उदयपुर(मनीष जायसवाल)देश और प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने की माँग दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। आगामी आम चुनाव से पहले देश का सबसे बड़ा कर्मचारी आंदोलन पुरानी पेंशन बहाली को लेकर हो सकता है.. इसकी पृष्ठभूमि बड़े पैमाने में तैयार होती नजर आ रही है। सीजीवाल से उदयपुर में हुई एक मुलाकात में सरगुजा जिले से छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रथम पंक्ति के दूसरे बड़े शिक्षक नेता व फेडरेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव मिश्रा का कहना है कि नई पेंशन स्कीम असफल साबित हुई है .. पुरानी पेंशन स्कीम फिर लागू करने पर सरकार को निर्णय लेना चाहिए ..!सीजीवाल न्यूज के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने यहाँ क्लिक कीजिए
शिव बताते है कि देश मे सरकारी कर्मचारियों का भविष्य शेयर- मार्केट के उतार चढ़ाव जैसा हो गया है। इस योजना के अब तक के कर्मचारियों को हुए अनुभव को देखते हुए एक अदना सा कर्मचारी कैसे अपना भविष्य सुरक्षित मान सकता है। सेवा काल की भाग दौड़ की जिंदगी के बाद बुढ़ापा चैन से गुजरे यह सपने हर कोई देखता है। परंतु एक नवम्बर 2004 के बाद शासकीय सेवा में नियुक्त हुये समस्त कर्मचारियों की पुराना पेंशन को बंदकर शेयर- मार्केट पर आधारित CPS /NPS नाम की योजना मायाजाल है … इस तिलस्मी योजना की वजह से शासकीय कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।
फेडरेशन के उपाध्यक्ष शिव मिश्रा का कहना है कि नई पेंशन लागू करने के बाद देश मे अब तक दिल्ली सरकार की कुर्सियां बदलती रही सरकारें आई और गई .. केंद्र सरकारों के पास पुरानी पेंशन को बंद करके… नई पेंशन योजना लाने के कई कारण हुए होंगे …. पर अब इस नई पेंशन को बंद कर पुरानी पेंशन फिर से लागू करने का सिर्फ एक कारण होना चाहिए…. देश के करोड़ो कर्मचारियों हित …।
सरगुजा के शिक्षक नेता शिव का बताते है कि इस मे कोई सन्देह नही होना चाहिए कि वर्तमान केन्द्र व राज्य सरकारो को इस नई पेंशन व्यवस्था से कर्मचारियों के लाभ हानि के आंकलन का अनुमान होगा ..। आज के दौर में यह योजना कर्मचारियों के हितों को लेकर असफल साबित हुई है। देश प्रदेश की सरकारों ने कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर चलते हुए अपने प्रमुख अंग शासकीय कर्मचारियों के भविष्य के प्रति चिंतन करते हुए पुरानी पेंशन लागू करना चाहिए ..!
सरगुजिहा अंदाज में कर्मचारी नेता शिव मिश्र ने बताया कि कर्मचारियों के बुढ़ापा को सामाजिक और आर्थिक असुरक्षा देने वाली नई पेंशन योजना देश में लागू है। इसके लागू होने के बाद इस पर कोई बड़ा बदलाव नही हुआ है। जिस से कर्मचारियों अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहा है। वर्तमान दौर में इसे जारी रखना शासन की इस दमनकारी नीति जैसा ही है। जिस वजह से देश के कर्मचारी वर्ग में मन में निराशा और आक्रोश फैला हुआ है। यह योजना पूरी तरह कर्मचारी के हित में ना होकर पूंजीवादियों के हित में है। इस व्यवस्था के खिलाफ तीनो वर्गों के शिक्षक कर्मचारियों को आगे आना होगा। देश भर में एक सुर में पूरानी पेंशन व्यवस्था पुनः लागू करने के लिए महाआभियान में जुड़ना होगा। तभी बुढापा आर्थिक मजबूती से गुजर सकता है।