बिलासपुर—बैंकर्स क्लब समन्वयक ने बताया कि डीकेएस अस्पताल प्रकरण में सुनील अग्रवाल को मेट्रोपोलिटन न्यायालय ने ट्रांज़िट बेल प्रदान किया है। छतीसगढ़ शासन ने सक्षम से शुल्क लेकर गरीबों को निःशुल्क सेवा देंने डीकेएस अस्पताल में विशालकाय बर्न यूनिट की स्थापना की है। 64 करोड़ रुपये बैंक ऋण विज्ञापन देखने के बाद विभिन्न बैंको की तरह पंजाब नैशनल बैंक भी दौड़ में शामिल था।ललित अग्रवाल ने बताया कि समाजसेवा के लिए सबसे न्यूनतम ब्याज दर बैलेंस सीट समेत नियमानुसार अन्य आवश्यक दस्तावेजो के आधार पर ऋण पीएनबी ने स्वीकृत किया। चूंकि दुर्ग की संचिति और एसोसिएट फर्म ने बेलेंस सीट को ऑर्डर मिलने के पूर्व साइन किया था। इसलिए अपनी गलती छिपाकर मामले को जाली बताया।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे
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बिलासपुर बैंक समन्यवक ने जानकारी दी कि सत्ता परिवर्तन के साथ राजनैतिक कारणों से पुलिस ने बैंक पर दबाव बनाया। पुनीत गुप्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए। जबकि रिजर्व बैंक के नियमानुसार 3 करोड़ के ऊपर के प्रकरण में पहले बैंक अपने स्तर पर जांच कराता है। बाद में दोषियों के खिलाफ सीबीआई में एफआईआर दर्ज कराई जाती हैं। इस मामले में में भी बैंक की प्रक्रिया जारी हैं।
पुलिस ने एफआईआर और विवेचना में सुनील अग्रवाल का कही भी नाम नही होने के बाद बिना किसी पूर्व नोटिस के आज दिल्ली में गिफ्तार किया। मेट्रोपोलिटन न्यायालय ने सुनील अग्रवाल को ट्रांजिट बेल देते हुए सोमवार को कोर्ट में पेश होने की मोहलत दी हैं। बैंकर्स क्लब माननीय न्यायालय को साधुवाद देते हुए पूरे प्रकरण में बिना किसी राजनीति के निष्पक्ष जाँच करवाने की मांग करता है। ताकि भविष्य में बैंक अधिकारियों का मनोबल टूटने से बचाया जा सके।