बैंकरों ने किया एकीकरण का विरोध…वरिष्ठ प्रबंधक ललित ने कहा…सरकार रच रही निजीकरण की साजिश…

BHASKAR MISHRA
4 Min Read
बिलासपुर—बैंको के विलय या एकीकरण से देश, समाज, आमजनता, कर्मचारी और बैंको को लेशमात्र भी फायदा नहीं होना है। बल्कि सरकार का एकीकरण का कदम नुकसानदायक साबित होगा। यह बातें यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयोजक ललित अग्रवाल ने प्रदर्शन के दौरान कही। अग्रवाल ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे कि पहले बैंकों ने बेहतर काम किया..बाद में विलय के बाद घाटे में चला गया है।जिससे ना केवल आम जनता को बल्कि सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
             मालूम हो कि यूनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियंस ने अखिल भारतीय स्तर पर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर दो अलग अलग तारीख को हड़ताल पर जाने का एलान किया है। इसी क्रम में आज शाम बैंकिग कार्य के बाद देश भर के बैंक कर्मचारी और अधिकारियों ने अपने अपने शहर में एकजुट होकर बैंकों के सामने 11 वां वेतन समझौता शीघ्र किए जाने की मांग की है। इस दौरान क्मचारी और अधिकारियों ने देना बैंक, बैंक ऑफ बडौदा, विजया बैंक के एकीकरण का विरोध किया। इसके अलावा पांच दिन की वर्किंग, सभी के लिए मेन्डेट, की मांगों को प्रमुखता से उठाया।
                   बिलासपुर में प्रदर्शन की अगुवाई यूनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियंस के संयोजक और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फ़ेडरेशन छतीसगढ़ के सहायक महासचिव ललित अग्रवाल ने की। अग्रवाल ने कहा कि विलय या एकीकरण से देश, समाज, आमजनता, कर्मचारी और बैंको को लेशमात्र भी फायदा नहीं होगा। बल्कि सरकार का निर्णय आत्मघाती साबित होगा। देश को केवल और केवल नुकसान ही उठाना पड़ेगा।
                 सहायक महासचिव ने बताया कि एक तरफ बैंक घाटे में जा रहें है। दुसरी तरफ देश की अर्थनीति तबाही की तरफ है। उन्होने बताया कि ग्लोबल ट्र्स्ट बैंक का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। घाटे में जाने के बाद बैंक को ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में विलय किया गया। देखने में आया कि विलय के बाद ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स भी घाटे में चला गया। इसी तरह कई उदाहरण मिल जाएंगे। एलआईसी और आईडीबीआई का भी कुछ ऐसा ही होने वाला है।
                        ललित अग्रवाल के अनुसार 2008 की वैश्विक मंदी में अमेरिका जैसे अनेको पूंजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई थी। तथाकथित विकास की चूले हिल गई थी। तब राष्ट्रीयकृत बैंकों की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था सिरमौर बनी थी। इससे सबक लेकर पश्चिमी देशों में भी बैंको के राष्ट्रीयकरण की संकल्पना की जा रही हैं। फिर भी हमारे देश मे एकीकरण के नाम पर निजीकरण की साजिश रची जा रही हैं। दुनिया भर के आंकड़े बता रहे है कि सदैव विलय के 70 से 90 फीसदी मामले फेल हैं। समस्त बैंकर्स ने वेतन समझौता शीघ्र करने की मांग की है।
                   प्रदर्शन के दौरान कैलाश अग्रवाल, वी के गुप्ता,  कैलाश झा, प्रताप भानु, अमित भावलकर, अनूप साहू, सुभाष राम, प्रदीप महानन्द, जगदीश कालो, अमित पांडेय, पिंटू कुमार, सुजीत मंडल, राजीव कुमार,  फिलिक्स एक्का, मदनमोहन माझी, एनवी आर मूर्ति, एस बी पंडा, किशोर खलखो, मोनालिसा समेत बड़ी संख्या में बैंकर्स मौजूद थे।
TAGGED: , , ,
close