बिलासपुर—फोरम फॉर जस्टिस की प्रदेश संयोजक ममता शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार ने शराब माफियों को फायदा पहुंचाने के लिए आबकारी नीतियों में बदलाव किया है। ममता ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार शराब ठेकेदारों के इशारे पर चल रही है। ठेकेदारों ने पुलिस को सुरक्षा का टूल्स बना लिया है।
ममता ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पुलिस और कलेक्टर गौरंग मौत मामले में बराबर के भागीदार है। अगर पुलिस अपना काम करती तो शायद गौरंग हमारे बीच होता। ममता ने कहा कि हर गुरूवार को रसूखदारो के सामने कम कपड़ों में कॉलेज की युवतियां को शराब परोसने के लिए भेजा जाता है। सरकार के सभी मंत्री जानते हैं। लेकिन अंजान बने हुए हैं। नेता जनता को मुर्ख समझ रहे है।
गौरांग मामले का खुलासा करने वाले एसपी और सिपाही सिविल ड्रेस में पहुंचते हैं। पुलिस कप्तान फिल्मी हीरो की तरह घटना स्थल पर पहुंच कर छानबीन कर रहे हैं। जैसे वहां फैशन परेड हो रहा हो। ममता ने कहा कि खुलासे वाले दिन पुलिस कप्तान पत्रकारों के सवालों पर झल्ला रहे थे। जाहिर सी बात है कि दाल में कुछ काला जरूर है।
ममता ने बताया कि बिलासपुर की बेसिक पुलिसिंग कमजोर है। यहां ना तो नियम है और ना ही कानून। रूपये के सामने पुलिस नतमस्तक है। गौरांग मामले में भी पुलिस को आरोपियों को बचाने 7 करोड़ रूपए दिए गए हैं। ममता शर्मा ने बताया कि वह जो कुछ भी कह रही है उसके सारे सबूत हैं। बिना तथ्यो के बात नही करती।
छत्तीसगढ़ की सरकार जनता को पैसे वालो के सामने बेच कर अपनी तिजोरी भर रही है। यहां ना तो कानून व्यवस्था है और ना ही लोगो के जान की कीमत ही है। रूपये के आगे सभी नतमस्तक हैं। बाहर से आने वाला हर इसान कहता है यहां तो सब बिकाऊ है जो खरीदना है उसका रेट पहले से ही तय है। अगर राज्य न बनता तो हम ज्यादा खुश रहते …कम से कम पहले सुरक्षित तो थे।