बिलासपुर—- डॉ.विधानचन्द्र राय की स्मृति में आज डॉक्टर्स डे मनाया गया। आईएमए भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में जिले के सभी डॉक्टरों ने चिकित्सकों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार चिंता जाहिर करते हुए कहा कि लोगों ने संयम खो दिया है। डॉक्टर हमेंशा से जनहित में कार्य करता है। लेकिन मरीजों को लगता है कि हम भगवान हैं सच बात तो यह है कि हम भी इंसान हैं। हमारा हमेशा से प्रयास रहता है कि हमसे कोई मरीज नाखुश ना रहे । बावजूद इसके हमारे समाज के साथ जब तब दुर्व्यवहार की शिकायत मिलती रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि यह सच है कि हमसे भी भूल हो सकती है और होती भी है लेकिन हमारे लिए यह भूल अक्षम्य क्यों है। गोवर्धन ने सीजी वाल से बताया कि कुछ स्तर पर कुछ डॉक्टर व्यक्तिगत लाभ के लिए दवाइयों को किसी विशेष मेडिकल दुकान से खरीदने के लिए दबाव डालते हैं। किसी सूरत में यह बुरा हो सकता है लेकिन मरीज के परिजन सुझाए गए दुकान से दवा खरीदने के लिए बाध्य नहीं हैं। गोवर्धन ने बताया कि कैपिटल लेटर में प्रिसकिप्शन लिखने के आदेश का पालन किया जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में सभी चिकित्सक शासन के आदेश के अनुसार काम करेंगे। हम आज विचार विमर्श के बाद शासन के सामने अपनी बात भी रखेंगे कि हमारी सुरक्षा के लिए सरकार सख्त कानून बनाए
उन्होंने बताया कि यह सही है कि कुछ चिकित्सक मेडिकल प्रतिनिधियों के इशारे पर दवाएं लिखते हैं। जैसा की हमेशा से आरोप लगता रहा है। सच्चाई यह कि डॉक्टर किसी के दबाव में मरीजों के लिए दवाई नहीं लिखता है। हां यह बात जरूर है कि जरूर है कि डॉक्टर उन दवाओं को विशेष रूप से प्राथमिकता देता है जिसमें ज्यादा से ज्यादा दवाइयों का संयोजन होता है। यदि इसे लोग गलत मानते हैं तो मेरे ख्याल से ऐसी सोच ठीक नहीं है।
कार्यक्रम के दौरान चिकित्सकों ने वीडियों क्रान्फ्रेसिंग के जरिए राष्ट्रीय आईएमए के अध्यक्ष से भी बातचीत की। इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चिकित्सकों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया। उन्होंने भी चिकित्सकों पर लगातार हो रहे हमले पर चिंता जाहिर की। कार्यक्रम में प्रदेश के कई नामचीन डाक्टर शामिल हुए।
सख्त कानून जरूरी
हमारे पेशे में ईमानदारी पहली प्राथमिकता है। हम सही अर्थों में समाज सेवक हैं। हमारी पहली प्राथमिकता मरीजों को शीघ्र अति शीघ्र ठीक करना है। लोगों का दुख हरना है। देना नहीं। इसके बाद भी हम पर उंगलियां उठती हैं। हमसे मारपीट किया जाता है। यह ठीक नहीं है। डाक्टर्स डे पर हम चिकित्सकों ने तय किया है कि सरकार के सामने अपनी बात रखते हुए ऐसे कानून बनाने को कहेंगे ताकि चिकित्सकों को उग्रता का शिकार ना होना पड़े।
डॉ.अजय गोवर्धन..अध्यक्ष राज्य आईएमए छत्तीसगढ़
हमारी भी कुछ सीमाएं हैं
हम भी इंसान हैं। हमारी भी कुछ सीमाएं हैं।हमारी हमेशा से प्राथमिकता रही है कि मरीजों को हंसते हुए घर भेजें। हम कभी नहीं चाहते कि कोई मरीज लंबे समय पीड़ा भोगे। यदि ऐसा करेंगे तो यह हमारे पेशे के लिए भी खतरनाक है। हम मिशनरी की तरह काम करते हैं। हंसता हुआ चेहरा हमारी उपलब्धि होती है।
डॉ.देवेन्द्र सिंह…अध्यक्ष आईएमए बिलासपुर