राजपथ मे दिखेगी संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की झांकी

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raman_cg_januaryरायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य की झांकी एक बार फिर आगामी गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली के राजपथ पर छत्तीसगढ़ी कला एवं संस्कृति की छटा बिखेरेगी । छत्तीसगढ़ के विश्वप्रसिद्ध इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के कला एवं संगीत के क्षेत्र में योगदान को प्रदर्शित करती राज्य की झांकी को रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने अंतिम रूप से चयनित कर लिया है । मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह ने इस उपलब्धि के लिए राज्य की जनता को बधाई दी है । उन्होंने कहा कि खैरागढ़ कला , संगीत विश्वविद्यालय ने 1956 से ही पूरे विश्व में कला, संगीत के उत्कृष्ट संस्थान के रूप में छत्तीसगढ़ का गौरवगान किया है।

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                            जनसंपर्क विभाग के सचिव गणेश शंकर मिश्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ की झांकी का चयन विशेषज्ञ समिति के समक्ष छह चक्र की कड़ी प्रक्रिया से गुजर कर हुआ है । इन चक्रों में विशेषज्ञ समिति ने विषय वस्तु , डिजाईन , थी्र डी मॉडल और संगीत आदि विभिन्न मापदण्डों पर परीक्षण कर अंतिम रूप से आज झांकी को अंतिम स्वीकृति प्रदान की । उल्लेखनीय है कि देश के 28 राज्यों में हुई कड़ी प्रतियोगिता के बाद 15 राज्यों को राजपथ पर अंतिम रूप से राजपथ पर अपनी झांकियों को प्रदर्शित करने का अवसर प्राप्त होगा । उन्होंने बताया कि राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ की झांकी को वर्ष 2006 में प्रथम पुरस्कार और 2010 एवं 2013 में तृतीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।

                     जनसंपर्क विभाग के संचालक राजेश सुकुमार टोप्पो ने बताया कि छत्तीसगढ़ की यह झांकी एशिया के सबसे पुरातन विश्वविद्यालयों में से एक खैरागढ़ कला एवं संगीत विश्वविद्यालय को प्रदर्शित कर रही है जो संगीत , नृृत्य , ललित कला एवं रंगमंच के विभिन्न रूपों को समर्पित है । 1956 में स्थापित यह विश्वविद्यालय वैश्वीकरण के इस दौर में भी सक्रिय रूप से संगीत एवं ललित कला के क्षेत्र में कलात्मक, ष्शैक्षणिक एवं सांस्कृृतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध है । यह विश्वविद्यालय , विश्वभर से आये विद्यार्थियों के लिए पारम्परिक और आधुनिक कला के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में कार्य करने और संगीत और ललित कला को आर्थिक रूप से प्रांसगिक बनाने के लिए भी संकल्पित है । विश्वविद्यालय संगीत , शास्त्रीय संगीत , भारतीय ष्शास्त्रीय वाद्य संगीत , भारतीय लोकनृृत्य कलाएं , लोक संगीत कलाएं , पारम्परिक मूर्तिकला , चित्रकला एवं चित्रकला के इतिहास पर शिक्षा एवं शोध कार्य को लगातार आगे बढ़ा रहा है।

                        छत्तीसगढ़ की इस झांकी के अग्रभाग में विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थियों द्वारा बनायी गयी उत्कृृष्ट शिल्प कृृति मुरलीधर प्रदर्शित की जायेगी । झांकी में खैरागढ़ कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के कलात्मक भवन और कला एवं संगीत की विभिन्न विधाओं को प्रदर्शित किया जायेगा।

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