
रायपुर । राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने शनिवार को यहां कारोबारी विवेक गोयल अपहरण कांड के आरोपियों को पकड़ने में पुलिस विभाग द्वारा प्रदर्शित की गई तत्परता के लिए पुलिस महानिदेशक ए.एन. उपाध्याय सहित रायपुर और दुर्ग जिले के पुलिस दल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सम्मानित किया। श्री टंडन ने स्वेच्छानुदान राशि से 2.50 लाख रूपए का चेक बतौर ईनाम भी प्रदान किया। राज्यपाल श्री टंडन ने इस अपहरणकांड में पुलिस दल द्वारा आपसी समन्वय, सूझबूझ से घटना को सुलझाने के लिए सभी की अत्यंत सराहना की। उन्होंने कहा कि रायपुर और दुर्ग पुलिस ने अत्यंत प्रोफेशनल तरीके से आधुनिकतम टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया और पीड़ित को सकुशल वापस लाने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इसी प्रकार छत्तीसगढ़ पुलिस, जनता की सेवा में सदैव तत्पर रहेगी और अपराधियों के कुत्सित प्रयासों को विफल करेगी। राज्यपाल श्री टंडन ने इस अपहरणकांड को सुलझाने में संलग्न पुलिस टीम के सभी सदस्यों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।
पुलिस महानिदेशक ए.एन. उपाध्याय ने घटनाक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि अपहृत व्यक्ति की पत्नी ने अपहरण की जानकारी पुलिस को प्रदान की। इस दौरान वे शांत एवं स्थिर चित्त बनी रही। रायपुर एवं दुर्ग दोनों जिलों की सीमा की घटना होने के कारण दोनों जिलों की टीम ने आपसी समन्वय से इस कार्य को पूरा किया।
पुलिस महानिरीक्षक प्रदीप गुप्ता ने घटनाक्रम के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह अपराधी गैंग ऐसे इश्तहार देखता था, जो प्रापर्टी देखने वाला हो और यदि प्रापर्टी दिखाने वाला स्वयं मालिक हो तो वे उसे साथ चलने का प्रस्ताव रखते थे। अपहृत व्यक्ति के साथ भी यही हुआ। अपहरण के बाद अपहृत व्यक्ति विवेक गोयल के फोन से ही उनके परिजनों को संपर्क किया गया। उनके परिजनों ने पुलिस से संपर्क किया, जिससे तत्काल पुलिस सक्रिय हो सकी और अपहरणकर्ताओं के फोन काल रिकार्ड होने लगे। ठीक इसी तरह की वारदात दुर्ग में पहले हो चुकी थी, जिससे इस केस को समझने में आसानी हुई। श्रीमती गोयल, अपहरणकर्ताओं से फिरौती की रकम की व्यवस्था करने की बात सूझबूझ से करती रही, जिससे उनके फोन का लोकेशन आसानी से मिलता रहा। रिंग रोड 01, इन्द्रप्रस्थ कॉलोनी के समीप फिरौती की रकम देने की बात तय हुई, जहां पुलिस छद्म वेश में उपस्थित थे। पुलिस के सामने यह बड़ी चुनौती थी कि विवेक गोयल को नुकसान पहुंचे बिना केस को सुलझाना था। सभी विस्तृत जानकारी संग्रहित करते हुए पुलिस ने घटनास्थल पर अपहरणकर्ताओं पर त्वरित कार्यवाही की, जिससे विवेक की सकुशल रिहाई संभव हो सकी। पुलिस ने इसके लिए व्हाट्सएप का भी सहारा लिया, जिससे संदेश आदान-प्रदान में आसानी हुई।