बिलासपुर….छत्तीसगढ़ में इन दिनों सरकार और शिक्षाकर्मियों के बीच डाल डाल और पात-पात का खेल चल रहा है। इसके पहले शिक्षाकर्मी रणनीति बनाए शासन के नए फरमान से शिक्षाकर्मियों के मसूबों पर पर पानी फिर जाता है।
ऐतिहासिक हड़ताल के बाद शासन ने शिक्षा कर्मियों की संविलियन समेत अन्य मांगों को लेकर मुख्य सचिव की अगुवाई में कमेटी का गठन हुआ। सरकार ने तीन महीने के अन्दर रिपोर्ट पेश करने को कहा। लेकिन 5 मार्च गुजरने के बाद भी रिपोर्ट सरकार के सामने नहीं पहुंची है।
नवीन शिक्षा कर्मी संघ प्रदेश उपाध्यक्ष अमित कुमार नामदेव ने बताया कि शिक्षा विभाग का लगभग सभी मैदानी काम शिक्षाकर्मी करते हैं। बावजूद इसके शासन शिक्षाकर्मियों को लेकर हड़ताल के बाद भी मांगों को लेकर बहुत गंभीर नहीं है। यही कारण है कि तीन महीना गुजरने के बाद भी मुख्य सचिव ने आज तक रिपोर्ट पेश हीं किया है। जबकि मध्यप्रदेश सरकार हार्ड एन्ड फास्ट निर्णय लेते हुए शिक्षाकर्मियों की मांंग को अमली जामा भी पहना दिया है।
अमित के अनुसार सरकार की ढुलमुल नीतियों से शिक्षाकर्मी परेशान हैं। नाराज शिक्षाकर्मी जब भी सरकार पर दबाव बनाने नई रणनीति पर विचार करते हैं। शासन शिक्षाकर्नियों का ध्यान भटकाने नया फरमान जारी कर देता है। ताजा मामला पूनर्मुल्यांंक के बहिष्कार का फैसला शिक्षाकर्मी करते इसके पहले शासन ने नया फरमान जारी कर दिया है। दरअसल शासन हमारी रणनीति को विफल करने के लिे आदेश पर आदेश जारी कर मनोबल तोड़ रहा है। जबकि शासन को संविलियन समेत अन्य माँगो पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।