बिलासपुर पुलिस की बड़ी सफलता… पुलिस कप्तान ने किया क्लोनिंग गिरोह का खुलासा..कहा..सैकड़ों को दिया करोड़ों का झटका..बिहार के 5 आरोपी पकड़ाये..

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- बिलासपुर पुलिस ने अन्तर्राज्यीय हाईटेक चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है। पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। कमोबेश सभी आरोपी बिहार के रहने वाले है। आरोपी गुगल मैप के सहारे पहले तो एटीएम की लोकेशन का पता लगाते थे। इसके बाद अत्याधुनिक सिस्टम के सहारे एटीएम का कार्ड बनाते। फिर अपने मंसूबों को अंजाम देते थे। आरोपियों ने अब तक सैकड़ों लोगों को करोड़ों रूपए का चपत लगाया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए

             
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एटीएम क्लोनिंग गिरोह का पर्दाफाश

           बिलासपुर पुलिस ने बहुत बड़े एटीएम क्लोनिंग कर लोगों के खाते से रकम पार करने वाले गिरोह का भांडाफोड़ा है। सिविल लाइन कन्ट्रोल रूम में आज पुलिस कप्तान प्रशांत अग्रवाल ने प्रेस वार्ता कर एटीएम क्लोनिंग करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया। पुलिस कप्तान ने बताया कि 7 दिसम्बर 2019 को रेलवे से सेवानिवृत्त कर्मचारी देवलाल पासवान दयालबंद स्थित प्रयाग डेंटल कालेज के पास स्थित एसबीआई एटीएम से रूपये निकालने गए। लेकिन नहीं निकले। पास में खडे दो लडको ने मदद के बहाने बुजुर्ग को दूसरे एटीएम से रूपए निकालने को कहा। देवलाल दूसरे एटीएम से 5000 रूपये निकालकर घर चले गए। दो दिन बाद 10 दिसम्बर को देवलाल एक बार फिर तोरवा स्थित एटीएम बूथ से रूपया निकालने गए । उन्हें जानकारी मिली की अकाउन्ट में रूपए नहीं है। उनके खाते से सभी रकम का आहरण हो चुका है। घटना के बाद देवलाल ने सिविल लाइन थाना पहुंचकर शिकायत की।

पुलिस टीम का गठन और जांच पड़ताल

                         पुलिस कप्तान प्रशान्त अग्रवाल ने बताया कि मामले की जानकारी मिलने के बाद ज्ञात हुआ कि आरोपियों ने एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर अकाउन्ट खाली किया है। समझते देर नहीं लगी कि क्लोनिंग समूह इस समय बिलासपुर में सक्रिय हो गए हैं। मामले की तह तक जाने की जिम्मेदारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर ओ.पी.शर्मा ,नगर पुलिस अधीक्षक सिविल लाईन  आर.एन.यादव और सायबर सेल उप पुलिस अधीक्षक विश्वदीपक त्रिपाठी को त्वरित कार्यवाही का निर्देश दिया गया। छानबीन के दौरान थाना प्रभारी सिविल लाईन और सायबर सेल ने तत्काल प्रभाव से तकनीकी साक्ष्य एकत्रित करने की योजना तैयार कर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के
चैनल मैनेजर समेत अन्य सूत्रों से सम्पर्क किया।

रायपुर में संदेहियों की धरपकड़

                 प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि विश्वसनीय तकनीकी सुराग मिलने के दौरान जानकारी मिली कि क्लोनिंग कर लोगों का अकाउन्ट साफ करने वाले संदेही इस समय राजधानी क्षेत्र रायपुर में सक्रिय हैं। मामले की जानकारी तत्काल वरिष्ठ अधिकारियो को दी गयी। इसके बाद संदेहियों को पकड़ने व्यापक योजना का खाका तैयार किया गया। साथ ही संदेहियों की पल पल की गतिविधियों पर नजर रखा जाने लगा। जानकारी मिली कि संदेहियों ने इस समय अपना रूख रायपुर से बिलासपुर की तरफ किया है। पुलिस टीम ने वाहनों की पहचान कर संदेहियों की घेराबन्दी की गयी। गाडी में सवार युवकों से से पूछताछ की गयी। संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने से युवकों से पुलिस ने कडाई से पूछताछ की।  आरोपियों ने क्लोनिंग की घटना को स्वीकार किया। 

