अंग्रेजों की कूटनीति वरदान नहीं अभिषाप-शंकराचार्य

Shri Mi
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cf29b72c-2695-4832-a094-599b56c5ba7523eb01d2-46f2-4724-aa35-b603c3bef24bभिलाई। आजादी के बाद जिस तरह का भारत बनाए जाने की कल्पना की गई थी, और इसलिए जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया था। वैसे भारत का निर्माण नहीं हुआ है। विभाजित भारत के संविधान में विचार करने की जरूरत है। भारत की दिशाहीनता का एक मात्र कारण अंग्रेजों की कूटनीति में कार्य करना है। अंग्रेजों की कूटनीति को भारतीय नेता अभिषाप की जगह वरदान समझ रहे हैं।उक्त विचार पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने प्राकट्य महोत्सव और श्री वरूण महायज्ञ के अवसर कहीं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने यहां सभी तंत्र को नष्ट किया है। धर्म, संस्कार,शिक्षा और शंकराचार्य पद्वित को नश्ट किया है। शंकराचार्य जी ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में यज्ञ और तर्पण के माध्यम से प्रकृति को पोशीक कर सहयोग देने के परंपरा रही है। आधुनिक भारत में अब यह सब कुछ नहीं हो रहा है। इसका कारण यह है कि हम सभी भौतिकता की दौड़ में तेजी से दौड़ रहे हैं।

9cc3865a-7b03-434b-a482-148bdf8abaf1                         इस गति में हम अपनी धर्म, संस्कृति और सनातन परंपरा को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। शंकराचार्य जी ने बताया कि आज व्यक्ति और समाज की स्थापना की जरूरत है। जो सुसंस्कृति, सुरक्षित,सुसज्जित,सुशिक्षित,संपन्न और सेवा परायण समाज व व्यक्ति की स्थापना होना चाहिए। शंकराचार्य जी कहा कि आज का दौर वैकल्पिक व्यवस्था का दौर है। व्यक्ति वैकल्पिक व्यस्वस्था में जीवन जी रहा है। यही वैकल्पिकता अब वर्ण व्यवस्था में भी शामिल हो गई है। वास्तविकता पूर्ण रूप से खत्म होती जा रही है। वास्तविक ब्राम्हण पोषक हुआ करते थे,वैकल्पिक ब्राम्हण शोषक बन गए हैं। इसी तरह वास्तविक क्षत्रिय जो रक्षक थे आज वैकल्पिक क्षत्रिय भक्षक बन रहे हैं। वैश्य पालक हुआ करते थे, जबकि आज के वैकल्पिक वैश्य नाशक हो गए है। इसी तरह शुद्र में स्वच्छता नहीं रही।

                                          प्राकट्य महोत्सव में छत्तीसगढ़ पीठ परिपद के अध्यक्ष झम्मन शास्त्री, आनंद वाहिनी की राप्ट्रीय महामंत्री सीमा तिवारी और आदित्य वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष पाण्डेय, कार्यक्रम प्रभारी संदीप पाण्डेय, राष्ट्र उत्कर्ष समिति के अध्यक्ष प्रफूल्ल शर्मा, मनीश पाण्डेय, दया सिंह, निर्मल सिंह,देवेश मिश्रा,बिलासपुर जिला अध्यक्ष अभिशेक पाण्डेय, मनीश पारिख, रोहन तिवारी,मातृ प्रसाद, डाॅ.वेद प्रकाश मिश्रा, मनीश भारद्वाज, डाॅ. जयशकर यादव प्रमोद शुक्ला, संरक्षण मंडल, श्री शंकराचार्य प्राकट्य उत्सव समिति, आदित्य वाहिनी, आनंद वाहिनी, पीठ परिषद, सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

प्राकट्य महोत्सव में श्रद्वा व भक्ति की बारिश-शैलेष
श्री पाण्डेय ने बताया कि शंकराचार्य जी का प्राकट्य महोत्सव श्रद्वा और भक्ति के साथ मनाया गया। सुबह 1000 लोगों ने रूद्राभिशेक और सामूहिक सुंदरकांड का पाठ किया। इसके बाद शंकराचार्य जी का पादुका पूजन और आशीर्वचन हुआ। जिसमें उन्होने दिव्य संदेश दिया। उनके दर्शन करने के लिए सुबह से रात तक लोगों को तांता लगा रहा। इस दौरान कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री रामशीला साहू, आरएसएस के सर कार्यवाहक भैया जी जोशी, प्रांत संचालक, श्री दीपक पं्रात प्रचारक,बिसरा राम यादव,पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, पूर्व मंत्री विधान मिश्रा, भिलाई महापौर देवेंद्र यादव, सहित बड़ी संख्या में वरिश्ठ अधिकारी व कर्मचारी शंकराचार्य से आशीर्वाद लेने पहंुचे।

किसका मरना, किसना जीना सार्थक
जो पुनः मरने के लिए नहीं मरना बल्कि जो बेहद त्यागपूर्वक मृत्यु को प्राप्त करता है, उसी का मरना सार्थक है। जिसने भगवान की शरण में त्याग व सत्य का अनूसरण किया उसकी जीवन सार्थक है। हिन्दुओं को जो भागतव सत्य प्राप्त है, वह इस संसार में किसी को भी प्राप्त नहीं है।

धार्मिक निर्णय ले रहे नेता
शंकराचार्य जी ने बताया कि भारत में जिन लोगों को धर्म का ज्ञान ही नहीं है ऐसे लोगों के हाथ में धर्म की सत्ता दे दी गई हैं। नेता ही धर्म के फैसले ले रहे हैं। ऐसे में धर्म कहां जा रहा है यह भारत के हर व्यक्ति को सोचने की जरूरत है।
सत्य का पक्ष लेता है मस्तिश्क। शंकराचार्य ने बताया कि मस्तिश्क का स्वाभाव होता है कि वह हमेशा और हर स्थितियों में सत्य को पक्ष लेता है। आज सत्यपूर्ण संवाद के माध्यम से सत्य को स्थापति करने की आवश्यकता है, क्योंकि सत्य को स्वीकार करने से ही इस जीवन के सारे कर्म सार्थक होते हैं।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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