वाशरूम से निकला विवाद..कोर्ट कचरी तक पहुंचा..प्रशासन और वन विभाग आमने सामने..आखिर क्या छिपा रहा वन अमला..

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- एक दिन पहले रविवार की शाम कानन पेन्डारी एसडीओ के खिलाफ की गयी प्रशासनिक कार्रवाई के कारणों की सच्चाई अब परत दर परत खुलने लगी है। जानकारी के अनुसार एसडीओ ने एक महिला को वाशरूम प्रयोग करने पर अपमानित किया। बाद में माफी मांगकर पर्दा डालने का प्रयास किया। लेकिन प्रशासन ने अपनी कार्रवाई को नया रंग देते हुए एसडीओ को तीन घंटे तक थाना में बैठाया। बाद में तमाम सिफारिशों के बाद छोड़ दिया गया। बहरहाल एसडीओं के खिलाफ की गयी कार्रवाई को लेकर प्रशासन और वन अमला आमने सामने आ गया है।

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               रविवार की शाम गाड़ी चेकिंग अभियान के दौरान कानन पेन्डारी एसडीओ की गाड़ी को पकड़कर पुलिस थाने ले गयी। करीब तीन घंटे तक एसडीओ को पुलिस ने बैठाकर रखा। बाद में एसडीओ को छोड़ा गया। लेकिन गाड़ी के खिलाफ चालान कार्रवाई कर सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया। दूसरे दिन मामला तूल पकड़ लिया। एसडीओ ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने उनके खिलाफ बेवजह कार्रवाई की है। लेकिन स्थानीय और जिला प्रशासन ने ऐसे किसी बात से इंकार किया है।

                      घटना के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने आक्रोश है। कवर्धा से लेकर बिलासपुर तक जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। 

            मामले में बिलासपुर में लिपिक और अन्य वन कर्मचारी संघ ने स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई को गैरजिम्मेदार बताया है। साथ ही न्याय नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

क्या है अन्दर का मामला                               

               रविवार को कवर्धा के किसी बड़े अधिकारी का परिवार कानन पेन्डारी सैर करने आया। अधिकारी के परिवार में कुछ महिलाएं भी शामिल थी। इसमें एक महिला प्रेग्नेटं थी। महिला ने किन्ही परेशानियों के चलते एसडीओ चौरसिया की अनुपस्थित में वाशरूम का प्रयोग किया। इसके कुछ देर बाद मौके पर चौरसिया अपने कार्यालय पहुंच गए। वाशरूम का प्रयोग करने पर पहले तो महिला को भला बुरा कहा। इसके बाद महिला के ही सामने चौकीदार को जमकर फटकारा। इसी बीच उन्हें जानाकरी मिली कि महिला किसी बड़े अधिकारी के घर से है। उन्होने अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी। लेकिन तब तक तीर धनुष से निकल चुका था। मामले की जानकारी किसी तरह स्थानीय कोटा प्रशासन तक पहुंची। इसके बाद कोटा प्रशासन ने वाहन चेकिंग अभियान चलाया। चेकिंग के दौरान एसडीओ की गाड़ी भी पकड़ में आ गयी। गाड़ी के साथ एसडीओ को करीब तीन घंटे तक थाने में बैठाकर रखा गया।

क्या कहता है स्थानीय प्रशासन

            स्थानीय प्रशासन ने बताया कि कानन पेन्डारी और आस पास क्षेत्र में हमेशा जब तब  वाहन चेकिंग अभियान चलाया जाता है। इस समय सड़क सुरक्षा सप्ताह भी चल रहा है। वाहन चेकिंग अभियान के दौरान गलत कागजात पाए जाने या किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर कार्रवाई की जाती है। इसी बीच चेकिंग के दौरान एसडीओ चौरसिया की भी गाड़ी पकड़ी गयी। उनकी गाड़ी को सामान्य तौर पर थाने लाया गया। पूछताछ के बाद संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर गाड़ी के खिलाफ चालान बनाया गया। इस दौरान चौसरिया के साथ किसी प्रकार की बदतमीजी नहीं हुई। उन्हे गाड़ी छोड़कर घर जाने को कहा गया। लेकिन उन्होने बात का बतंगड़ बना दिया। खुद की गलती छिपाने अनर्गल  आरोप लगा रहे हैं। बहरहाल गाड़ी के खिलाफ कार्रवाई की गयी है। कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके बाद ही गाड़ी छूटेगी।

क्यों किया जा रहा छिपाने का प्रयास..बैक फुट पर वन विभाग

            यद्यपि वन मण्डलाधिकारी पूरे मामले में कुछ भी स्पष्ट जानकारी देने से बचते रहे। उन्होने बताया कि एसडीओ को तीन घंटे बैठाकर थाने में रखा गया। ऐसा करना राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ है। हमने अपनी शिकायत को एसपी और कलेक्टर के सामने रखा है। दोषियों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

                      लेकिन अन्दर से खबर मिल रही है कि वन अधिकारी केवल रश्म अदायगी का विरोध कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह कानन पेन्डारी की अव्यवस्था को बताया जा रहा है। जिला प्रशासन पिछले तीन चार महीने की गतिविधियों और कानन पेन्डारी के रखरखाव से खासा नाखुश है। यदि वन अधिकारी मामले को तूल देते हैं तो कानन पेन्डारी को लेकर जिला प्रशासन कभी भी सख्त कदम उठा सकता है। बताते चलें कि वन विभाग की लापरवाही के चलते मिनी जू में अब तक तीन चार महीने के अन्दर आधा दर्जन से अधिक जानवारों की मौत हो गयी है। प्रशासन पर यदि दबाव बनाया गया तो शायद जानवरों की मौत का मामला वन अधिकारियों के गले की फांस बन सकती है।

विवाद को रोकना चाहते वनमण्डलाधिकारी

                          यही कारण है कि वन मण्डलाधिकारी विवाद की मूल वजह को छिपाने का लगातार प्रयास कर रहे है। रश्मि विरोध कर कर्मचारियों को शांत करने की कोशिश कर रहे है। लेकिन स्थानीय और जिला प्रशासन अधिकारी के घर की महिला के अपमान को हल्के में लेेने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि वन मण्डलाधिकारी तीन कदम आगे चलकर दो कदम पीछे हट रहे है। प्रयास भी कर रहे हैं कि इसके पहले कानन पेण्डारी की पोल खुले…मामले को रफा दफा कर लिया जाए। 

                 यद्यपि वनमण्डलाधिकारी ने बताया कि स्थानीय प्रशासन लगातार माफी मांगने को लेकर दबाव बना रहा है।

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