शिक्षाकर्मीः संविलियन के बाद अब नया तूफान…अध्यापकों ने दी धमकी..कहा सरकार को भारी पड़ेगी वादाखिलाफी.

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश ने 21 जनवरी को आवास पर अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन की घोषणा की थी। 14 मई को स्पष्ट किया गया था कि शिक्षा विभाग में एक ही कैडर होगा और वह शिक्षक संवर्ग कहलाएगा। 29 मई को मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में लिए गए संक्षेपिका से स्पष्ट हो गया है कि अध्यापक संवर्ग को संविलियन के नाम पर धोखा दिया गया है। अध्यापक संवर्ग अपने जन्मकाल से ही धोखे का शिकार होते आया है और अब भी होने जा रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा हो गया है। शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने सीएम को झूठा साबित किया है। अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के प्रान्तीय संचालन समिति सदस्य रमेश पाटिल ने कहा कि अब सरकार अध्यापकों के भयंकर विरोध का सामना करने को तैयार रहे।

                       मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद फिर से अध्यापकों का गोलबंद होना शुरू हो गया है। अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के प्रान्तीय संचालन समिति सदस्य रमेश पाटिल ने सरकार पर धोखेबाजी करने का आरोप लगाया है। रमेश ने बताया कि  संक्षेपिका में स्पष्ट हुआ है कि अध्यापको के साथ भयंकर धोखा किया गया है। शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को नजरअंदाज कर 1 जुलाई 2018 से राज्य शिक्षा सेवा आयोग के अधीन नियुक्त करने का निर्णय लिया है। पदनाम परिवर्तित कर नया कैडर बनाया हैं। सातवां वेतनमान राज्य शासन के अन्य कर्मचारियों से 31 माह बाद 1 जुलाई 2018 से दिये जाने का निर्णय किया गया है।
                                   रमेश के अनुसार नए कैडर में अध्यापकों की नियुक्ति 1 जुलाई 2018 से मानी जाएगी। पूर्व में की गई 20-22 साल की सेवा समाप्त कर दी जाएगी।  नए सिरे से नए पदनाम के साथ 1 जुलाई 2018 से नियुक्त कर दिया जाएगा। पूर्व प्राप्त समस्त आर्थिक लाभ को भी समाप्त कर दिया जाएगा। मतलब किसी प्रकार का एरियर्स भुगतान भी नही होगा। संक्षेपिका में सेवाशर्तों का भी खुलासा भी नहीं किया गया है। नये संवर्ग को कौन सा वेतनमान दिया जाएगा इस पर अभी भी रहस्य बना हुआ है। क्रमोन्नति-पदोन्नति के लिए सेवा अवधि की गणना  नये सिरे से वर्तमान नियुक्ति से होगी। राज्य शिक्षा सेवा आयोग में नई नियुक्ति देकर ई-अटेंडेंस और प्रतिवर्ष सेवा की समीक्षा जैसी दमनकारी शर्तें थोप दी गयी  है। जिसका पहले ही अध्यापक संवर्ग पुरजोर विरोध कर चुका है।
                    संक्षेपिका के आधार पर होने वाले आदेशों का अंदाजा अध्यापक संवर्ग को हो गया है। जिसका मध्यप्रदेश का 2 लाख 84 हजार अध्यापक पुरजोर विरोध करता है। मुख्यमंत्री के आश्वासन पर अध्यापकों ने संघर्ष विराम किया था। एक बार फिर मध्यप्रदेश का अध्यापक ऐतिहासिक अन्याय के विरोध में गोलबंद हो रहा है। मंत्रिमंडल के निर्णय का पुरजोर विरोध हर स्तर पर किया जाएगा। नया कैडर और नया विभाग, रहस्यमई सेवा शर्तें और आर्थिक दमनकारी नीति कतई मंजूर नहीं है।
                             रमेश पाटिल के अनुसार अध्यापक संवर्ग ने संघर्ष शिक्षा विभाग में संविलियन के लिए किया गया था। जिसकी प्रमुख मांग समान शिक्षा विभाग और समान पदनाम, 1994 के अनुसार समान सेवाशर्तें थी। अध्यापकों की यह भी मांग थी की अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन करने पर शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक, गुरुजी नियुक्ति दिनांक से सेवा अवधि निरंतरता में बनी रहे। जिससे भविष्यलक्षी लाभो को प्राप्त करने में किसी प्रकार की कोई अड़चन ना हो। सेवा में निरंतरता के आधार पर ही पुरानी पेंशन, पारिवारिक पेंशन, जीपीएफ, बीमा, ग्रेच्युटी के लाभ का आकांक्षी था। संक्षेपिका मे सिरे से खारिज कर दिया  गया है।
                  अध्यापक संवर्ग सितंबर 2013 से छठवां वेतनमान एरियर्स और सातवां वेतनमान जनवरी 2016 से के साथ एरियर्स चाह रहा था। 2013 के समान कार्य समान वेतन के आदेश को चौथी किस्त दिए जाने के पहले ही  गोलमोल कर छठवें वेतनमान में परिवर्तित कर दिया गया। अध्यापको को मिलने वाला लाखो का एरिअर सरकार डकार गई। जनवरी 16 से सातवें वेतनमान के लिए अनेक बार मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक घोषणा कर अध्यापको को आश्वस्त कर चुके थे। लेकिन सारी घोषणाएं ” ढाक के तीन पात” और “खोदा पहाड़ निकली चुहिया” कहावत चरितार्थ हुई।
                          शिक्षक नेता ने बताया कि मध्यप्रदेश का अध्यापक संवर्ग मंत्रिमंडल के निर्णय से ठगा और आक्रोशित महसूस कर रहा है। अध्यापकों को भविष्य अंधकार में नजर आने लगा है। जिससे निकलने की छटपटाहट अध्यापको मे साफ देखी जा सकती है।अब उग्र आन्दोलनो से इंकार नही किया जा सकता है। जिसके लिए सरकार की वादाखिलाफी प्रमुख कारण होगी। सत्ताधारी दल अध्यापक से जिस राजनीतिक लाभ की अपेक्षा कर रहा था, दांव अब उल्टा पड गया है।भारी नुकसान उठाना पडेगा।
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