पर्यावरण प्रदूषणः चुनौती और निराकण पर दिग्गजों की राय

BHASKAR MISHRA
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sangosthi karikaram (4)बिलासपुर— राघवेन्द्र राव सभागार में पर्यावरण प्रदूषण , चुनौतियां और निराकरण पर विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मंच पर वक्ताओं ने पर्यावरण की चुनौतियों के साथ निराकरण पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप में सीवीआरयू कुलसचिव शैलेष पाण्डेय,केन्द्रीय विश्वविद्यालय कुलपति अंजिला गुप्ता,संभागायुक्त निहारिका बारीक सिंह, क्रेडा सीईओ शैलेन्द्र शुक्ला,एडीजे शैलेश तिवारी,बार एसोसिएशन अध्यक्ष केशरवानी,पर्यावरण मंडल के मुख्य अभियंता आरपी तिवारी मंच पर विशेष रूप से उपस्थित थे। सभा वक्ताओं ने पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता जाहिर की। कारण और निदान पर प्रकाश डाला।

             
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                   राघवेन्द्र राव सभागार में आयोजित कार्यक्रम में अतिथि वक्ताओं ने पर्यावरण प्रदूषण पर गहरी चिंता जाहिर की है। सीवीआरयू कुलसचि ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के लिए जितना जिम्मेदार सामान्य इंसान है उससे कहीं ज्यादा दोषी हमारी सरकार और समाज के जिम्मेदार लोग भी हैं। प्रयोग की आदतों ने बिलासपुर जैसे हरे भरे शहर को धूल के गुबार में धकेल दिया है। उन्होने कहा कि यहां कोई भी योजना अंजाम तक नहीं पहुंचती हैं। प्रयोग दर प्रयोग की आदतो ने बिलासपुर को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है। कमोबेश सभी जगह थोड़ा कम या थोड़ी ज्यादा शिकायत बिलासपुर वासियों की ही तरह है। शहर हरियाली गायब है। कचरा सड़कों पर विखरे हुए हैं। प्रदूषित पानी के निकासी के लिए समुचित उपाय आज तक नहीं हुआ है। 16 साल बाद भी रायपुर बिलासपुर की सड़क नहीं बनी है। यदि प्रतिसाल की दर से 10 किलोमीटर भी सड़क बनती तो आज हमें आधारभूत संरचना को लेकर शिकायत नहीं नही रहती। पाण्डेय ने कहा कि जनता चाहती है कि आप कुछ करें..लेकिन आपका काम है कि कुछ ऐसा करें जो प्रकृति के साथ ही आम लोगों को भी राहत मिले। हमने पर्यावरण के साथ मजाक किया है। पंच महाभूत के साथ खिलवाड़ किया है। IMG20161212124732दण्ड तो मिलेगा ही। समय रहते हमें और हमारे नेतृत्व को सोच समझकर काम करना होगा।

                             मंच से उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए क्रेडा सीईओ शैलेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि बड़े बड़े डैम के निर्माण से प्रकृति के संगठन को नुकसान हुआ है। चाहे थर्मल पावर हो या हाइड्रल पावर फायदा जरूर हुआ है लेकिन नुकासन उससे कहीं ज्यादा हुआ है। लोगों के भ्रम को दूर करना चाहता हूं कि बिजली मुख्य प्रोडक्ट नहीं बल्कि बाय प्रोडक्ट है। एक यूनिट बिजली पैदा करने के लिए 80 प्रतिशत प्रदूषण हमारे हिस्से में आता है। शुक्ला ने कहा कि बड़े बड़े बांध प्रकृति के श्रृंगार को निकल रहे हैं। सबसे ज्यादा नुकसान जंगलों को रहा है। हम कभी भी जंगल का निर्माण नहीं कर सकते हैं। विकास की वैज्ञानिक और इंजिनयरिंग की अवधारणा ने पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है। हमें पर्यावरण प्रदूषण से बचने के लिए अपरम्परागत स्रोत को अपनाना होगा। सोलर पावर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जर्मनी में हर घर में सोलर प्लांट है। सोलर प्लांट ना केवल प्रदूषण की समस्या से बचाता है। बल्कि थर्मल और हाइड्रल पवार प्लांट की निर्भरता को भी खत्म करता है। मजेदार बात है कि हमें भुगतान की झंझट से भी छुटकारा मिलता है।

                   संगोष्ठी में पर्यवारण मंडल के अभियंता आरपी तिवारी ने भी विचार रखे। उन्होने बताया कि सरकार आम लोगों की ही होती है। चिंता भी आम लोगों की ही की जाती है। आरोप बेबुनियाद है कि सरकार पर्यावरण को लेकर ध्यान नहीं दे रही है। बताना चाहूंगा कि खड़गपुर और कानपुर के आईआईटीएनस जांजगीर,कोरबा,रायगढ़ और रायपुर की प्रदूषण मानकों पर अध्यय़न कर रहे हैं। इतना ही नहीं सभी शहरों में पर्यावरण विभाग की प्रदूषण पर नजर है।

IMG20161212124518                                                 मुख्य वक्ता कुलपति केन्द्रीय विश्वविद्यालय अंजिला गुप्ता ने कहा कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर चलना होगा। अंजिला गुप्ता ने पर्यावरण के कारकों और कारणों का जिक्र अपने भाषण के दौरान किया। उन्होने बताया कि हमारी आवश्यकता ने ही पर्यावरण के दैत्य को पैदा किया है। हम मांग भी करते हैं और शिकायत भी। सीमित आवश्यकताओं पर कभी ध्यान नहीं देते। अंजिला गुप्ता ने पर्यावरण के प्रकारों का भी जिक्र किया। माइक्रोप्रदूषण के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारकों और मानव जीवन से सम्बधों पर भी प्रकाश डाला। अंजिला गुप्ता ने कहा कि त़ृष्णा ही प्रदूषण का कारण है। जब तक तृष्णा पर नियंत्रण नहीं रहेगा..प्रदूषण से छुटकारा संभव नहीं है।

                             संभागायुक्त निहारिका बारीक सिंह ने बताया कि हम संतुलित जीवन को बहुत पीछे छोड़ आए हैं। सभी को जल्दी है। यह सच है कि प्रदूषण चेकिंग प्वाइंट होना चाहिए लेकिन फुर्सत किसे है। जो देखों वही जल्दबाजी में है। जो लोग सुविधाओं की मांग करते हैं वही लोग विरोध करने सड़क पर दिखाई देते हैं। सरकार के सारे प्रयास आम जनता के लिए होते हैं। जनता को निश्चित करना है कि अपनी प्रकृति को कैसा संतुलित रखना है। किस प्रकार बचाना है। निकारिका बारीक ने बताया कि हम प्रकृति को अपना समझकर इस्तेमाल करना जिस दिन सीख जाएंगे..पर्यावरण प्रदूषण की आधी समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी। दैनिक जीवन में कचरा भी बहुत बड़ा प्रदूषण का कारण हैं। लेकिन हम कचरा सड़क पर फेंक देते हैं। ऐसी तमाम जिम्मेदारियां हमारे ऊपर हैं जिसे यदि ईमानदारी से करें तो पर्यावरण प्रदूषण का संकट कम होता नजर आएगा। यह सब काम हमें मिलजुलकर करना होगा।

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