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रायपुर।छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षाकर्मियों के संविलयनके बाद उम्मीद की जा रही है कि बरसों से अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे शिक्षकों को उनका हक भी मिलेगा और सम्मान भी हासिल हो सकेगा। इसी कड़ी में एक अहम् सवाल है कि क्या अब तक शिक्षा कर्मी वर्ग एक या व्याख्याता ( पंचायत / नगरीय निकाय ) कहलाने वाले शिक्षकों को राजपत्रित ( गजटेड ) का दर्जा मिल सकेगा। इस बारे में स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी आदेश से संकेत मिल रहे हैं कि विभाग की मंशा शिक्षा कर्मी – वर्ग एक को राजपत्रित का दर्जा देने की है। लेकिन इसकी प्रक्रिया में अभी समय लग सकता है।
जैसा कि मालूम है कि शिक्षा कर्मी वर्ग एक के रूप में बरसों पहले नियुक्त हुए शिक्षक अपने स्कूलों में व्याख्याता ( लेक्चरर ) के रूप में अपनी सेवाएँ देते रहे हैं। वे एक विषय के व्याख्याता रहे हैं और इसी पद पर नियुक्त हुए कई शिक्षक बरसों से एक ही पद पर काम करते रहे हैं। पुरानी व्यवस्था के हिसाब इस तरह सीधे व्याख्याता से समकक्ष पद पर नियुक्त होने के बाद कई शिक्षकों को अब तक प्राचार्य पद पर पदोन्नति मिल जाती । लेकिन शिक्षा कर्मी व्यवस्था की वजह से उन्हे एक ही पद पर बने रहना पड़ा। बीच में उन्हे व्याख्याता ( पंचायत / नगरीय निकाय ) का पदनाम जरूर मिल गया था। अब चूंकि सभी शिक्षा कर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलयन कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में वर्ग एक के शिक्षा कर्मियों को व्याख्याता ( एल बी ) के रूप में नया पद नाम मिल गया है। अब इस वर्ग के शिक्षकों के सामने अहम् सवाल है कि उन्हे राजपत्रित का दर्जा मिलेगा या नहीं…। चूंकि स्कूलों में पदस्थ नियमित व्याख्याता राजपत्रित दर्जे में माने जाते हैं। लिहाजा व्याख्याता ( एल बी ) को भी राजपत्रित का दर्जा हासिल होने की उम्मीद की जा रही थी।
इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी ताजा आदेश के बाद यह माना जा रहा है कि शासन की मंशा व्याख्याता ( एल बी ) को भी राजपत्रित का दर्जा देने की है। व्याख्याता ( एल बी ) को द्वितीय श्रेणी राजपत्रित में लिए जाने के संबंध में कहा गया है कि व्याख्याता ( एल बी ) को राजपत्रित द्वितीय श्रेणी घोषित किए जाने हेतु राजपत्र में प्रकाशन करना होगा। जिसमें प्रक्रियात्मक समय लगना संभव है। व्याख्याता ( पंचायत / नगरीय निकाय ) तृतीय श्रेणी कर्मचारी हैं। तदनुसार ही व्याख्याता का वर्तमान में वेतन देयक तैयार किया जाएगा। जिसका भविष्य में राजपत्र में प्रकाशन उपरांत यथोचित श्रेणी में वेतन निर्धारण किया जाकर समायोजन कर लिया जाएगा। शिक्षा विभाग के इस आदेश का यही मतलब निकाला जा रहा है कि आने वाले समय में व्याख्याता ( एल बी ) को भी राजपत्रित का दर्जा हासिल हो सकेगा।