सिटी सेंटर काम्पलेक्स पर काले बादल…जमीन देने से निगम का इंकार…दुकानदारों में हड़कम्प

BHASKAR MISHRA
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IMG-20170801-WA0013बिलासपुर— हाईकोर्ट से निर्णय के बाद सिटी सेंटर में दुकान बुक करा चुके व्यवसायियों में दहशत है। बावजूद इसके व्यापारियों को अभी भी झांसा दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार सिटी सेंटर मालिक ने व्यापारियों को आश्वास्त किया है कि सबकुछ ठीक ठाक हो जाएगा।  हाईकोर्ट से निर्णय के बाद निगम ने एक इंच जमीन देने से इंकार कर दिया है। निगम के अनुसार ना दुकान तोड़ा जाएगा..और ना जमीन से रास्ता ही मिलेगा। निगम के सख्त रवैये से व्यापारियों में हड़कंप है। सिटी सेंटर बिल्डर पर रूपया वापस करने का दबाव बना रहे हैं।

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                            विवादास्पद सिटी सेंटर मामले में हाईकोर्ट का फैसला सबके सामने है। बावजूद इसके बिल्डर ने सिंटी सेंटर में आवंटित दुकान मालिकों को सब ठीक ठाक होने का आश्वासन दिया हैं। यह जानते हुए भी कि सुलह और अधिकार के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। एक दुकानदार ने बताया कि सिटी सेंटर के बिल्डर का कहना है कि रायपुर में पांच करोड़ भुगतान के बाद सब कुछ ठीक ठाक हो जाएगा। बावजूद इसके व्यापारियों में उत्साह कम दहशत ज्यादा है।

                             मालूम हो कि तात्कालीन निगम आयुक्त रानू साहू के आदेश पर जांच पड़ताल में सिटी सेंटर अतिरिक्त भूमि पर निर्माण करना पाया गया था। जांच में सिटी सेंटर निर्माण स्वीकृत आदेश के विपरीत दस प्रतिशत अतिरिक्त क्षेत्र में किया गया है। टीएनसी और निगम से व्यवसायिक कार्यालय और सह आवासीय निर्माण की अनुमति 26,520 वर्गफिट में मिली थी। सिटी सेंटर मालिक ने निर्देशों को दरकिनार कर  दस प्रतिशत अतिरिक्त क्षेत्र में व्यावसायिक काम्पलेक्स बना दिया।

निगम का क्या था आदेश

                तात्कालीन निगम आयुक्त रानू साहू ने सिटी सेंटर बिल्डर को स्पष्ट किया कि राजीनामा पर कुछ हद तक विचार किया जा सकता था ।  लेकिन दस प्रतिशत अतिरिक्त जमीन पर निर्माण को कतई गुंजाइश नहीं है। अधिक से अधिक सिटी सेंटर का निर्माण क्षेत्र 29.58 मतलब 26,620 से बढ़ाकर 32.51 यानि 29,172 वर्गफिट हो सकता था बाकी 4.04 प्रतिशत मतलब 3627 वर्गफिट अतिरिक्त क्षेत्र  के निर्माण को मंजूरी नहीं दी जाएगी।

मालिक ने दी झूठी जानकारीVIKAS BHAWAN

                                       विवाद से पहले सिटी सेंटर मालिक ने टीएनसी और निगम को झूठी जानकारी दी थी। शपथ पत्र में सिटी सेंटर के पूर्व और पश्चिम में चालिस फिट सड़क निकासी बताया गया। जबकि दोनों ही बातें झूठ साबित हुई। जांच समिति ने आयुक्त को बताया कि जहां सड़क बतायी जा रही हैं दरअसल निगम की सालों पुरानी दुकानें है। किराए पर चलायी जा रही हैं। थोड़ी बहुत सड़क या गली है लेकिन चालिस फिट नहीं है।

                        रिपोर्ट में सिटी सेंटर के पीछे यानी पश्चिम की तरफ करबला की तरफ निकलने वाली सड़क निजी भू-स्वामियों की सड़क है। सिटी सेंटर मालिक ने अपना बताया है। नाप जोख में सड़क की चौड़ाई 40 फिट की जगह 30 फिट निकली। पूर्व में शिव टाकीज की तरफ बताई गयी सड़क निगम की दो दुकानों को तोड़कर बनाया जाना बताया गयाहै। अशोक अग्रवाल ने दावा किया था कि दोनों तरफ के रास्ते रजिस्ट्री में सिटी सेंटर के हैं।

निगम का राजीनामा से इंकार

                                    बिल्डर के आवेदन और जांच पड़ताल के बाद तात्कालीन निगम आयुक्त ने निगम दुकानों को तोड़कर रास्ता देने से इंकार कर दिया। निगम आयुक्त के अनुसार सभी दुकानें निगम की खसरा नम्बर 488 की जमीन पर है। दो दुकानों को तोड़ने की बात कही जा रही है उसे 1987 में निश्चित प्रक्रिया के तहत गणेश प्रसाद घोरे और सूरज प्रसाद कश्यप को दिया गया है। सिटी सेंटर को निगम की जमीन को कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। आयुक्त के घोषणा के बाद मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया।

हाईकोर्ट में सिटी सेंटर को झटका

   high_court_visual                   निर्णय आने से पहले हाईकोर्ट चीफ जस्टिस ने मौके का मुआयना किया। पिछले दिनों हाईकोर्ट की सीजे बेंच ने फैसला सुनाया कि निगम की दुकानें निगम की जमीन पर है। निगम अपनी जमीन का समुचित उपयोग के लिए स्वतंत्र है। सिटी सेंटर को रास्ता देने या नही देने का निर्णय निगम को करना है। निगम को दुकानों को य़थावत रखने का अधिकार है।

 निगम बनाएगा दुकान

                   जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट से फैसला मिलने के बाद नगर निगम प्रशासन ने जमीन पर दुकान बनवाने का फैसला किया है। निगम के फैसले से सिटी सेंटर में बुक कराए गए दुकान मालिकों में हड़कम्प है। बताया जा रहा है कि दुकानदार बिल्डर पर रूपए वापस देने का दबाव बना रहे हैं।

बिल्डर से दुकानदारों को आश्वासन

                 जानकारी के अनुसार परेशान दुकानदारों को बिल्डर ने आश्वासन दिया है कि घबराने की जरूरत नहीं है। मामले को रायपुर से दुरूस्त करवा लिया जाएगा। पांच करोड़ रूपए खर्च होंगे। रायपुर से निगम पर दबाव बनाने पर रास्ता निकल आएगा। निगम को अपनी दुकानों को हटाना ही होगा। बावजूद इसके व्यापारियों में उत्साह कम दहशत ज्यादा है। बताया तो यह भी जा रहा है कि स्थानीय मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि जनता के हित और कोर्ट के आदेश के खिलाफ कोई काम नहीं होने दिया जाएगा।

क्या होगा सिटी सेंटर का हश्र

                                हाईकोर्ट के फैसले के बाद सिटी सेंटर का हश्र क्या होना…कहने की जरूरत नहीं है। कुछ साल पहले कुछ इसी तरह के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने भोपाल के एक बड़े माल को बुल्डोज करने का आदेश दिया था। कमोबेश सिटी सेंटर के आसार भी ऐसे ही नजर आ रहे हैं। यदि सिटी सेंटर का स्वरूप बदल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

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