आरोपियों ने कबूला जुर्म..बताया क्लोन का तरीका

                            पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि कि वे लोग देश के कोने कोने में घूम घूूम कर क्लोनिंग के माध्यम से वारदात को अंजाम देते है। आरोपियों ने बताया कि एटीएम कार्ड क्लोन करने के लिए आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं।

                           एटीएम कार्ड की क्लोनिंग तैयार करने में एटीएम कार्ड रीडर , मिनी स्कीमिंग डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं। एटीएम कार्ड रीडर तकनीक के माध्यम से वारदात को अंजाम देने के लिए  ऐसे एटीएम बूथ का चयन करते हैं जहां एटीएम की दो मशाीनें लगी हो । सदस्य के दो सदस्य एटीएम मशीन के बाहर खडे रहते है। दो सदस्य एटीएम बूथ के अंदर किसी भी एक एटीएम मशीन में जो पुरानी हो उसका हुड खोलकर मूल मशीन में लगे एटीएमकार्ड रीडर के स्क्रेच कर बाहर निकाल देते हैं। उसके स्थान पर अपने पास रखे एटीएम कार्ड रीडर को लगा देते थे। जब कोई ग्राहक रूपये निकालने जाता है तो मशीन में कार्ड डालने के बाद ट्रानजेक्शन नही होता था।  लेकिन कार्ड रीडर से कार्ड की जानकारी संग्रहित हो जाती है। इस दौरान दोनों में से एक व्यक्ति दुसरे मशीन से रूपये निकालते प्रयास कर रहे ग्राहक पिन इन्टर करते समय देखते रहते हैं। इस दौरान उसे याद भी कर लेते हैं। पुलिस कप्तान ने बताया कि इस प्रकार कई ग्राहकों के कार्ड में संग्रहित जानकारी और पिन नंबर जानने के बाद अपना कार्ड रीडर मशीन से निकाल कर आरोपी चले जाते थे

घटना को कैसे देते थे अंजाम

            इसके बाद क्लोनिंग समूह  मिनी स्कीमिंग डिवाइस के माध्यम से एटीएम कार्ड क्लोन करने किसी भी बैंक के एटीएम बूथ में जाते थे। जहां डल क्लाइण्ट को देखकर उसकी मदद करने के इरादे से उसका एटीएम  कार्ड हासिल कर लेते थे। मिनी स्कीमिंग डिवाइस में स्वैप कर ग्राहक के जानकारी के बिना संबंधित जानकारी रिकार्ड कर याद कर लेते थे। 

            इसके बाद आरोपी संग्रहित जानकारी के आधार पर अपने पास रखे लैपटाप, और  साफ्टवेयर के माध्यम से डुप्लीकेट एटीएम कार्ड तैयार करते हैं। और कार्ड के पीछे दर्ज नम्बर के सहारे किसी भी एटीएम बूथ से मिनी स्टेटमेंट निकालकर बैलेंस चेक करते और रूपओं को निकालते हैं। ।

                        पुलिस कप्तान के अनुसार पकडे गए आरोपियों ने बताया कि रायपुर के औद्ययोगिक क्षेत्र उरला के एक एटीएम बूथ में  बिलासपुर से रायपुर जाने के बाद कार्ड रीडर लगाए थे। इस दौरान कई कार्ड के क्लोन तैयार किए। लगभग 9 क्लोन कार्ड से रूपये आहरण बैलेंस चेक मिनी स्टेट मेंट को निकाला है।

                       आरोपियों ने बताया कि रायपुर के भनपुरी स्थित आईडीबीआई बैंक के एटीएम  से क्लोन किए। कुल 9 कार्ड में लगभग 2 करोड रूपये थे। जिनका आहरण ये अन्य प्रदेशों के एटीएम से किया। इस दौरान सबसे ज्यादा रूपया एक खाते से करीब 1,77,19,000 रूपये निकाले।

