पीसीसी महामंत्री का दावा…चुनाव के बाद घर बैंठेंगे धरमजीत…कांग्रेसियों ने पूछा..किसने दिया विद्याचरण को धोखा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—कांग्रेस और जनता कांग्रेस नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। भूपेश के बाप बेटे की पार्टी के बयान पर बिलासपुर में धरमजीत सिंह ने कहा कि एक महीने बाद कांग्रेस बाप बेटों की पार्टी बनकर रह जाएगी। बयान के बाद  जिला शहर के कांग्रेस नेताओं ने एक जुटता के साथ छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नेता धरमजीत पर हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव समेत अन्य बड़े नेताओं ने धरमजीतसे सवाल किया है कि उन्होने कांग्रेस किस मजबूरी और किसके दबाव में छोड़ा है ?  कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जो व्यक्ति विद्याचरण और कांग्रेस  का नही हो सका ,उस पर ऐतबार  कभी किया ही नही जा सकता है।
                    प्रदेश कांग्रेस महामंंत्री अटल श्रीवास्तव ने धरमजीत पर निशाना साधा है। अटल ने सवाल किया है कि धरमजीत सिंह बताएं कि उन्होने किस मजबूरी और किसके दबाव में कांग्रेस छोड़ा है। हो सके तो यह भी बताएं कि विद्याचरण शुक्ल और कांग्रेस का विश्वास किसने तोड़ा है। अटल ने कहा कि धरमजीत जैसे नेताओं को अच्छी तरह मालूम है कि ऐसे अवसर वादी नेता कभी कांग्रेस के हो ही नहीं सकते हैं।
                      प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव,ज़िला अध्यक्ष विजय केशरवानी,शहर अध्यक्ष नरेंद्र बोलर,प्रदेश प्रवक्ता द्वय अभय नारायण राय,शैलेष पांडेय नेता प्रतिपक्ष शेख नजीरुद्दीन ने संयुक्त बयान जारी कर धरमजीत पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि धरमजीत ने विद्याचरण शुक्ल के साथ विश्वासघात किया। जबकि सबकों मालूम है कि विद्याचरण शुक्ल ही थे जिन्होने कई बार चुनाव हारने के बाद भी धरमजीत का ना केवल साथ दिया बल्कि शून्य से शिखर तक पहुचाया । बाद में उसी धरमजीत ने व्यक्तिगत लाभ के लिए विद्याचरण के साथ विश्वासघात किया। धरमजीत का कांग्रेस छोड़ना इस बात को प्रमाणित करता है ।
                        संयुक्त प्रेस नोट में कांग्रेस नेताओं ने कहा धर्मजीत को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं। उन्होंने  अपने परिवार के किसी भी सदस्य के अवांछित हस्तक्षेप से पृथक रखा है। धर्मजीत जिस पार्टी के उपाध्यक्ष है ,उसके दो बड़े नेताओं का परिवारिक सम्बन्ध क्या है ? पूरा छत्तीसगढ़ जानता है कि जनता कांग्रेस के नेता पिता-पुत्र के सामने न तो बैठने की हिम्मत कर सकते है और ना ही जुबान खोल सकते हैं।  लेकिन धर्मजीत को कांग्रेस से मिला सम्मान नागवार गुजरा और पिता -पुत्र के तानाशाही व्यवस्था को आत्मसात करने में उन्हें मजा आया।
                 कांग्रेस नेताओं के अनुसार धर्मजीत का घर बैठने वाला बयान स्वागत योग्य है। क्योंकि उन्हें अहसास हो चुका है कि चुनाव के बाद उनकी यही हालत होने वाली है। धर्मजीत और बाप-बेट अपने कार्यकर्ताओं को तो सम्भाल नही पा रहे है। बाप बेटों की तानाशाही से परेशान नेता पार्टी से पीछा छुड़ा रहे हैं।
                  कांग्रेसियों ने कहा कि धर्मजीत का बयान सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है। कांग्रेस का इतिहास शायद धर्मजीत भूल गए है। कांग्रेस की छाया में न जाने कितनी छोटी -छोटी पार्टी बरसाती पौधे की तरह उगे । चुनावी बरसात के बाद सभी पौधे  ठंडे हो गए।
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