बिलासपुर—विभाग कंगाल…अधिकारी मालामाल..यह जुमला बिलासपुर आबकारी विभाग पर सौ टका लागू होता है। सीजी वाल ने अपनी दो कड़ी में बोदरी और बिल्हा सरकारी शराब दुकान से ओव्हर रेट का मुद्दा उठाया है। www.cgwall.com बताना जरूरी है कि बोदरी और बिल्हा ही नहीं बल्कि जिले के सभी सरकारी शराब दुकानों की स्थिति कमोबेश एक जैसी है। ओव्हर रेट के लाखों की ऱाशि अधिकारियों की जेब में जा रही हैं।
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सरकार मानकर चल रही है कि सरकारी दुकानों से परिस्थितिजन्य नुकसान हो रहा है। वास्तविकता कुछ और ही है। www.cgwall.com विभाग को कंगाल करने वाले कर्मचारी मालामाल है। जिला पंचायत बैठक में तो ओव्हर रेट के खिलाफ सदस्यों ने आबकारी अधिकारी को जमकर आड़े हाथ लिया था। आश्वासन के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। बिल्हा और बोदरी में ओव्हर रेट विक्री अभी भी हो रही है। मुख्य वजह उप-निरीक्षक और आबकारी अधिकारी के बीच बेहतर तालमेल का होना बताया जा रहा है। www.cgwall.com जानकारी के अनुसार बोदरी उप निरीक्षक अपनी दबंग छवि को लेकर हमेशा चर्चा में रहे हैं। चाहे मामला धमतरी का हो या फिर बिलासपुर में आन ड्यटी आबकारी आरक्षक से मारपीट का हो।
वर्तमान में बोदरी और बिल्हा शराब दुकान के प्रभारी आबकारी उप निरीक्षक का कवर्धा में तीन साल का कार्यकाल बहुत विवादास्पद रहा। बताया जाता है कि वर्किग टाइम में मशहूर शराब ठेकेदार से मारपीट और झूमाझटकी हुई थी। मामला थाने तक पहुंच गया था। एफआईआर भी दर्ज हुआ। www.cgwall.com लेकिन आलाधिकारियों के प्रयास से किसी तरह मामले को शांत किया गया। इस दौरान आबकारी अधिकारी भी मौजूद थे। अपनी दबंग छवि के लिए मशहूर बिलासपुर में कार्यरत यह उप निरीक्षक धमतरी में भी विवादों से घिरा रहा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरंभिक 6 महीने के बाद तमाम वरिष्ठों को पीछे धकेलकर धमतरी आबकारी अधिकारी का विश्वासपात्र बन गया। यह सिलसिला आज भी बिलासपुर में कायम है। www.cgwall.com बताया जाता है कि तात्कालीन धमतरी आबकारी अधिकारी ने तीन वरिष्ठ उपनिरीक्षकों को नजर अंदाज कर शहर के तीनों जोन का जिम्मा आज के बोदरी उपनिरीक्षक को सौंप दिया था। अपनी आदतों से लाचार इस उप निरीक्षक ने ठाबा में घुसकर संचालक से मारपीट की। शिकायत फआईआर तक पहुंची। यहां भी किसी तरह लेन देन कर मामले को दबाया गया।
बावजूद इसके बोदरी उप निरीक्षक की दबंगई बंद नहीं हुई। बिलासपुर 2013 में ज्वाइनिंग के तीसरे महीने आन ड्यूटी आबकारी कंट्रोल रूम में आरक्षक नीलकमल धृतेश के साथ गाली गलौच और मारपीट की। www.cgwall.com धृतेश ने तात्कालीन सिविल लाइन थाना प्रभारी सुरेश ध्रुव और सीएसपी मधुलिका सिंह के सामने एट्रोसिटी का मामला दर्ज करवाया। बाद में आबकारी अधिकारियों के बीच बचाव से मामला कोर्ट तक पहुंचने से पहले थाने में ही शांत हो गया। एफआईआर आज भी जीवित है। www.cgwall.com अपनी कार्यशैली को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले उप-निरीक्षक को हाईकोर्ट ने चालान पेश नहीं करने को लेकर भी फटकारा है। आबकारी अधिकारी ने यहां भी ढाल का काम किया। किसी तरह मामले को रफा दफा किया गया जारी है…….