बिलासपुर—हाईकोर्ट ने अजीत जोगी जाति मामले में समीरा पैकरा, नन्दकुमार समेत संतकुमार की हस्तक्षेप याचिका को अमान्य करते हुए कहा कि मामला हाईपावर कमेटी और अजीत जोगी के बीच है। मामले में किसी अन्य को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता है। हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले केवल न्यायिक स्थिति को स्पष्ट करने तक सीमित रहेगे। अपनी बातों को कोर्ट में नहीं पेश कर सकेंगे।
अजीत जोगी जाति मामले में सिंगल बैंच न्यायाधीश आरसीएस सामंत ने समीरा पैकरा,नन्दकुमार साय और संतकुमार नेताम की हस्तक्षेप याचिका को सुनने इंकार किया है। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और दो अन्य की हस्तक्षेप याचिका आवश्यक पक्षकारकी श्रेणी में नहीं आते है। लेकिन तीनों यदि चाहे तो उनकी भूमिका केवल न्यायिक स्थिति को स्पष्ट तक सीमित रहेगी।
कोर्ट ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की आपत्ति को खारिज करते अजीत जोगी को प्राप्त विधायकी-सम्बंधित अंतरिम सुरक्षा को 6 नवम्बर 2019 की अगली सुनवाई तक यथावत रखा। उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और समीरा पैकरा समेत संतकुमार नेताम की हस्तक्षेप याचिका पर स्पष्ट किया है कि तीनों अजीत जोगी के जाति-संबंधित प्रकरण में ‘आवश्यक पक्षकार की श्रेणी में नहीं आते है।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि तीनों प्रकरण के तथ्यों से संबंधित कोई भी दलील नहीं कर सकते हैं। न ही कोई दस्तावेज या अन्य कोई तथ्य न्यायालय के सामने पेश कर सकते हैं। तीनों की भूमिका केवल मामले में न्यायिक स्थिति को स्पष्ट करने और विधिसम्मत न्यायिक सिद्धांतो को रखने तक ही सीमित रहेगी।
हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की आपत्ति को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि 4 सितम्बर 2019 को अजीत जोगी की विधायकी-सम्बंधित अंतरिम सुरक्षा प्रदान की गई थी। मामले में अब 6 नवम्बर 2019 को सुनवाई होगी।