शाहरुख खान पर IT का बड़ा एक्शन,14.67 करोड़ रुपये का अलीबाग फार्महाउस अटैच

Shri Mi
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आयकर विभाग ने बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। उनका अलीबाग स्थित ‘देजा वू’ फार्महाउस अटैच कर लिया गया है। शाहरुख पर आरोप है कि उन्होंने कृषि योग्य जमीन पर फार्महाउस बना लिया। महाराष्ट्र के कानून के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता है। शाहरुख का यह फार्महाउस अलीबाग में 19,960 वर्ग मीटर में फैला है, जिसकी कीमत 14.67 करोड़ रुपये है। आईटी अधिकारी ने बताया कि प्रोहिबीशन ऑफ बेनामी प्रोपर्टी ट्रांजेक्शन एक्ट (पीबीपीटी कानून) की धारा 24 के तहत जांच अधिकारी संपत्ति को अटैच कर सकते हैं। ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ की रिपार्ट के अनुसार, शाहरुख ने खेती के लिए जमीन खरीदने के लिए आवेदन किया था, लेकिन बाद में निजी इस्तेमाल के लिए अलीबाग में एक फार्महाउस बना लिया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, ‘यह लेनदेन पीबीपीटी अधिनियम की धारा 2(9) के अनुसार बेनामी लेनदेन की परिभाषा के अंतर्गत आता है, जहां शाहरुख के फायदे के लिए देजा वू फार्म्स ने बेनामिदार के रूप में काम किया है।

             
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इस प्रकार शाहरुख निर्धारित कानून के तहत एक लाभार्थी है।’शाहरुख की कंपनी रेड चि‍ली एंटरटेनमेंट और कोलकाता नाइट राइडर्स के सीईओ को 24 जनवरी को इस संबंध में ई मेल भेजा गया था। हालांकि कई बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद कोई जवाब नहीं आया। फार्महाउस में स्वीमिंग पूल और प्राइवेट हैलीपैड भी है।




जमीन को खरीदने के लिए देजा वू फार्म्स का निर्माण किया गया। इस कंपनी को शाहरुख ने 8 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन भी दिया था। इसके कृषि भूमि होने के कारण इसे शुरुआती तीन साल में कृषि के लिए इस्तेमाल किया जाना था। आईटी की जांच में पता चला है कि कंपनी ने कृषि से अभी तक कोई कमाई नहीं दिखाई है। जांच में इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि शाहरुख द्वारा दिए गए सभी लोन से देजा वू ने जमीने खरीदीं हैं। कंपनी के डायरेक्टर रमेश छिब्बा, सविता छिब्बा और नमिता छिब्बा शाहरुख के रिश्तेदार हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ जब जिलाधिकारी विजय सूर्यवंशी ने दावा किया कि अलिबाग में शाहरुख का बंग्ला उन 87 फार्महाउस के साथ था, जिनपर उनके कार्यालय ने कानूनी राय मांगी थी ताकि वह कोस्टल रेगुलेटरी जोन के उल्लंघन के तहत कार्रवाई कर सकें।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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