मुक्त विविः प्राध्यपक भर्ती में नियमों की अनदेखी

BHASKAR MISHRA
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sundarlalबिलासपुर—पं सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विवि में प्राध्यापको  भर्ती मामला साक्षात्कार शुरू होते ही विवादों में आ गया। विवि के समन्वयकों ने आनन फानन में नियुक्ति किए जाने का आरोप लगाया है। समन्यवकों की माने तो अपनों को लाभ पहुंचाने के लिए रोस्टर से खिलवाड़ किया गया है।

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                            पं सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विवि में कुछ दिन पहले प्राध्यापकों की भर्ती के लिए साक्षात्कार लिया जा रहा था। भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही विवादों में घिर गया है। विवि के समन्वयकों ने विवि प्रशासन पर अपनों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगया है। रोस्टर नियम की अनदेखी की बात कही जा रही है। साक्षात्कार आयोजन के तुरंत बाद ही दोपहर में समिति ने शाम होते अपनों को नियुक्ति आदेश जारी कर दिया है।

                    समन्वयकों के अनुसार सभी कार्य जल्दबाजी में किये गए हैं। जाहिर सी बात है कि अपनों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया है। मुक्त विवि के समन्वयक बताया कि साक्षात्कार के बाद सूची कार्य परिषद को भेजी जाती है। नियुक्ति आदेश के पहले सूची जारी करना, दावा आपत्ति मंगाना अनिवार्य है। परिषद के सदस्य अनुमोदित करते है। इसमें 13 सदस्य होते है।

                  कार्यपरिषद के चेयरपर्सन वाइस चांसलर होते हैं। कोरम को पूरा करने के लिए 7 सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है। लेकिन कोरम में सिर्फ 5 सदस्य ही आए। कोरम पूरा हुए बिना सूची का अनुमोदन नियम विरूद्ध है। चयनित आवेदकों को काल लेटर डाक से भेजकर सूचना दी जाती है। इसमे कम से कम माह भर से ज्यादा का समय लगता है।  लेकिन विवि ने प्रक्रिया का पालन नही कर आनन फानन में कार्यपरिषद की बैठक लेकर सभी को टेलीफोनिक सूचना दी गयी है।

               समन्यवयकों के अनुसार विवि की पूरी प्रक्रिया संदेह के दायरे में है। एक समन्वयक ने बताया कि साक्षात्कार में शामिल जय सिंह, प्रकृति जेम्स आदि कुछ लोग प्रशासनिक सेवा के बड़े अधिकारियों, भाजपा नेता और कांग्रेस नेताओं के रिश्तेदार है। इन्हें नियमों को ताक पर रखकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियुक्त का लेटर दिया है।

                           समन्यवयक ने बताया कि शिक्षा विभाग में चयनित आवेदिका की पीएचडी डिग्री अभी मान्य नही है। उसकी  पीएचडी साल 2009 के पहले की है। पीएचडी का प्रकरण अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। निर्णय आने के बाद ही मालूम होगा कि प्राध्यपकों के लिए क्या सही नियम है। लेकिन विश्वविद्यालय उनकी नियुक्ति को एनसीईटी के तहत की जाने की बात कहता है। जबकि यूजीसी के अनुसार एनसीईटी को मान्य नही है।

                       मालूम हो कि इन भर्तियों के लिए मुक्त विवि के पहले वाइसचांसलर प्रो. टीडी शर्मा ने प्राध्यापक भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था।  लेकिन भर्ती नही हो पाई थी। पंद्रह साल बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू तो हुई लेकिन विवादों में आ गयी ।

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