
रायपुर ( वैभव शिव पाण्डेय ) । कहते है न कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ….और जो प्रयास करता है वह सफल जरूर होता है। जैसे बेंद्री सरकारी स्कूल की शिक्षकाओं ने किया। उन्होंने अपने प्रयास से पहली और दूसरी कक्षा को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित कर दिया है। यहां के बच्चें अब अंग्रेजी में सभी विषयों की पढ़ाई करते हैं।
अगर किसी सरकारी स्कूल का छात्र वो भी गांव का और उसमें भी पहली या दूसरी का अगर स्कूल में अंग्रेजी में पढ़ाय, अंग्रेजी में सवाल-जवाब करे, अंग्रेजी में लिखे और बोले तो आश्चर्य तो होगा ही।
मुझें भी यह सुनकर सबकुच अचरज ही लगा . लेकिन जब मैं स्कूल पहुँचा और आंखों से जो देखा उस पर सहज ही यकीन नहीं कर पा रहा था . मैं दंग रहा कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला ये पहली और दूसरी कक्षा के छात्र किस तरह से बेझिकर अंग्रेजी में पढ़ाई कर रहे हैं । यकीन मानइए आप भी अगर दरअसल धरसींवा विकासखंड के बेंद्री गांव के सरकारी प्राथमिक शाला मेंप्रवेश करेंगे तो आपका अभिवादन …वेलकम सर…गुड मार्निंग सर..और थैंक्यू सर के साथ होगा है.
वैसे आप ये जो तस्वीर देख रहे हैं ….इससे न समझिएगा कि ये कोई अंग्रेजी माध्यम का स्कूल है । सच्चाई तो ये है ये भी आम सरकारी स्कूलों की तरह कई अभावों के संग संचालित वाला ही विद्यालय है । हां ये जरूर है कि अब यह आम सरकारी स्कूल खास हो गया है । खास होना लाजिमी भी है क्योंकि यहां की शिक्षिका अन्नपूर्णा पाटकर और संगीता पंडेल पहली और दूसरी के छात्रों को अंग्रेजी में पढ़ाने का प्रयास किया ।
चंद महीनों के प्रयास में ही अब यहां के बच्चें अंग्रेजी में बहुत कुछ लिखना और बोलना सीख गए हैं। ऐसा नहीं था कि यहां अंग्रेजी पढ़ाने का कोई संसाधन था। लेकिन शिक्षिकाओं ने अपनी तरफ से थोड़ा-थोड़ा कर कुछ किताबे, कुछ अंग्रेजी के चार्ट और अन्य सम्रागियाँ जुटाई और शुरू हो गई अंग्रेजी में पढ़ाई
वास्तव में अगर कोई भी शख्स और विशेष तौर पर कोई शिक्षक कुछ बेहतर करने की ठान ले तो परिवर्तन जरूर होता है। बेंद्री सरकारी स्कूल को देखकर तो यही कहा ही जा सकता है। वाकई बेंद्री का यह सरकारी स्कूल यहाँ की शिक्षकाएँ हम सबके लिए एक मिसाल हैं।