादन के 100 करखाने लग सकेंगे। इससे छत्तीसगढ़ के किसान लाभान्वित होंगे। छत्तीसगढ़ धान के कटोरा के बाद इथेनाल का कटोरा भी बन सकता है।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि मेले की थीम प्रति बूंद अधिक फसल को साकार करने के लिए प्रदेश में वाटर मेनेजमेन्ट बहुत जरूरी है। पानी का न्यायसंगत उपयोग किया जाना आवश्यक है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी माइक्रो इरिगेशन पद्धतियों को बढ़ावा देना होगा। अब सिंचाई के लिए नहर बनाने के बजाय पाईप लाईन बिछाकर सिंचाई सुविधा विकसित की जानी चाहिए। केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री ने किसानों को उन्नत बनाने के लिए प्रशिक्षण और प्रबोधन पर जोर दिया।
कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि केन्द्रीय मंत्री महाराष्ट्र में पिछले कई वर्षाें से एग्रोविजन के नाम से कृषि मेले का आयोजन कर रहे हैं। उन्हीं से प्रेरणा लेकर छत्तीसगढ़ में कृषि समृद्धि राष्ट्रीय कृषि मेले की शुरूआत दो वर्ष पूर्व हुई है। इस वर्ष कृषि मेले का तीसरा साल है। श्री अग्रवाल ने किसानों को गणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामना दी। श्री अग्रवाल ने कहा कि कृषि मेला छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। मेले में किसानों को खेती किसानी की नई तकनीकों को जीवंत प्रदर्शनी के माध्यम से देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के पांच जिलों को पूर्ण जैविक जिला बनाने की योजना बनाई है। शेष 22 जिलों के एक-एक विकास खण्ड का चयन कर जैविक विकास खण्ड बनाने की दिशा में कार्य शुरू हो गया है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय कृषि मेले को किसानों के लिए बहुउपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि किसान खेती किसानी से संबंधित नई-नई चीजों को देखकर प्रेरणा लेते हैं।