मतदाता सूची में गड़बड़ी से इंकार

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vanajबिलासपुर— सेवा सहकारी समित मर्यादित सकरी के मतदाता सूची में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं है। सूची के प्रकाशन में राज्य सहकारी आयोग के दिशा निर्देशों का पालन किया गया है।  नाम हटाने, जोड़ने और अन्य किसी भी प्रकार की शिकायत के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। बाद में लोगों ने जानकारी दी कि मतदाता सूची में कुछ मृत सदस्यों के नाम है। बावजूद इसके सूची बनाने में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई है। यह बाते सहकारी संस्थाएं वरिष्ठ निरीक्षक और सकरी सहकारी समिति के चुनाव अधिकारी अनिल कुमार वनज ने दी है।

                                               वनज ने बताया कि राज्य सहकारी चुनाव आयोग के नियम के तहत सहकारी समिति की मतदाता तैयारी की गयी है।नवम्बर 15 में बिल्हा के सहकारिता विस्तार अधिकारी अरूण शर्मा को सकरी सहकारी समिति का निर्वाचन अधिकारी बनाया गया था। उन्होने पूरी जानकारी के साथ आयोग के सामने सकरी समिति की सूची को तैयार करने के बाद पेश किया। कार्य के दौरान उन्होने आयोग के दिशा निर्देशों का पालन किया। बाद में किसी प्रकार की शिकायत अमान्य है।

                               वनज ने बताया कि अरूण शर्मा ने 25 अप्रैल को मतदाता सूची पेश किया । 26 अप्रैल से 7 जून 15 के बीच दावा आपत्ति का अवसर दिया गया । प्रबंधक विवेक द्विेवेदी को दावा आपत्ती सुनने की जिम्मेदारी दी गयी। उस दौरान मिले सभी दावा आपत्तियों का निराकरण किया। वनज ने बताया कि समिति के सदस्य भूमि स्वामी या किसान होते हैं। समिति की सदस्यता खत्म करने के लिए आवेदन देना होता है। संचालक मंडल विचार विमर्श के बाद किसान या भू-स्वामी का हिस्सा वापस कर सदस्यता सूची से नाम हटाता है।

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                मृत व्यक्ति पर भी यही नियम लागू होता है। मृतक व्यक्ति का उत्तराधिकारी आवश्यक दस्तावेज पेश कर मृत सदस्य का नाम हटवा सकता है। चुनाव आयोग मतदाता सूची के दौरान दावा आपत्ती मिलने के बाद ही अंतिम सूची तैयार करता है। लेकिन कुछ ने शिकायत की है कि सूची बनाने में लापरवाही की गयी है। सूची में मृत व्यक्तियों के भी नाम शामिल हैं।

                        चुनाव अधिकारी वनज के अनुसार जिस भी मृत व्यक्ति का नाम सूची में शामिल है उसके उत्तराधिकारी ने नाम हटाने के लिए आवेदन नहीं किया। इस मामले में किसी अन्य व्यक्ति ने भी आपत्ती नहीं की। जाहिर सी बात है कि जब दावा आपत्ती ही पेश नहीं किया गया तो आयोग ऐसे लोगों को नहीं हटा सकती। व्यक्ति जिंदा है या नहीं इसकी जानकारी समय पर संबधित व्यक्ति को आवेदन देकर बताना चाहिए था। इसलिए अरूण शर्मा ने जो भी सूची तैयार कर आयोग के सामने रखा उसकी वैधानिकता पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया जा सकता है।