चलती गाडी में तैयार किया क्लोन

            – पकडे गए आरोपियों में बताया कि 7 दिसम्बर 2019 को बिलासपुर में व्यक्ति को मदद करने के बहाने स्कीमर डिवाइस से जानकारी हासिल की। पिन जानने  के बाद चलती गाडी में एटीएम क्लोन तैयार किया। सीएमडी चौक स्थित एटीएम से रूपये निकाले। फिर प्यूमा के शौ रूम पहुंचकर जूता और टाइटन शोरूम से घटियों खरीदी। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पिछले एक वर्ष से देश के विभिन्न प्रदेशोें में बिहार , झारखण्ड , पश्चिम बंगाल, उडिसा, महाराष्ट्र, दिल्ली , छत्तीसगढ, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड में कई घटना को अंजाम दे चुके हैं।

गुगल मैप का सहारा

          प्रशांत अग्रुवाल ने बताया कि आरोपियों ने पूछताछ के दौरान जानकारी दी है कि एटीएम बूथ के चयन में गुगल मैप का सहारा लेते थे। नजदीकी एटीएम बूथ की जानकारी हासिल कर नेविगेट कर सीधे एटीएम बूथ पहुचते थे।  गार्ड होने की दशा में दूसरे एसबीआई एटीएम में जाते थे।

                     पकडे गए आरोपियों में से एक आरोपी श्रीकांत सिंह ने बताया कि वह 2011 में अपने -अपने साथियों के साथ एटीएम कार्ड बदल कर धोखे से राशि आहरित करने जुर्म में पटना बिहार में गिरप्तार हो चुका है।

               पुलिस कप्तान ने जानकारी दी कि आरोपियों के पास से 60 से अधिक एटीएम कार्ड  मिले हैं। ज्यादातर एटीएम कार्ड क्लोन से तैयार किये गए हैं। बैकों से संपर्क कर कार्डधारको के संबंध में जानकारी हासिल की जा रही है। जानकारी मिलने के बाद संबंधित कार्ड धारको को सूचित किया जाएगा। 

गिरप्तार आरोपियों के नाम

1. ओंकार सिंह पिता रामाशीष सिंह उम्र 36 वर्ष निवासी आस्था स्पेस टाउन गिमना रोड मांगो जमशेदपुर (झारखण्ड)
2. श्रीसंत कुमार सिंह पिता रामाशीष उम्र 31 वर्ष निवासी ग्राम धनगांव थाना फतेहपुर जिला गया बिहार ।
3. राकेश रंजन सिंह पिता रामाशीष सिंह उम्र 38 वर्ष निवासी सी-.15 गौरसिटी नोएडा जीजीबी नगर नगर दिल्ली  प्लाट नं. 14 कल्याणपुर मुंगेर (बिहार)।
4. राजीव रंजन सिंह पिता गोपाल कश्यप् सिंह उम्र 36 वर्ष निवासी बिरवाल कालोनी बेकारबंध धनबाद (झारखण्ड)।
5. सूरज कुमार सिंह पिता शैलेन्दर सिंह उम्र 28 वर्ष निवासी रामगढ ,जमूरिया बाजार स्याल थाना गुरकुण्डा झारखण्ड ।

आरोपियों से बरामद सामाग्री

                पुलिस कप्तान ने बताया कि आरोपियों के पास से 1 नग लैपटाप चार्जर, 7 नग स्मार्ट औक  बेसिक फोन जब्त किया गया है। इसके अलावा आरोपियों के पास से 1 नग विटारा ब्रीजा वाहन, स्कीमर डिवाइस मेन्यूअल और बैटरी आपरेटेड, 60 नग विभिन्न बैंको के 20 से अधिक बैंकों के एटीएम कार्ड मिले हैं। आरोपियों के पास से शापिंग कार्ड  कई खातो के मिनी स्टेटमेंट आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड ,पेन कार्ड , क्लोनिंग टूल किट नगदी रकम को भी बरामद किया गया है।

अधिकारियों की जमकर तारीफ

               प्रशांत अग्रवाल ने इस दौरान क्लोनिंग गिरोह का खुलासा करने में शामिल सिविल लाईन थाना प्रभारी कलीम खान ,सायबर सेल प्रभाकर तिवारी, उप निरीक्षक शंकर गोस्वामी, दीपक उपाध्याय, गोविंद शर्मा, राहुल सिंह ,सहायक उप निरीक्षक अवधेश सिंह, मनोज बघेल , विकास राम , मुकेश वर्मा, राकेश बंजारे की भूमिका की जमकर तारीफ की है।

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