सीवीआरयू में बी.वोक. इसी सत्र से,यूजीसी से मिली हरी झंडी

Chief Editor
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बिलासपुर। भारत सरकार व यूजीसी के निर्देश पर डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में कौशल विकास पर आधारित उच्च शिक्षा का पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है। बेचलर और वोकेशनल कोर्स यानी कि व्यवसायिक स्नातक। बी.वोक पाठ्यक्रम में स्नातक, स्नातकोत्तर और रिसर्च तक की पढ़ाई होगी। इस तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में पहले वर्ष विस्तार डिप्लोमा, दूसरे वर्ष उन्नत डिप्लोमा और बी.वोक का डिग्री दी जाएगी। वि.वि. में इस शिक्षा सत्र में टेली कम्युनिकेशन और रिटेल मार्केटिंग एंड आईटी दो विषयों के पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे। यूजीसी के निर्देश के अनुसार पाठ्यक्रम में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को उद्योगों में शत- प्रतिशत रोजगार उपलब्ध होगा।
सीवीआरयू  में आज कुलसचिव शैलेष पाण्डेय की अध्यक्षता में प्रबंधन और शैक्षणिक विभागों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। जिसमें नए शिक्षा सत्र में पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के विषय में चर्चा की गई। बैठक में लिए गए निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने बताया कि वि.वि. में इसी सत्र से बेचलर और वोकेशनल यानी कि व्यवसायिक स्नातक का पाठ्यक्रम शुरू करने का फैसला लिया गया है। जिसमें व्यवसायिक स्नातक, स्नातकोत्तर और रिसर्च तक की पढ़ाई होगी। तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में पहले वर्ष विस्तार डिप्लोमा, दूसरे वर्ष उन्नत डिप्लोमा और बी.वोक की डिग्री विद्यार्थियों को दी जाएगी। नए सत्र में इस वर्ष से सीवीआरयू  में टेली कम्युनिकेशन और रिटेल मार्केटिंग एंड आई इन दो विषयों के पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है,जिसमें स्कूली  शिक्षा उतीर्ण करके आए विद्यार्थी सीधे प्रवेश ले सकेंगे। श्री पाण्डेय ने बताया कि वि.वि. अनुदान आयोग ने पत्र जारी कर  कहा था कि कि डाॅ.सी.वी.रामन् वि.वि. में वोकेशनल कोर्स के विद्यार्थियों को प्रवेश देने के लिए प्राथमिकता दी जाए।

भारत सरकार की राष्ट्रीय कौशल अर्हता संरचना (एनएसक्यूएफ) योजना के तहत राष्ट्रीय व्यावसयिक शैक्षिक अर्हता सरंचना (एनवीईव्यूएफ) द्वारा व्यवसायिक शिक्षा के लिए काम कर रहा है। इसके लिए देशभर के शिक्षाविदों के  सलाह के बाद 1 से 10 स्तर तक का प्रमाण पत्र तैयार किया गया है। सरकार की इस योजना के अनुसार 1 से लेकर 4 स्तर तक के प्रमाण पत्र वे है, जो स्कूली विद्यार्थियों के लिए तैयार किए गए हैं। इसमें वर्ष 2012 में एनवीईक्यूएफ के अनुकरण में स्कूल बोर्ड द्वारा व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रस्तावित किए गए और यह पाठ्यक्रम स्कूलों में संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे पाठ्यक्रम में पढ़कर उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को 2014 तक प्रमाण पत्र जारी होने शुरू हो जाएंगे। इसलिए आयोग ने सीवीआरयू में वोकेशनल कोर्स को प्राथमिकता देने के लिए अनुरोध किया था। इसी क्रम में अब इसी शिक्षा- सत्र से बी.वोक की पढ़ाई शुरू की जा रही है।
रिकोगनिशन आॅफ प्रियोर लर्निंग भी
यह वास्तव में विद्यार्थियों के लिए सुनहरा अवसर है, कि उन्हे बी.वोक की पढ़ाई करने का अवसर मिल रहा है। 12वीं की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के साथ-साथ उन लोगों को भी अवसर मिलेगा। जिनके पास हुनर है और प्रमाण पत्र नहीं है। वे वर्षों  से दक्षता के साथ कार्य कर रहे हैं। वे भी केार्स के तहत पढ़ाई करने डिग्री ले सकते हैं। जिसे रिकोगनिशन आॅफ प्रियोर लर्निंग की पढ़ाई कहा जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि आज बाजार में ऐसे लोगों की जरूरत है जो दक्ष हों। इनमें दो बातें महत्वपूर्ण हैं जिसमें इस डिगी को विद्यार्थियों की सुविधा और जरूरत के अनुसार 1-2 और 3 साल में विभक्त किया गया है। 3 साल की पढ़ाई पूरी करने बी.वोक की डिग्री दी जाएगी। इस दौरान दक्षता के ट्रेनिंग कराई जाती है।

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बीई का विकल्प बी वोक-कुलसचिव
कुलसचिव श्री पाण्डेय ने बताया कि बदलते समय के साथ अब इंजीनियरिंग की शिक्षा में बदलाव आया हैं। समय की मांग के अनुसार अब बी.वोक, इंजीनियरिंग के सशक्त विकल्प के रूप में उभर रहा हैं। वह दिन दूर नहीं जब बी.वोक इंजीनिरिंग जैसे तकनीकी शिक्षा को पीछे छोड़कर काफी आगे निकल जाएगा। बी वोक कर प्रमाण पत्र धारक लोग इंजीनियर के समकक्ष कार्य करने की स्थिति में होंगे, क्योंकि उनके पास दक्षता यानी की कार्य कुशलता का अनुभव होगा। श्री पाण्डेय ने बताया कि भारत सरकार ने प्रदेश के एक मात्र सीवीआरयू को पं.दीनदयाल कौशल केंद्र स्थापित करने की अनुमति दी है। इसके तहत वि.वि. ने फाइनेंस, बैंकिग, आर्गेनाइज्ड रिटेल, टैक्सटाइल, आईटी एंड आईटीईएस, एडमिनिस्टेशन, हार्डवेयर एंड नेटवर्किग, एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, इलेक्टिकल , टूल, सर्विर्सिग, कारपेंटींग, आटोमोबाइल मैकेनिकल , सहित अनेक क्षेत्र में युवाओ का कौशल विकास करने का अभियान शुरू किया है।

 

 

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