बिलासपुर—- शिव भगवान रामेश्वर कालेज यानी एसबीआर में 1987 के बाद 1994-95 में छात्र संघ का चुनाव हुआ। मैने शपथ लेते समय लेते समय ही तय कर लिया था कि बिलासपुर के माथे से फुटहा कालेज का नाम मिटाना मेरी प्राथमिकता होगी। उस समय फुटहा कालेज दान की जमीन और 7 कमरे के जर्जर भवन में चलता था। बांउड्रीबाल भी नहीं थी। आसपास के लोग मैदान का इस्तेमाल शौच के लिए करते थे। यही कारण था कि कालेज में 900 छात्रों में एक भी छात्रा नहीं थी। कालेज में व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं था। यह बातें पूर्व छात्र नेता धर्मेश शर्मा ने छात्र संघ चुनाव पर सीजी वाल से चर्चा करते हुए कही।
धर्मेश शर्मा ने बताया कि छात्र संघ चुनाव राजनीति का ककहरा सीखने का सबसे अच्छा प्लेटफार्म है। आज की छात्र राजनीति पर प्रबंधन और सत्ता पक्ष का दबाव होता है। जिसकी लाठी होती है भैंस उसी का हो जाता है। अब छात्र नेताओं में जनहित में काम करने का जज्बा भी नहीं है।
धर्मेश शर्मा के अनुसार उन्होंने अध्यक्ष का चुनाव किसी बैनर के तले नहीं लड़ा था। मेरा बैक ग्राउन्ड कांग्रेसी था बडे भाई राकेश शर्मा भी छात्र नेता रह चुके थे। इसलिए मान लिया गया कि मैं एनएसयूआई का हूं। मुझे छात्रों के लिए काम करने में कभी बैनर की जरूरत भी नहीं पड़ी। मुझे नेताओं से समर्थन मिला। लेकिन उनके दरबार में नाक रगड़ने कभी नहीं गया।
एक घटना का जिक्र करते हुए धर्मेश शर्मा ने बताया कि एसबीआर कालेज दान की जमीन और भवन में खोला गया था। लेकिन सरकार ने लम्बे समय तक जमीन और भवन को अपने कब्जे में नहीं लिया। जिसके चलते सरकार भी कालेज व्यवस्था को लेकर उदासीन थी। नतीजतन कालेज की जमीन पर लोगों ने कब्जा कर लिया। एक बार छज्जा गिरने से एक छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया। उसी समय बिलासपुर प्रवास पर पहुंचे तात्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का काफिला एसबीआर कालेज के सामने से गुजर रहा था। मैने काफिले को रोकने के बाद मुख्यमंत्री को कालेज दिखाया और सारी स्थिति से अवगत भी कराया। दूसरे ही दिन कलेक्टर मनोज झलानी ने बाउंड्रीवाल का शिलान्यास रखा। जमीन पर बलात रूप से काबिज लोगों को बेदखल किया। इसमें तात्कालीन मंत्री बी.आर.यादव का भरपूर समर्थन मिला।
कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री ने एसबीआर कालेज को आदर्श महाविद्यालय बनाने का एलान किया। भवन निर्माण के लिए शासन से 80 लाख रूपए मिले आज फुटहा कालेज को लोग जमुना प्रसाद कालेज के नाम से जानते हैं।
धर्मेश शर्मा ने बताया कि मैने हमेशा छात्रहित में काम किया। अबके छात्रों में छात्र हित में काम करने का जज्बा जैसे खत्म हो चुका है। उन्होंने बताया कि मैने एसईसीएल के जीएम का दरवाजा तोड़कर ना केवल मुलाकात किया बल्कि 30 लोगों को खिलाड़ी कोटे से नौकरी पर भी लगाया।
आज के छात्र नेता अधिकार नहीं भीख मांगते हैं। सच कहूं तो अब के छात्र नेता बड़े नेताओं के पिछलग्गू हो गए हैं। हमारे समय में छात्र नेता अपने दम पर राजनीति करते थे। नेताओं के दम पर नहीं।
धर्मेश शर्मा ने बताया कि छात्र चुनाव बहुत जरूरी है। आज के छात्र नेता कल के भविष्य हैं। सत्यनारायण शर्मा, बृजमोहन अग्रवाल इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि अब कोई छात्र नेता प्रबंधन और सत्ता पक्ष के दबाव से अलग हटकर काम कर पाएगा कहना मुश्किल है।
अंत में धर्मेश शर्मा ने बताया कि जैसा हमारे समय चुनाव हुआ था वैसा अब भी है। लेकिन चुनाव रणनीति में परिवर्तन की सख्त जरूरत है।