सरकार का सौतेला व्यवहार….जूता घिस रहे डिग्रीधारी…भरे जाएं खाली पद…बेरोजगार ग्रन्थपालों ने दी आंदोलन की धमकी

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—राज्य ग्रन्थालय प्रकोष्ठ लोक शिक्षण संचालनालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के सभी हायर सेकेन्डरी स्कूलों में ढाई हजार से अधिक पद हैं। लेेकिन दो हजार तीन सौ से अधिक स्कूलों में लायब्रेरी या तो है ही नहीं…यदि है तो बिना ग्रन्थपाल के संचालित हो रहा है। जहां लायब्रेरी है भी वहां दो चार पुस्तकों से अधिक कुछ नहीं है। मतलब लायब्रेरी में किताबों के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। जहां दो चार पुस्तक हैं भी वहा शिक्षक लायब्रेरी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता और जन सेवा भारती पुस्तकालय संघ के प्रदेश सचिव संजय गढ़ेवाल ने दी है। गढ़ेवाल ने बताया कि लोग हजारों की संख्या में डिग्री डिप्लोमा लेकर जूते घिस रहे हैं…लेकिन ग्रन्थालय के खाली पदों को सरकार नहीं भर रही है।
                                         आरटीआई कार्यकर्ता और जन सेवा भारती पुस्तकालय संघ के प्रदेश सचिव संजय गढ़ेवाल ने बताया कि पुस्तकों के नाम पर स्कूलों में जमकर खेल हो रहा है। फाइलों में स्कूल लायब्रेरी के नाम पर लाखों करो़ड़ों रूपए की पुस्तकें खरीदी जा रही हैं। मजेदार बात है कि प्रदेश के ज्यादातर स्कूलों में लायब्रेसी तो दूर लायब्रेरी के लिए कमरा भी नहीं है। जहां है भी वहां लायब्रेरी के नाम पर दो चार पुस्तकें ही हैं।हजारों स्कूलों के बच्चों को लायब्रेरी के बारे में जानकारी ही नहीं है। और तो और जहां नाम मात्र की लायब्रेरी की सुविधा है भी वहां ग्रन्थपाल की नियुक्ति नहीं है। स्कूल का कोई एक शिक्षक ही ग्रन्थपाल की भूमिका में तैनात है।
                             जन सेवा भारती पुस्तकालय संघ के प्रदेश सचिव संजय गढ़ेवाल ने बताया कि हमने आरटीआई के माध्यम से शासन से छत्तीसगढ़ के समस्त शासकीय विद्यालयों मे शिक्षक ग्रन्थपाल सेटअप के साथ भरे और खाली पदों की जानकारी मांगी। पहले तो अधिकारी जानकारी देने से बचते रहे। काफी जद्दोजहद के बारे जो जानकारी मिली वह काफी चौकाने वाली है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के सभी स्कूलों में ग्रन्थपाल के स्वीकृत पद की संख्या 2575 से अधिक हैं। लेकिन इनमें से मात्र  193 ग्रन्थपालों के पदों की भर्ती हुई है।
                              संजय ने बताया कि इस समय प्रदेश में सैकड़ों हजारों की संख्या में लायब्रेरी कोर्स के डिग्री और डिप्लोमाधारी होनहार बेरोजगार युवक जूते घिस रहे हैं। बेगारी कर रहे हैं। जानकारी तो यह भी है कि खाली होने के कारण यह होनहार बेरोजगार युवक सदमें हैं। पेट पालने के लिए अपराध भी करने लगे हैं। लेकिन प्रदेश सरकार खाली पदों की भरना तो दूर विचार भी नहीं कर रही है। लेकिन कालेजों में लायब्रेरी साइंस का कोर्स भी चला रही है। मतलब  साफ है कि सरकार के नीयत में  खोट है। सवाल उठता है कि आखिर सरकार बेरोजगार युवक के परिवार से लायब्रेरी साइंस पठन पाठन के लिए बलात तरीके से रूपए ऐंठ रही है। जब पदों की भर्ती ही नहीं होना है तो कोर्स को ही बन्द क्यों नहीं किया जाता है।
                                                संजय ने यह भी बताया कि साल 2012-13 मे छत्तीसागढ़ के लगभग सभी जिलों मे शिक्षक (ग्रन्थपाल) के हजारों पदों के लि्ए समाचार पत्रों मे विज्ञापन प्रकाशित किये गये थे। कुछ  जिलों को छोड़कर आज तक किसी भी स्कूल में ग्रन्थपाल की भर्ती ही नहीं हुई। जबकि छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग  मंत्रालय के राजपत्र 5 मार्च  2018 मे प्रकाशित अधिसूचना के पृष्ठ क्रमांक  158 (18) सरल क्रमांक 30 के अनुसार ग्रन्थपाल वेतनमान का पद स्वीकृत हैं। पिछले कई सालों से शिक्षक (ग्रन्थपाल) के पदों पर भर्ती नही होने  से प्रदेश के प्रशिक्षित पुस्तकालय विज्ञान के बी.लिब/एम.लिब.डिग्रीधारी हजारों युवा सदमें में है। इतना ही नहीं संख्याबल के आगे झुकने वाली सरकार को ग्रन्थपाल के रिक्त पदों के भर्ती की चिन्ता ही नहीं है। यदि हमारे पास भी शिक्षाकर्मियों की तरह संख्या बल होती तो हम भी अब तक रोजगार में होते। बावजूद इसके हम पिछले कई सालों प्रशिक्षित बेरोजगार संघ के बैनर तले अपनी जंग लड़ रहे हैं।
                                         हमारा प्रदेश सरकार से निवेदन है प्रदेश सरकार से निवेदन है कि शासन स्तर पर ग्रन्थपाल के लिए स्वीकृत पदों को भरा जाए। जबकि शासन को जानकारी है कि प्रदेश के स्कूलों में ग्रन्थपाल पद की कुल संख्या 2575 से अधिक हैं। इनमें से मात्र  193 ग्रन्थपालों के पदों की भर्ती हुई है। खाली 2382 पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। मांग पूरी नही होने और विलम्ब की स्थिति मे संघ और प्रदेश के प्रशिक्षित बी.लिब / एम. लिब. डिग्रीधारी बेरोजगार युवक सड़क पर उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
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