जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के 236 कर्मचारियों का विदाई निश्चित है। गाज अब तब गिर सकती है। 2011 में नियुक्त पांच सौ छब्बीस में से 161 से अधिक कर्मचारियों को शासन ने रिवर्ट करने का आदेश दिर्या है। बैंक सीईओ अभिषेक तिवारी ने बताया कि शासन के आदेश को तामील किया जाएगा।
साल 2011 से 14 के बीच जिला सहकारी बैंक में कर्मचारियों की भर्ती और प्रमोशन में भारी अनियमितता का खेल हुआ है।जांच के बाद शासन ने 161 से अधिक कर्मचारियों को नियम विरूद्ध प्रमोशन दिए जाना पाया है।जांच के अनुसार कुछ लोग पांच साल के भीतर दो बार प्रमोशन लेकर चपरासी से प्रबंधक गए है, तो कुछ बाबू बनकर कुर्सी तोड़ रहे हैं।
जिला सहकारी बैंक के चार जिलो में पचास से अधिक सहकारी समितियां काम कर रही हैं। साल 2011 और 14 के बीच नियुक्तियों में जमकर धांधली की गयी। कई कर्मचारियों को सीनियरों पर वरीयता देते हुए मात्र पांच साल में दो से तीन प्रमोशन दिया गया है ।शासन ने ऐसे 161 कर्मचारियों को रिवर्ट कर पुराने पद पर पहुंचाने को कहा है। शासन ने 236 कर्मचारियों को बर्खास्त कर अर्जित राशि को वसूलने का फरमान जारी किया है। जानकारी के अनुसार पांच सौ छब्बीस में से कुछ ऐसे भी कर्मचारी हैं जिन्होने अपनी मर्जी से पेबैण्ड तय कर लिया है।
पंजीयक कार्यालय से मिले आदेश के बाद जिला सहकारी बैंक में हड़कम्प है। बैंक कर्मचारियों ने भी शासन और प्रबंधन के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है।
कर्मचारी नेता घनश्याम तिवारी ने बताया कि शासन का आदेश एक तरफा हैं। जिन लोगों ने मोटी रकम लेकर घोटाला किया है उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई क्यों नहीं करना चाहती। घनश्याम तिवारी ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया। इसके लिए संचालक मंडल और तात्कालीन चेयरमैन जिम्मेदार हैं। एक तरफा जांच कर कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। संचालक मण्डल और चेयरमैन को जानबूझकर बचाया जा रहा है।
कर्मचारी संगठन में दो फाड़
शासन के आदेश को लेकर कर्मचारियों में घमासान है। घमासान की एक वजह कर्मचारी नेता घनश्याम तिवारी को लेकर भी है। कर्मचारी अपने नए मुखिया की कार्यशैली को लेकर खासे नाराज हैं। बैंक कर्मचारी संघ के ही एक नेता ने बताया कि अभी घनश्याम को बहुत कुछ सीखना होगा। उसके पास ना तो नेतृत्व की क्षमता है और ना ही बोलने का सऊर। ऐसे में शासन के खिलाफ लड़ना क्या टिकना भी मुश्किल है। घनश्याम तिवारी ने अध्यक्ष बनने के बाद सीनियरों को अपमान करने का कोई मौका नहीं छोडा। संगठन के पदों से कई लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कर्मचारी नेता ने बताया कि घनश्याम तिवारी पहले अपनी नौकरी बचाएं। इसके बाद अन्य लोगों की चिंता करें। घनश्याम तिवारी की लापरवाही ने ही पांच सौ से अधिक कर्मचारियों के भविष्य को आग में झोंक दिया है। यदि समय रहते कर्मचारी संघ ने कदम उठाया होता तो सरकार अब तक हमारे सामने झुकी हुई दिखाई देती। फिलहाल कर्मचारी नेता को बैंक कर्मचारी हित में हटाना जरूरी हो गया है।
पंजीयक के आदेश को जिला कलेक्टर के संज्ञान में लाया गया है। जैसा आदेश होगा उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। आदेश में पांच सौ छब्बीस में से 236 कर्मचारियों को बाहर निकालने और 161 से अधिक लोगों को रिवर्ट करने को कहा गया है। कुछ ऐसे भी कर्मचारी हैं जिन्होने निेयम विरूद्ध अधिक वेतन लेकर बैंक को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे लोगों से भी राशि की वसूली होगी। मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई निश्चित है।
अभिषेक तिवारी,सीईओ,जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक बिलासपुर
हमने काम पूरा किया
जी.एस.ढारगावे.संयुक्त संचालक सहकारी संस्थाएं बिलासपुर संभाग