अच्छे दिन के इंतजार में शिक्षकों का पोस्टरवार

BHASKAR MISHRA
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vetanसुरजपुर –सुरजपुर जिले के शिक्षाकर्मियों ने सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए नया तरीका ढूंढ निकाला है। शिक्षकों ने बिना स्कूल नागा किये सरकार पर दबाव डालने अजीबो गरीब पोस्टरबाजी का सहारा लिया है। पोस्टर की इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर चर्चा है। संगठन के पदाधिकारियो ने बताया कि हड़ताल सभी समस्या का समाधान नहीं है। बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमने पोस्टर के जरिए अपनी आवाज को अधिकारियों तक पहुंचाने का प्रयास किया है।पोस्टर को लोगों में जमकर पसंद भी किया जा रहा है।

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                      शिक्षकों ने बताया कि चार पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। जिसके चलते उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बिजली बिल,घर का किराया, बच्चों पत्नी और माता पिता का पेट भरने में निकम्मा साबित हुए है। उधारी देने वालों ने नाक में दम कर दिया है। अब तो घर से निकलने में डर लगता है। ना जाने कब कहां कोई कालर पकड़ दो चार हाथ जमा दे या फिर मौत के घाट उतार दे।

                        शिक्षकों के अनुसार हमने कई बार हड़ताल और आंदोलन का सहारा लिया। लेकिन दर्द के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। उल्टा घर की माली स्थित बिगड़ी है। आंदोलन पर जाने से नौकरी जाने की चिंता सताने लगती है। सरकार को स्कूली बच्चों की चिंता सताने लगती है। इसलिए हम लोगों ने दिल पर पत्थर और पेट पर कपड़ा बांधकर बिना नागा किेए सरकार के बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया है। साथ ही पोस्टर के सहारे अपनी आवाज को पहुंचाने का भी फैसला किया है।

                            शिक्षकों ने बताया कि उम्मीद है कि सोशल मीडिया के सहारे हमारी आवाज सरकार और अधिकारियों तक पहुंचेगी। हमने एक गोल घेरे में बीच में शिक्षक को रखकर सारी समस्याओं को चारो तरफ क्रमवार लिखा है। शायद सरकार और अधिकारियों का दिल पिघले और चार महीने का वेतन देने का एलान कर दे।

                       शिक्षकों ने बताया कि हमारे बच्चे ना तो त्योहार मनाते हैं और ना ही हम कुछ करने के काबिल भी रह गये हैं। बच्चे फटे पुराने कपड़े पहनकर गुजारा कर रहे हैं। सामने राखी का त्योहार है हम पर इतना कर्ज है कि साहूकार देखते गाली गलौच करने लगता है। कभी कभी हालत ऐसे हो जाते हैं कि साहूकार हमें दुकान के सामने भी खड़े नहीं होने देता। हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि वेतन नहीं मिलने पर उनके सामने सामुहिक फांसी के अलावा कोई रास्ता भी नहीं बचा है।

                        शिक्षकोंं ने बताया कि सूरजपुर जिले में करीब साढ़े चार हजार शिक्षाकर्मी काम कर रहे है। वेतन नहीं मिलने से कमोबेश सभी को बच्चों की फीस, लोन की क़िश्त ,दवाई का खर्च, किराने की उधारी मैनेज करने में परेशानी हो रही है। अब तो घर वालों ने भी आंख फेर लिया है। समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार की हम पर कृपादृष्टि होगी भी या नहीं। ऊपर से शासन के नए फरमान और बेरहम अधिकारियो की तानाशाही ने भीतर तक तोड़कर रख दिया है।

                                 मुख्यमंत्री ने एलान किया था कि शिक्षाकर्मियों को हर माह  5 से 10 तारीख के बीच नियमित वेतन दिया जाएगा। हम उसी उम्मीद में चार महीने से बिना नागा वेतन का इंतजार कर रहे हैं। अपने परिवार को अच्छे दिन आने का आश्वासन दे रहे हैं। उम्मीद है कि पोस्टर देखने के बाद सरकार और प्रशासन की आंखे खुलेंगी। उसी दिन शायद हमारे अच्छे दिन आ जाएंगे।

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