मेरा बिलासपुर

मेरिट प्रणाली ने किया नुकसान

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IMG_20150805_152747बिलासपुर – छात्र राजनीति की गलियों से निकलकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार रामशरण यादव को बहुत कम उम्र में ही कालेज अध्यक्ष बनने का अवसर मिला। 1984-85 में डीपी विप्र महाविद्यालय में बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ते हुए रामशरण यादव ने एनएसयूआई के बैनर तले चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। रामशरण ने बताया कि उन्होने उस समय एम.ए. के छात्र प्रेमचन्द को हराया था।

               कांग्रेस नेता रामशरण कहते हैं कि पहले की छात्र राजनीति बहुत शक्तिशाली थी। विश्वविद्यालय अध्यक्ष ही नहीं कालेज अध्यक्ष की बातों का हर जगह गंभीरता के साथ सुना जाता था। राजनेता से लेकर सभी विभागों में उनकी बातों को तवज्जो दी जाती थी। अब के अध्यक्षों को वह रूतवा हासिल नहीं है। उन्होने बताया कि आज की छात्र राजनीति डिपेन्डेट होकर रह गयी है। सच तो यह है कि अब की छात्र राजनीति में कोई दम भी नहीं रह गया है। कालेज प्रबंधन छात्र संगठन पर भारी है।

           रामशरण यादव 1984-85 में बीए.द्वितीय वर्ष में पढ़ते हुए डी.पी.विप्र महाविद्यालय के अध्यक्ष बने। उनका कहना है कि उस समय छात्र राजनीति बहुत ताकतवर हुआ करती थी। बावजूद इसके शिक्षक और छात्र नेताओं के बीच संबध हमेशा मधुर रहे। आज ऐसा नहीं है। हमने कभी तोड़फोड़ की राजनीति नहीं किया। छात्र हितों को लेकर कालेज प्रबंधन से हमेशा टकराव रहा। लेकिन यह टकराव मनभेद तक कभी नहीं पहुंचा।

               रामशरण यादव कहते हैं कि पहले छात्र संगठन चुनाव के नियम भी कठोर नहीं थे। कालेज में किसी भी कक्षा का छात्र अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकता था। अब ऐसा नहीं है। अध्यक्ष पद के लिए अब पोस्ट ग्रेजुएट छात्र ही चुनाव लड़ सकता है। रामशरण का मानना है कि 20 वर्ष चुनाव नहीं होने से प्रदेश और देश की राजनीति को बहुत नुकसान हुआ है। आज देश और प्रदेश में नेतृत्व क्षमता के अभाव का मुख्य कारण यही है। अब के छात्र नेता राजनीति का अर्थ केवल मारपीट और धमकी देना समझते हैं। जबकि ऐसा कतई नहीं होना चाहिए।

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                                     हमने अपने समय में छात्रहित और जनहित में कई कार्य किये। उन्होंने बताया कि पहले डीपी विप्र की कक्षाएं खपरे वाले भवन लगती थी। उसे पक्का बनवाया। सड़क से लेकर डीपी.विप्र कालेज तक पक्की सड़क का निर्माण करवाया। पण्डरिया कुमार के सहयोग से छात्रों के लिए सायकल स्टैण्ड का निर्माण भी हमारे समय में ही हुआ। इसके अलावा कालेज कैम्पस में गार्डन का निर्माण हमारे समय में ही हुआ था। सीजी वाल से अंत में उन्होंने एक बार फिर कहा कि मेरिट पद्धति होने वाले चुनाव से छात्र राजनिति सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।


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